छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
लंदन 02 दिसम्बर 2021। वरिष्ठ ब्रिटिश वैज्ञानिक नील फर्ग्यूसन ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि लोगों को यह नहीं मान लेना चाहिए कि कोरोना एक मामूली बीमारी बनकर रह जाएगा। लोगों को अभी कई सालों तक सतर्क रहने की जरूरत है। इसके अलावा उन्होंने कोरोना के नए वैरिएंट ‘ओमिक्रॉन’ पर बात करते हुए कहा है कि ओमिक्रॉन से खतरे के बारे में दिसंबर के बाद ही कुछ पता चल पाएगा। उन्होंने कहा कि अभी इस नए वैरिएंट को समझने की कोशिश की जा रही है।इंपीरियल कॉलेज लंदन के महामारी विज्ञानी नील फर्ग्यूसन ने कहा कि इवोल्यूशन भी कोरोना वायरस को तेजी से फैलने में मदद कर सकता है।
अस्पताल में भर्ती होने के समय वायरस का प्रसार अधिक: फर्ग्यूसन
फर्ग्यूसन ने कॉमन्स साइंस एंड टेक्नोलॉजी कमेटी को बताया जब तक लोग अस्पताल में भर्ती होते हैं, तब तक ज्यादातर प्रसार हो चुका होता है। वायरस श्वसन पथ के भीतर बहुत तेजी से म्यूटेट करता है और पर्यावरण में बाहर निकलने की कोशिश करता है। वायरस 10 दिन बाद भी किसी की जान ले सकता है। उनकी टिप्पणी न्यू एंड इमर्जिंग रेस्पिरेटरी वायरस थ्रेट्स एडवाइजरी ग्रुप (नर्वटैग) की प्रतिक्रिया के बाद आई है। जिसमें पता चला कि विशेषज्ञों ने पिछले हफ्ते यूके के मंत्रियों से ओमिक्रॉन वैरिएंट के प्रसारण को सीमित करने के लिए जल्दी और मजबूत कार्रवाई करने का आग्रह किया था।
स्पाइक प्रोटीन में म्यूटेशन की संख्या बहुत अधिक होने से फैला: नील फर्ग्यूसन
इंपीरियल कॉलेज लंदन के महामारी विज्ञानी नील फर्ग्यूसन के अनुसार बी.1.1.529 में स्पाइक प्रोटीन में म्यूटेशन की संख्या बहुत अधिक थी और इसी वजह से दक्षिण अफ्रीका में कोरोना मामले की संख्या में हाल ही में तेजी से वृद्धि हुई थी।
अल्फा और डेल्टा की तरह ओमिक्रॉन भी हो सकता है खतरनाक
फर्ग्यूसन ने सांसदों से कहा कि कुछ वायरस समय के साथ कम खतरनाक हो गए हैं लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता है। उन्होंने कहा कि कोविड -19 के सबसे प्रमुख प्रकारों में से दो, अल्फा और डेल्टा वेरिएंट में से प्रत्येक ने अपने पूर्ववर्तियों की तुलना में अधिक गंभीर बीमारी का कारण बना। उन्होंने कहा कि यह कहना बहुत अधिक जल्दबाजी होगी कि ओमिक्रॉन पिछले वैरिएंट की तुलना में अधिक या कम गंभीर होने जा रहा है, लेकिन हमने अब तक जो देखा है, अल्फा पिछले वैरिएंट की तुलना में अधिक गंभीर रहा है।