छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 31 जनवरी 2021। भारत सरकार सशस्त्र बलों के लिए स्वदेशी सैन्य उपकरणों की अधिकतम खरीद पर जोर दे रही है। इसी का नताजी है कि सेना ने RE 2021-22 में अपनी पूंजी का 64% स्वदेशी उपकरणों की खरीद पर खर्च किया है। अगले फाइनेंशियल ईयर के लिए 68% का वर्किंग टारगेट रखा है। सरकार ने स्वदेशी उपकरणों की खरीद को बढ़ावा देने को ध्यान में रखते हुए नीतियां बनाई हैं। हालांकि, इस प्रयास में हाई-टेक आइटम्स की उबलब्धता को लेकर दिक्कत आ रही है। सेना ने स्वदेशी खरीद पर 72% धन खर्च किया है, लेकिन वायु सेना और नौसेना की तुलना में धन का इस्तेमाल आनुपातिक रूप से कम हुआ है। नौसेना का स्वदेशी खरीद पर 65.9% और वायु सेना सबसे कम 59.2% धन खर्चा किया।
‘स्वदेशी और आयात’ का अनुपात 68:32 पर लाने का टारगेट
RE 2021-22 में कुल रक्षा पूंजी खर्च 1,13,717.58 करोड़ रुपये था। ‘स्वदेशी और आयात’ का अनुपात लगभग 64:36 था। सूत्रों ने कहा कि इस अनुपात को 68:32 पर लाने का टारगेट है जिसके लिए 1,17,400 करोड़ रुपये जुटाने का प्रयास होगा। इसे हासिल करने के लिए सर्विस के हिसाब से टारगेट बनाए गए हैं। इसमें 75-76% तक सेना का हिस्सा है, नौसेना 70% तक पहुंचने का लक्ष्य रखेगी और वायु सेना 62% का लक्ष्य रखेगी।
तय अनुपात से ज्यादा की खरीद के लिए लेनी होगी मंजूरी
वर्किंग टारेगट के बावजूद रक्षा मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि तय ‘स्वदेशी और आयात’ अनुपात से परे किसी भी खरीद के लिए जरूरी वजह बतानी होगी। इसके लिए रक्षा मंत्री की विशेष अनुमति की आवश्यकता होगी। वायु सेना के आयात बिल सबसे बड़ा हिस्सा राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद और S-400 वायु रक्षा प्रणाली का है। इसे देखते हुए सरकार ने विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता कम करने के लिए रणनीतिक निर्णय लिया है।