छत्तीसगढ़ रिपोर्टर/ (अनिल बेदाग)
मुंबई 11 अक्टूबर 2024। रामपर में मानव सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट ₹300 करोड़ के निवेश के साथ राजकोट-जामनगर राजमार्ग के किनारे रामपर में स्थित एक अत्याधुनिक वृद्धाश्रम सद्भावना वृद्ध आश्रम का शुभारंभ कर रहा है। यह सुविधा, भारत में सबसे बड़ी में से एक, 30 एकड़ में फैली होगी और इसमें 7 टावर होंगे, जिनमें से प्रत्येक में 11 मंजिलें होंगी, जिसमें कुल 1,400 कमरे होंगे। इसका लक्ष्य 5,000 बुजुर्ग व्यक्तियों को मुफ्त, आजीवन आश्रय प्रदान करना है जो निःसंतान, बीमार, विकलांग या बिस्तर पर हैं और जिन्हें निरंतर देखभाल की आवश्यकता होती है। आश्रम समावेशी होगा और धर्म, जाति या पंथ की परवाह किए बिना सभी पृष्ठभूमि के व्यक्तियों का स्वागत करेगा। नई सुविधा में एक मंदिर, अन्नपूर्णा हाउस नाम की एक बड़ी रसोई, एक पुस्तकालय, फिटनेस उपकरणों से सुसज्जित एक व्यायाम कक्ष, एक योग कक्ष, एक औषधालय, एक सामुदायिक हॉल और प्राकृतिक उद्यान जैसी विभिन्न सुविधाएं शामिल होंगी। राजकोट में मौजूदा सद्भावना वृद्धाश्रम दस वर्षों से कार्यरत है और वर्तमान में 650 निःसंतान व्यक्तियों की देखभाल करता है, जिनमें 200 ऐसे लोग भी शामिल हैं जो पूरी तरह से बिस्तर पर हैं।
इस पहल का समर्थन करने के लिए, परम पूज्य श्री मोरारी बापू के नेतृत्व में 8 दिवसीय वैश्विक रामकथा कार्यक्रम 23 नवंबर से 1 दिसंबर तक राजकोट में निर्धारित है। इस आयोजन का उद्देश्य वृक्षारोपण के बारे में जागरूकता बढ़ाना है और यह दुनिया भर के सामाजिक नेताओं, उद्योगपतियों, व्यापारियों, राजनीतिक हस्तियों, दानदाताओं और कार्यकर्ताओं को आकर्षित करेगा। हिंदू धर्माचार्य महासभा के अंतर्राष्ट्रीय संयोजक और सद्भावना वृद्धाश्रम के संरक्षक, श्री स्वामी परमानंद सरस्वती ने बुजुर्गों की देखभाल के लिए सामुदायिक समर्थन की बढ़ती आवश्यकता पर जोर दिया।
मानव सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट के श्री मितल खेतानी ने कहा कि वे ऐसे व्यक्तियों का स्वागत करते हैं जिनकी उम्र 60 वर्ष से अधिक है और जो सामाजिक या शारीरिक रूप से अक्षम हैं। सद्भावना वृद्धाश्रम एक ऐसा घर है जो निःसंतान बुजुर्गों को सभी सुविधाओं के साथ मुफ्त में बेहतर देखभाल प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि कई अकेले बुजुर्गों को वृद्धाश्रम के सहायक माहौल में खुशी और शांति मिलती है। इस कार्यक्रम में विशेष अतिथियों में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की पूर्व अध्यक्ष श्रीमती दीना मेहता, बीएसई बोर्ड की पहली महिला निदेशक के साथ-साथ भारत सरकार के पशु कल्याण बोर्ड के सदस्य डॉ. गिरीश शाह शामिल थे।