छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 25 अप्रैल 2022। बहुचर्चित पेगासस जासूसी मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित जांच समिति ने आज अपनी रिपोर्ट शीर्ष कोर्ट में पेश कर दी। कमेटी ने 29 मोबाइल फोन की जांच की थी। इसमें से पांच में उसने मालवेयर सॉफ्टवेयर पाया है। हालांकि, यह तय नहीं हो पाया कि यह पेगासस ही है। कमेटी ने तीन भागों में अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश की। इसके एक हिस्से में कहा गया है कि नागरिकों की निजता के अधिकार की रक्षा के लिए कानून बनाया जाना चाहिए। कमेटी ने पांच मोबाइल की जांच में मालवेयर पाया है, हालांकि, यह तय नहीं हो पाया कि यह पेगासस सॉफ्टवेयर ही है।
रिटायर्ड जस्टिस रवींद्रन की अध्यक्षता वाली कमेटी की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड की जाएगी। जबकि अन्य रिपोर्टों का संशोधित हिस्सा संबंधित पक्षकारों को देने की याचिका पर विचार किया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि जस्टिस रवींद्रन की अध्यक्षता वाली कमेटी की रिपोर्ट सामान्य स्वरूप की है। शीर्ष कोर्ट में पेश रिपोर्ट में कमेटी ने कहा है कि तकनीकी जांच समिति को 29 फोन दिए गए थे। पांच में मालवेयर सॉफ्टवेयर यानी बाहरी वायरस या सॉफ्टवेयर होने का अंदेशा है। ये पेगासस सॉफ्टवेयर ही हैं, इसकी अभी पुष्टि नहीं हुई है। कमेटी ने शीर्ष कोर्ट में पेश रिपोर्ट में कुछ अहम सिफारिशें भी की हैं। रिपोर्ट का कुछ हिस्सा वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा।
केंद्र ने किया जांच में सहयोग
पेगासस जासूसी कांड की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित तकनीकी व सुपर वाइजरी कमेटियों ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि केंद्र सरकार ने जांच में सहयोग नहीं किया। शीर्ष कोर्ट अब इस मामले में चार सप्ताह बाद आगे सुनवाई करेगी। सुनवाई करने वाली पीठ में कल सेवानिवृत्त हो रहे सीजेआई एनवी रमण के अलावा जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली भी मौजूद थे। तीन हिस्सों वाली जांच रिपोर्ट के एक हिस्से में निजता की रक्षा के कानून बनाने और देश की साइबर सुरक्षा सुनिश्चित करने की सिफारिश की गई है।
पिछले साल दिया था जांच का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 27 अक्तूबर को देश के नेताओं, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की जासूसी के लिए सरकारी एजेंसियों द्वारा इस्राइली कंपनी के पेगासस स्पाइवेयर के इस्तेमाल के आरोपों की जांच का आदेश दिया था। जासूसी के आरोपों की जांच के लिए कमेटी बनाई गई थी। इसमें साइबर सुरक्षा, डिजिटल फोरेंसिक, नेटवर्क और हार्डवेयर क्षेत्र के तीन विशेषज्ञ शामिल थे। उन्हें पूछताछ, जांच और यह निर्धारित करने के लिए कहा गया था कि क्या पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल देश के नागरिकों की जासूसी के लिए किया गया था? कमेटी की निगरानी यानी सुपरविजन का जिम्मा जस्टिस रवींद्रन को दिया गया था।