छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
रांची 04 सितंबर 2022। झारखंड के मुख्यमंत्री के विधायक के रूप में बने रहने को लेकर जारी भ्रम के बीच हेमंत सोरेन सोमवार को विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान विश्वास मत प्राप्त करने के लिए प्रस्ताव रखेंगे। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। विधानसभा सचिवालय द्वारा विधायकों को भेजे गए पत्र के अनुसार, मुख्यमंत्री ने बहुमत साबित करने के लिए विश्वास मत प्रस्ताव लाने की इच्छा जाहिर की है। पार्टी सूत्रों ने बताया कि विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सदन में अपनी रणनीति तैयार करने के लिए रविवार को विधायक दल की बैठक बुलाई है। संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि “झारखंड में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। हमारे प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को राज्यपाल से मुलाकात की थी और उन्होंने हमें एक या दो दिन में स्थिति साफ करने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ। इसलिए हम विधानसभा में अपनी बात रखेंगे और बहुमत साबित करेंगे।”
25 अगस्त को ही ईसी ने भेजा था अपना फैसला
बता दें कि लाभ के पद के मामले में सोरेन को विधानसभा से अयोग्य ठहराने की भाजपा की याचिका के बाद, चुनाव आयोग (ईसी) ने 25 अगस्त को राज्यपाल रमेश बैस को अपना फैसला भेजा था, जिससे राज्य में राजनीतिक संकट पैदा हो गया है। हालांकि चुनाव आयोग के फैसले को अभी तक आधिकारिक नहीं किया गया है, लेकिन चर्चा है कि चुनाव आयोग ने एक विधायक के रूप में मुख्यमंत्री की अयोग्यता की सिफारिश की है।
सत्तारूढ़ यूपीए ने जोर देकर कहा था कि विधायक के रूप में सीएम की अयोग्यता सरकार को प्रभावित नहीं करेगी, क्योंकि झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन को 81 सदस्यीय सदन में पूर्ण बहुमत प्राप्त है। इस मुद्दे पर एक सितंबर को यूपीए विधायकों के साथ बैठक के बाद राज्यपाल शुक्रवार को दिल्ली गए थे, जिससे और अटकलें तेज हो गईं। हालांकि, राजभवन के सूत्रों ने बताया कि यह चिकित्सा जांच के लिए एक व्यक्तिगत यात्रा थी और उनके रविवार को झारखंड लौटने की संभावना है।
बैस पर निर्णय की घोषणा में जानबूझकर देरी करके का आरोप
28 अगस्त को एक संयुक्त बयान में, यूपीए घटकों ने बैस पर निर्णय की घोषणा में जानबूझकर देरी करके राजनीतिक खरीद-फरोख्त को प्रोत्साहित करने का आरोप लगाया था। सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) का मानना है कि भाजपा महाराष्ट्र की तरह सरकार को गिराने के लिए पार्टी और सहयोगी कांग्रेस के विधायकों को भी अपने तरफ करने की गंभीर कोशिश कर सकती है। विधायकों को सुरक्षित रखने के लिए, सत्तारूढ़ गठबंधन के 32 विधायकों को 30 अगस्त को कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में एक रिसॉर्ट में ले जाया गया था।
हालांकि उनमें से चार विधायक गुरुवार को हुई कैबिनेट बैठक में भाग लेने के लिए रांची लौट आए। गुरुवार को हुई कैबिनेट बैठक में यह निर्णय लिया गया कि झारखंड विधानसभा का एक विशेष सत्र पांच सितंबर को बुलाया जाएगा। वर्तमान में 81 सदस्यीय सदन में सबसे बड़ी पार्टी झामुमो के 30, कांग्रेस के 18 और राजद के एक विधायक हैं जबकि मुख्य विपक्षी दल भाजपा के 26 विधायक हैं।