छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 24 जनवरी 2022। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ तीन मैचों की वनडे सीरीज भारतीय टीम 3-0 से हार गई। भारत ने दक्षिण अफ्रीका में कुल छह वनडे सीरीज खेली हैं और चार बार उसे हार का सामना करना पड़ा है। सीरीज हारने के बाद टीम इंडिया को आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। खासतौर पर टीम की गेंदबाजी दक्षिण अफ्रीका में बिलकुल साधारण रही है।
टीम इंडिया के तेज गेंदबाज पावरप्ले यानी पहले 10 ओवर में अच्छी गेंदबाजी नहीं कर सके हैं। जसप्रीत बुमराह और भुवनेश्वर कुमार पहले दो मैचों के शुरुआती 10 ओवर में सिर्फ एक ही विकेट निकाल सके। वहीं, आखिरी वनडे में भुवनेश्वर नहीं खेल रहे थे। उनकी जगह आए टीम में आए दीपक चाहर ने जरूर एक विकेट लिया, लेकिन यह काफी नहीं था। 2019 वनडे विश्व कप के बाद से पावरप्ले में टीम इंडिया की गेंदबाजी बेहद खराब रही है।
जसप्रीत बुमराह का प्रदर्शन नहीं रहा कुछ खास
बुमराह टेस्ट और वनडे दोनों प्रारूपों में विश्व के बेहतरीन गेंदबाजों में से एक हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों में नई गेंद से उनका प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा है। 2019 विश्व कप के बाद उन्होंने वनडे में 12 पारियों में पावरप्ले में 53 ओवर गेंदबाजी की है। इसमें वह सिर्फ एक ही विकेट चटका सके हैं। हालांकि, डेथ ओवर में उनकी गेंदबाजी बेहतरीन रही है।
भुवनेश्वर पावरप्ले में विकेट लेना भूल चुके
वहीं, बात करें भुवनेश्वर की तो उन्होंने 2019 विश्व कप के बाद पावरप्ले में 41 ओवर गेंदबाजी की है और उसमें सिर्फ तीन विकेट चटका सके हैं। यही कारण है कि भारत का रिकॉर्ड विश्व कप के बाद पावरप्ले में सबसे खराब रहा है। भारतीय गेंदबाजों ने इस दौरान 24 वनडे मैचों में शुरुआती 10 ओवर में सिर्फ 11 विकेट चटकाए हैं। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ तीसरे मैच में एक विकेट रनआउट से भी मिला।
जिम्बाब्वे का रिकॉर्ड भी भारत से बेहतर
इस दौरान भारतीय गेंदबाजों ने करीब 5.7 की इकोनॉमी से रन लुटाए हैं, जो कि वनडे खेलने वाले बाकी देशों में सबसे ज्यादा है। 2019 विश्व कप के बाद पावरप्ले में टीम इंडिया का गेंदबाजी औसत 132.00 (सबसे खराब) रही है। यह दूसरे स्थान पर मौजूद जिम्बाब्वे से काफी ज्यादा है। जिम्बाब्वे की टीम का पावरप्ले में गेंदबाजी औसत 63.45 का रहा है।
2019 विश्व कप के बाद भारत के खिलाफ खेलने वाली टीमों का रिकॉर्ड भी उससे बेहतर रहा है। 23 पारियों में विपक्षी टीमों ने करीब 53 की औसत से 25 विकेट चटकाए हैं। यानी विपक्षी टीमों ने शुरुआती 10 ओवर में भारतीय बल्लेबाजों को खूब परेशान किया है। इस दौरान विपक्षी टीमों का इकोनॉमी रेट करीब 5.7 का रहा।
दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ उभर कर आई कमजोरी
यही कमजोरी दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ तीनों वनडे में भी देखने को मिली। पहले वनडे में भारतीय गेंदबाजों ने यानेमन मलान को पावरप्ले में भले ही पवेलियन भेजा हो, लेकिन दूसरे वनडे में शुरुआती 10 ओवर में एक भी विकेट नहीं ले सके। इस मैच में 288 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए दक्षिण अफ्रीका ने पहले 10 ओवर में बिना विकेट गंवाए 66 रन बनाए थे। तीसरे वनडे में भारतीय गेंदबाजों ने मलान का विकेट लिया और बावुमा रनआउट हुए।
तीसरे स्पेशलिस्ट तेज गेंदबाज की कमी खली
भारतीय टीम को पिछले कुछ सालों में तीसरे तेज गेंदबाज और एक ऑलराउंडर की कमी बहुत खली है। हार्दिक पांड्या कुछ खास फॉर्म में नहीं थे, इसलिए उन्हें प्लेइंग-11 से बाहर कर दिया गया। वहीं, रवींद्र जडेजा अनफिट थे और वाशिंगटन सुंदर कोरोना संक्रमित पाए गए। इसके बाद टीम इंडिया को दक्षिण अफ्रीका में वेंकटेश अय्यर और शार्दुल ठाकुर दोनों को मौका देना पड़ा। इसकी वजह से मोहम्मद सिराज जैसे स्पेशलिस्ट तेज गेंदबाज की जगह टीम में नहीं बन पाई। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहले दो मैचों में टीम इंडिया को एक ऐसे गेंदबाजी की जरूरत थी, जो बुमराह और भुवनेश्वर के नहीं चल पाने पर गेंदबाजी कर सके। शार्दुल गेंदबाजी में यह भूमिका निभाने में कामयाब नहीं हो सके, लेकिन उन्होंने बल्ले से कमाल जरूर किया।