छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
जयपुर 12 अक्टूबर 2021। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोमवार को कहा कि विधानसभा में हाल ही पारित ‘राजस्थान अनिवार्य विवाह पंजीकरण (संशोधन) विधयेक 2021’ को फिर से जांचने के लिए वापस लेने का फैसला किया है। गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार राज्यपाल से विधेयक को कानूनी परामर्श के लिए वापस करने का आग्रह करेगी। विपक्षी भाजपा और अधिकार कार्यकर्ताओं ने ‘राजस्थान अनिवार्य विवाह पंजीकरण (संशोधन) विधेयक 2021’ में एक प्रावधान पर आपत्ति जताई थी, जिसमें दूल्हा और दुल्हन को शादी के बंधन में बंधने के लिए कानूनी उम्र नहीं होने पर भी शादी के पंजीकरण की अनुमति दी गई है।
अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर गहलोत ने विधेयक वापस लेने की घोषणा की
अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर ‘नन्हे हाथ कलम के साथ’ अभियान के तहत ‘हौसलों की उड़ान’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गहलोत ने कहा कि ‘इस कानून पर पूरे देश में विवाद हुआ कि इससे बाल विवाह को प्रोत्साहन मिलेगा। यह हमारे लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न नहीं है, हमने इसे वापस करने का निर्णय किया है। हम कानून विशेषज्ञों से इसपर फिर से सलाह लेने के लिए राज्यपाल से विधेयक वापस लौटाने का अनुरोध करेंगे। उन्होंने कहा कि इस विधेयक को अध्ययन के लिए कानूनविदों को दिया जाएगा और उनकी सलाह के आधार पर इसे आगे बढ़ाने या नहीं बढ़ाने का फैसला किया जाएगा। गहलोत ने कहा कि यह सरकार का संकल्प है कि राजस्थान में बाल विवाह किसी भी कीमत पर न हो।
गहलोत बोले- विधेयक की फिर से जांच करवाएंगे
उन्होंने कहा कि ‘मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि इसपर कोई समझौता नहीं होगा। हम इसकी फिर से जांच करवाएंगे, फिर से अध्ययन करेंगे, उसके बाद तय करेंगे कि उसे आगे बढ़ाना है या नहीं, हमें कोई समस्या नहीं है। गहलोत ने कहा कि ‘विवाह पंजीकरण अनिवार्य करने का फैसला सुप्रीम कोर्ट का था, जिसके बाद यह विधेयक पेश किया गया और पारित किया गया।’ उन्होंने कहा कि कानूनी राय पहले भी ली गई थी और सरकार इसे आगे भी ले जाएगी ताकि राजस्थान में बाल विवाह कभी न हो।
एनसीपीसीआर ने जताया था विरोध
सितंबर माह में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने इस विधेयक को लेकर राजस्थान सरकार को चिट्ठी लिखी थी। आयोग ने सरकार से नाबालिगों के शारीरिक, मनोवैज्ञानिक, सामाजिक और शिक्षा पर गंभीर प्रभाव का हवाला देते हुए ‘राजस्थान अनिवार्य विवाह पंजीकरण (संशोधन) विधेयक, 2021’ के प्रावधानों पर पुनर्विचार और समीक्षा करने को कहा था।