छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 25 सितम्बर 2023। उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश संजय किशन कौल ने रविवार को वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र में प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल की वकालत की और कहा कि यह रास्ता न्याय वितरण प्रणाली और लोगों को मुकदमेबाजी से होने वाले बोझ से छुटकारा दिलाता है। वह बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) के दो दिवसीय ‘इंटरनेशनल लॉयर्स कॉन्फ्रेंस 2023’ के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे को भी उठाया और कहा कि कानूनी बिरादरी को इसके बारे में जागरूकता समय की जरूरत है। न्यायमूर्ति कौल ने कहा, अदालतों में मुकदमेबाजी हमेशा वादियों और वकीलों द्वारा एक मांग की गई विकल्प रही है, लेकिन मध्यस्थता, मध्यस्थता और सुलह की प्रकृति में वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र के बढ़ते इस्तेमाल को देखकर मुझे खुशी होती है, जिस पर व्यक्तिगत रूप से मुझे बहुत भरोसा है।
उन्होंने कहा, अदालतों के बाहर बैठने के फायदे किसी मामले की सुनवाई के लाभ से कहीं अधिक हैं, जो अक्सर वर्षों तक नहीं चलता है, जिससे न्याय वितरण प्रणाली में बहुत देरी होती है और लोग एक-दूसरे के प्रति विरोधी हो जाते हैं।’ इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री अमित शाह और भूपेंद्र यादव समेत अन्य नेता मौजूद थे। न्यायमूर्ति कौल ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया के काम की सराहना की और दो दिवसीय कार्यक्रम को एक महान पहल बताया।
उन्होंने कहा, शानदार पहल व प्रयास और किए गए कार्यों के लिए मेरी सराहना। वकीलों की कानूनी बिरादरी इतनी सकारात्मक सोच रखती है, यह अपने आप में एक बड़ी शुरुआत है। हमने दो दिन तक इस प्रणाली में सुधार के लिए हम सभी से इस पर गहन और व्यावहारिक और बौद्धिक चर्चा, विचार-विमर्श और आम सहमति बनाई। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम से निकलने वाली चर्चाओं और सुझावों का दस्तावेजीकरण किया जाना चाहिए और कानूनी प्रणाली में सुधार के लिए सरकार को दिया जाना चाहिए।
न्यायमूर्ति कौल ने कहा, हम भारत में न्यायिक व्यवस्था में प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहे हैं। इसका सबसे उल्लेखनीय इस्तेमाल वर्चुअल या ई-कोर्ट का आगमन रहा है, जबकि कोविड-19 महामारी की अपनी समस्याएं थीं और इसने दुनिया को एक ठहराव में ला दिया। उन्होंने कहा, यह हमारे लिए, न्यायाधीशों और वकीलों दोनों के लिए गर्व की बात है कि न्याय देने के स्थान बंद नहीं हुए। यह प्रभावित हो सकता है लेकिन हम सभी ने यह देखने की पूरी कोशिश की कि आम लोग महामारी के बावजूद अभी भी न्याय वितरण प्रणाली से संपर्क कर सकें।
कानूनी पेशे में हो सरल भाषा : जस्टिस खन्ना
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि कानूनी पेशे में सरल भाषा के इस्तेमाल की जरूरत है, ताकि लोग सोच-समझकर निर्णय ले सकें और अनजाने में कोई उल्लंघन करने से बच सकें। जस्टिस खन्ना रविवार को बार काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से आयोजित अंतरराष्ट्रीय अधिवक्ता सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कानून विवादों को सुलझाने के लिए होते हैं, न कि खुद विवादित बनने के लिए।
जस्टिस खन्ना ने कहा, कानून की सरलता यानी आम आदमी की समझ में आने वाली भाषा के इस्तेमाल के सवाल पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा, क्या कानून का रहस्योद्घाटन जरूरी है? क्या कानून को एक पहेली बन जाना चाहिए जिसे कि सुलझाने की जरूरत पड़े? कानून विवादों को सुलझाने के लिए होते हैं, न कि खुद विवादित बनने के लिए। कानून आम आदमी के लिए रहस्य नहीं होना चाहिए। इसलिए सरल भाषा का उपयोग आवश्यक है। उन्होंने कहा कि यह इसलिए जरूरी है ताकि लोग सुविचारित निर्णय ले सकें और अनजाने में उल्लंघनों से बच सकें। जस्टिस ने कहा, यह हमारे मत और निर्णयों पर भी समान रूप से लागू होता है।
कानूनी पेशे के व्यावसायीकरण पर जताई चिंता : जस्टिस खन्ना ने कहा कि मुकदमेबाजी और कानूनी पेशे का व्यावसायीकरण अत्यंत चिंता का विषय है। उन्होंने कहा, मुकदमे की बढ़ती लागत और अत्यधिक शुल्क न्याय तक पहुंच सुनिश्चित करने में एक बड़ी बाधा है और हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि न्याय सभी के लिए सुलभ रहे।
उन्होंने कहा कि पेशे के प्रमुख हितधारकों के रूप में, वकीलों और न्यायाधीशों के लिए यह जरूरी है कि वे आत्मनिरीक्षण करें। उन्होंने आगे कहा कि मजबूत, स्वतंत्र और निष्पक्ष बार कानून के शासन पर आधारित स्वतंत्र और निष्पक्ष समाज की पहचान है।