छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली, 17अगस्त 2021. काबुल पर कब्जा के दौरान तालिबानियों का उग्र रूप देखकर वहां भारतीय सहम गए थे। काबुल से लौटे भारतीयों ने अपने परिजनों को बताया कि तालिबानी पैर में चप्पल और हाथ में एके 47 लेकर गोलियां चलाते फिर रहे हैं। काबुल की सड़कों पर तालिबानी दबदबा से खौफ का मंजर है। मंगलवार को यहां पहुंचे भारतीयों ने हिंडन एयरफोर्स स्टेशन से बाहर निकलने के दौरान कहा कि पूछो मत काबुल में क्या-क्या हो रहा है। वह सही सलामत यहां पहुंच गए तो जान में जान आई है। विमान से उतरने पर कई भारतीयों ने सबसे पहले अपने वतन की मिट्टी को छुआ।
अफगानिस्तान पर तालिबान के अचानक हमला करने के बाद से काबुल दूतावास पर तैनात लोगों के भारत में परिजनों की चिताएं बढ़ने लगीं। सभी फोन पर संपर्क कर उनका हालचाल लेने लगे थे। बातचीत हुई तो काबुल में आईटीबीपी जवान, स्टाफ और भारतीयों ने खुद के सुरक्षित होने का भरोसा दिया। लेकिन अपनों को देखने की चाहत में परिजनों को सुकून नहीं मिल रहा था। भारत सरकार ने सभी को एयरलिफ्ट कर स्वदेश लाने का निर्णय किया तो जान में जान आई।
इसी कोशिश में मंगलवार सुबह ही बुलंदशहर से रविंद्र शर्मा अपनी पत्नी शैली शर्मा के साथ चाचा तेजेंद्र शर्मा को लेने एयरफोर्स स्टेशन पहुंचे थे। तेजेंद्र शर्मा काबुल दूतावास पर सिक्योरिटी इंचार्ज के रूप में तैनात थे। वहीं वैशाली निवासी मधु गुप्ता अपने पति के साथ बेटी कनिका को लेने के पहुंचीं थीं। सभी अपनों का मुंह मीठा कराने के लिए लड्डू लेकर लाए थे।
वैशाली सेक्टर-2 निवासी मधु गुप्ता ने बताया कि उनकी बेटी कनिका गुप्ता फ्रीलांस जर्नलिस्ट हैं। दो महीने पहले ही कनिका काबुल में पत्रकारिता करने गई थीं। यहांघर पर सभी कनिका से लगातार फोन पर संपर्क करते रहते थे। लेकिन एक हफ्ते पहले अचानक तालिबान ने अफगानिस्तान पर हमला कर दिया। इससे माहौल पूरा बिगड़ गया। लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर भाग रहे थे। जैसे-जैसे काबुल से सूचनाएं आ रही थीं, ठीक वैसे ही परिवार के लोगों में बेचैनी बढ़ती जा रही थीं।
मधु बताती हैं कि जब तक कनिका घर नहीं लौट आईं, परिवार का कोई सदस्य चैन की नींद नहीं सो रहा था। रविवार को भारत सरकार ने सभी भारतीयों को सुरक्षित वापस लाने का फैसला किया तो उन्हें एक उम्मीद बंध गई। इसके बाद से परिवार के लोग सरकार के संपर्क में आ गए। मंगलवार सुबह मधु अपने पति के साथ बेटी को लेने के लिए हिंडन एयरफोर्स स्टेशन के बाहर पहुंच गईं। दोपहर 12 बजे कनिका से फोन पर बात हुई तो बताया कि काबुल से विमान उड़ चुका है और अब जामनगर से वाया हिंडन एयरफोर्स पहुंचेगा। इस खबर ने मधु और उनके पति के लिए खुशी का ठिकाना नहीं छोड़ा। दोनों हिंडन स्टेशन के बाहर पेड़ के नीचे बैठकर बेटी के आने का इंतजार करते रहे। शाम करीब साढ़े छह बजे वायुसेना के अधिकारी अन्य भारतीयों के साथ बाहर लेकर आए तो मधु और उनके पति ने कनिका को सबसे पहले लड्डू खिलाकर स्वागत किया। बताया गया कि एंबेसी के अधिकारियों ने कनिका समेत सभी भारतीयों को अपना सामान लाने से मना कर दिया था।
तेजेंद्र ने कहा – विरोध करने पर मार देते हैं गोली पर दूतावास में सुरक्षित
काबुल दूतावास पर तैनात रहे आईटीबीपी सिक्योरिटी इंचार्ज तेजेंद्र शर्मा के भतीजे रविंद्र शर्मा बुलंदशहर में परिवार के साथ रहते हैं। मंगलवार को रविंद्र अपनी पत्नी शैली के साथ हिंडन एयरफोर्स स्टेशन पहुंचे थे। उन्होंने बताया कि एक वर्ष पहले ही चाचा तेजेंद्र अफगानिस्तान गए थे। वहां रहने के दौरान फोन पर लगातार बात होती थी। मगर तालिबान के अचानक हमला करने के बाद उनके होश उड़ गए। व्हाट्सएप पर कॉल कर बात की तो तेजेंद्र शर्मा ने कहा था कि अफवाहों पर ध्यान मत दो, मैं और पूरा स्टाफ दूतावास के अंदर बिल्कुल सुरक्षित हैं। लेकिन उनके आने का रास्ता साफ नहीं हो रहा था। मीडिया से बातचीत में रविंद्र ने बताया कि चाचा उन्हें रोजाना का मंजर बताते थे। किस तरीके से तालिबानी चप्पल पहने और हाथ में एके 47 लेकर किसी को भी जान से मार देते हैं, कहते थे कि चप्पल और कुर्ता पहने युवक फायरिंग करते दिखते हैं। चारों ओर दहशत का माहौल है। मंगलवार को हिंडन एयरबेस पहुंचने पर रविंद्र और उनके स्वजन ने राहत की सांस ली। शाम को जब वायुसेना के जवान भारतीयों को लेकर वाहनों से पहुंचे तो वहां मौजूद लोगों ने गुलाब के फूलों से सभी का स्वागत किया। इस पर लोगों के जमावड़े से हिंडन एयरफोर्स के बाहर जाम लग गया। वाहनों का जाम खुलवाने के लिए पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी। वायुसेना के जवान भी लगातार बैरिकेड को ठीक कर रास्ता बनाने में जुटे हुए थे। मगर भारतीयों के बाहर आने पर व्यवस्था पूरी तरह बिगड़ गई और चौराहे पर काफी देर तक जाम लगा रहा। जिसे खुलवाने में पुलिस के पसीने छूट गए।