छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 18 नवंबर 2024। भारत ने 16 नवंबर 2024 की रात एक ऐतिहासिक सफलता हासिल की जब उसने अपनी नई हाइपरसोनिक एंटी-शिप मिसाइल का सफल परीक्षण किया। इस मिसाइल को LRAShM (Long Range Anti-Ship Missile) के नाम से जाना जा रहा है। यह परीक्षण भारत के सैन्य क्षेत्र में एक बड़ी छलांग को दर्शाता है, और अब भारत उन देशों के समूह में शामिल हो गया है जिनके पास हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक है। भारत ने यह मिसाइल अपनी स्वतंत्र तकनीकी क्षमता के आधार पर विकसित की है, और यह मिसाइल रक्षा क्षेत्र में देश की ताकत को कई गुणा बढ़ा देती है।
हाइपरसोनिक मिसाइल की गति और रेंज
भारत की नई हाइपरसोनिक मिसाइल की सबसे बड़ी विशेषता उसकी अत्यधिक गति है। इस मिसाइल की गति 11,113.2 किलोमीटर प्रति घंटा (यानि लगभग 3.087 किलोमीटर प्रति सेकंड) है। यह गति इतनी तेज है कि इसे ट्रैक करना और नष्ट करना मुश्किल हो जाता है। साधारण शब्दों में कहें तो, यह मिसाइल ध्वनि की गति से पांच गुना अधिक तेज़ चलने में सक्षम है, जो इसे दुश्मन के लिए बेहद घातक बनाता है। इस मिसाइल की रेंज 1500 किलोमीटर से अधिक है, जो इसे भारत के लिए महत्वपूर्ण रणनीतिक बढ़त प्रदान करती है। मिसाइल का यह रेंज उसे पाकिस्तान और चीन की सीमा तक प्रभावी बनाता है। अगर इसे पाकिस्तान सीमा के पास तैनात किया जाता है तो यह पूरे पाकिस्तान को अपनी रेंज में कवर कर सकती है। इसके अलावा, अगर इसे चीन की सीमा के पास तैनात किया जाता है तो यह चीन के लगभग 45 प्रतिशत क्षेत्रको अपनी रेंज में लाने में सक्षम हो सकती है।
समुद्र में मिसाइल की भूमिका
भारत के पास एक विशाल समुद्री क्षेत्र है और इस क्षेत्र से दुनिया के 80 प्रतिशत तेल का व्यापार गुजरता है। भारतीय समुद्री क्षेत्र (Indian Ocean Region, IOR) की सुरक्षा के लिए इस हाइपरसोनिक मिसाइल का इस्तेमाल किया जा सकता है। अगर कोई विदेशी जहाज या युद्धपोत भारतीय समुद्री क्षेत्र में घुसपैठ करने की कोशिश करता है तो यह मिसाइल उसे तुरंत नष्ट कर सकती है। इसकी सटीकता और उच्च गति के कारण, यह मिसाइल समुद्र में दुश्मन के जहाजों के लिए एक वास्तविक खतरा बन जाती है। अगर चीन या पाकिस्तान भारतीय जलक्षेत्र में किसी भी प्रकार की घुसपैठ करने की कोशिश करते हैं, तो यह मिसाइल उन्हें समंदर में ही नष्ट कर सकती है। विशेष रूप से भारतीय नौसेना को इस मिसाइल का उपयोग समुद्र के विभिन्न हिस्सों जैसे कि अरब सागर, बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर में दुश्मन के जहाजों को निशाना बनाने के लिए किया जा सकता है।