एसईसीएल के विभिन्न क्षेत्रों में 3 फरवरी को संयुक्त मोर्चा एटक, एचएमएस, सीटू, इंटक, एसईकेएमसी के द्वारा मनाया जाएगा विरोध दिवस – हरिद्वार सिंह

Chhattisgarh Reporter
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छत्तीसगढ़ रिपोर्टर          

बिलासपुर 01 फरवरी 2021। भारत सरकार द्वारा लाए गए चारो लेबर कोड बिल, कोयला उद्योग के निजीकरण/बिक्री व किसानों के लिए लाए गए तीनों कृषि कानून, किसानों पर दमनात्मक कार्यवाही के खिलाफ 22 जनवरी 2021 को नई दिल्ली में आयोजित देश के 10 सेन्ट्रल ट्रेड यूनियन के द्वारा 03 फरवरी को जिला स्तर, राज्य स्तर, उद्योग स्तर आदि स्तर पर जुलूस, रैली, धरना इत्यादि के माध्यम से राष्ट्रव्यापी विरोध दिवस मनाने का निर्णय लिया है। यह जानकारी देते हुए मध्यप्रदेश राज्य एटक के प्रांतीय अध्यक्ष, एटक एसईसीएल के महासचिव एवं एसईसीएल संचालन समिति के सदस्य कामरेड हरिद्वार सिंह ने कहा है कि इसी संदर्भ में एटक, एचएमएस, सीटू, इंटक एवं एसईकेएमसी यूनियन के एसईसीएल स्तर के नेताओ की विस्तृत चर्चा हुई। चर्चा उपरांत संयुक्त मोर्चा एटक, एचएमएस, सीटू, इंटक, एसईकेएमसी यूनियन द्वारा सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया है कि दिनांक: 03.02.2021 को एसईसीएल के विभिन्न क्षेत्रों में धरना, प्रदर्शन, जुलूस, रैली, इत्यादि के माध्यम से विरोध दिवस मनाया जाएगा।

संयुक्त मोर्चा के सभी नेताओं ने एसईसीएल के सभी क्षेत्रों में अपने अपने संगठन के नेताओं, कार्यकर्ताओं को दिशा निर्देश दे दिया है कि 3 फरवरी के विरोध दिवस कार्यक्रम में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लें और कार्यक्रम को सफल बनाएं। सभी नेताओं ने कोयला श्रमिकों से भी अपील किया है कि इस कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोग करें।

कामरेड हरिद्वार सिंह ने कहा है कि वर्तमान की केंद्र सरकार पूरी तरह से मजदूर विरोधी, किसान विरोधी एवं उद्योग विरोधी है। 44 श्रम कानूनों को समाप्त कर 4 कोड पारित किये गए है जिसमे श्रमिको के कई अधिकार ख़त्म कर दिए गए है। श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी एवं मालिकपक्षीय संशोधन किये गए हैं। कर्मचारियों को 30 वर्ष की सेवा या 50 वर्ष की उम्र के बाद जबरन सेवानिवृत्ति करने का फैसला सरकार ने किया है। महिला श्रमिको से अब शाम 7:00 से सुबह 6:00 तक कार्य कराने की अनुमति सरकार ने दे दी है। किसानों को जमीन के बदले रोजगार देना बंद कर दिया गया है अब उन्हें सिर्फ मुआवजा दिया जायेगा। किसानों को लेकर जो तीन कृषि बिल सरकार लाई है उसमे न्यूनतम समर्थन मूल्य तय नहीं है। तीनों बिल किसान विरोधी हैं। देश के किसान भाई विगत दो महीने से लगातार तीनों कृषि बिल के खिलाफ विरोध कर रहे हैं लेकिन यह सरकार मानने को तैयार नहीं है। जबरन कृषि बिल किसानों पर थोपा जा रहा है। यह सरकार हिटलर शाही कर रहा है। इस प्रकार के अनगिनत मजदूर विरोधी, किसान विरोधी एवं पब्लिक सेक्टर विरोधी फैसले सरकार ने किये हैं। कोल इंडिया, अन्य पब्लिक सेक्टर, सरकारी संस्थाओ को बचाने एवं मजदूरों के हितो के लिए आज देश के सभी यूनियन एकजुट है और भारत सरकार की उद्योग एवं मजदूर विरोधी नीतियों का डटकर मुकाबला करेंगे।

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