
छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
जम्मू-कश्मीर 29 अप्रैल 2025। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद देश में तनावपूर्ण हालात हैं। पहलगाम की बायसरन घाटी में हुई बर्बर आतंकी वारदात के बाद बने हालात के कारण भाजपा ने राष्ट्रीय अध्यक्ष पद का चुनाव फिलहाल कुछ दिनों के लिए टालने फैसला लिया है। फैसले पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की भी सहमति है। ऐसे में जेपी नड्डा फिलहाल भाजपा के अध्यक्ष बने रहेंगे।
भारत-पाकिस्तान तनाव के कारण टला भाजपा का चुनाव
आतंकी हमले के कारण भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव के किसी निष्कर्ष पर पहुंचने के बाद ही भाजपा नए सिरे से पार्टी अध्यक्ष के चुनाव की घोषणा करेगी। गौरतलब है कि अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश समेत चुनिंदा राज्यों में संगठन चुनाव व प्रदेश अध्यक्ष के नामों पर भाजपा व संघ के बीच अंतिम दौर की चर्चा हो रही थी।
2019 से ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद संभाल रहे नड्डा
गौरतलब है कि 2019 के आमचुनाव के बाद तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हो गए थे। इसके बाद से ही जेपी नड्डा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद संभाल रहे हैं।
राज्यों में अध्यक्ष के नाम पर बन जाएगी सहमति
संघ से जुड़े सूत्रों का कहना है कि भले ही अभी राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव नहीं होगा, मगर उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों के नाम पर सहमति बना ली जाएगी। हालांकि इसकी घोषणा राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के औपचारिक एलान के पहले ही की जाएगी। संघ प्रमुख मोहन भागवत समेत संघ के सभी शीर्ष नेता बुधवार तक दिल्ली में हैं और भाजपा नेता उनके संपर्क में हैं।
हर राज्य की अलग उलझन
गौरतलब है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में संगठन चुनाव जरूरी है। पार्टी के सामने मुश्किल यह है कि मध्यप्रदेश को छोड़ कर इन राज्यों में जो भी अध्यक्ष बनेगा, उसी के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लडऩा होगा। ऐसे में इन राज्यों में जातिगत समीकरण तय करना अहम है। मसलन गुजरात में पार्टी को आदिवासी मतदाताओं की चिंता है तो यूपी में पिछड़ी जाति के मतदाताओं की। इसके अलावा मध्यप्रदेश, गुजरात और यूपी में पार्टी सत्ता में है। ऐसे में बतौर अध्यक्ष उसे ऐसे चेहरे की तलाश है जो सत्ता और सरकार में न सिर्फ संतुलन बैठा सके, बल्कि ओबीसी, आदिवासी वोटबैंक को भी साध सके।