दौसा डॉक्टर आत्महत्या मामले पर सियासत तेज, भाजपा ने कहा-ये प्रशासन के माथे पर कलंक

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छत्तीसगढ़ रिपोर्टर  

जयपुर 30 मार्च 2022। दौसा महिला डॉक्टर आत्महत्या मामले ने तूल पकड़ लिया है। एक तरफ आईएमए के डॉक्टर हड़ताल पर उतर गए हैं। वहीं दूसरी ओर भाजपा ने मामले को लेकर गहलोत सरकार को घेरने में लगी है।  केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने डॉ. अर्चना शर्मा की मौत पर कहा कि अभी ज्यादा दिन नहीं हुए हैं, जबा कोविड के दौरान डॉक्टरों ने अपनी जान दांव पर डालकर हमारी जीवन रक्षा की। यदि राजनीति और प्रशासन उन्हें आरोपित करने लगे तो वे इलाज कैसे करेंगे? यह अमानवीयता ही सीमा लांघना है कि कर्तव्य पालन कर रही एक महिला चिकित्सक को प्रसूता की मौत का अपराधी साबित करने का प्रयास हुआ। एक गोल्ड मेडलिस्ट डॉक्टर को इतना प्रताड़ित किया गया है कि उसे आत्महत्या ही अपनी बेगुनाही का सबूत लगी। 

गहलोत जी आपको सुसाइड नोट पढ़ना चाहिए

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि डॉ. अर्चना शर्मा जी का सुसाइड नोट आंखें नम कर देनेवाला है। उन्होंने लिखा है ‘बेगुनाह डॉक्टरों को प्रताड़ित न करें’। वे ये भी लिखती हैं ‘मेरे बच्चों को मां की कमी महसूस न होने देना।’ गहलोतजी आपको ये सुसाइड नोट पढ़ना चाहिए और अपनी पार्टी और पुलिस प्रशासन का नहीं न्याय का पक्ष चुनना चाहिए। इस घटना के हरेक पहलू की स्पेशल कमेटी द्वारा बारीक जांच अनिवार्य है। शेखावत ने कहा कि यह खुदकुशी जरूर है, मगर मैं इसे हत्या कहूंगा। अपरोक्ष रूप ये हत्या उन लोगों ने की है, जिन्होंने सत्ता और प्रशासन का दुरूपयोग कर दुरूह परिस्थिति निर्मित की।

राठौड़ ने भी उठाए सवाल

वहीं नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने भी मामले को लेकर टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि धरती का भगवान कहे जाने वाले आज मरने को मजबूर हो गए। चिकित्सा मंत्री के क्षेत्र दौसा के लालसोट में निजी अस्पताल में प्रसव के बाद प्रसूता की मौत होने पर, चिकित्सक के ऊपर धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज कर उसे मानसिक प्रताड़ना देना, चिकित्सक द्वारा सुसाइड को मजबूर होना प्रशासन के माथे पर कलंक है। 

दोषी पुलिसकर्मियों को बर्खास्त करे राज्य सरकार

राठौड़ ने कहा कि स्थानीय कांग्रेस नेताओं के दबाव में पुलिस ने संवेदनहीनता की जो पराकाष्ठा की, बिना निष्पक्ष जांच किए चिकित्सक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली। उसकी मैं कड़ी निंदा करता हूं। राजस्थान में दहशतगर्दी का आलम यह है कि अब धरती का भगवान भी मरने को मजबूर है। घटना के विरोध में चिकित्सकों में प्रशासन के खिलाफ गहरा रोष व्याप्त है। राज्य सरकार चिकित्सक को आत्महत्या के लिए मजबूर करने वाले दोषी पुलिस अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त करे।

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