छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 06 सितम्बर 2023। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को लद्दाख हिल काउंसिल चुनाव के लिए चुनाव विभाग की पांच अगस्त की अधिसूचना को रद्द कर दिया। साथ ही इसके लिए एक सप्ताह के अंदर नई अधिसूचना जारी करने को कहा है। वहीं शीर्ष अदालत ने नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) को ‘हल’ चिह्न आवंटित करने का विरोध करने वाली लद्दाख प्रशासन की याचिका भी खारिज कर दी है। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने आदेश दिया है कि लद्दाख हिल काउंसिल चुनाव के लिए सात दिनों के अंदर नई अधिसूचना जारी की जाए। पीठ ने नेशनल कॉन्फ्रेंस को ‘हल’ चिह्न आवंटित करने का विरोध करने वाली लद्दाख प्रशासन की याचिका भी खारिज कर दी। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने उस पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
लद्दाख प्रशासन पहले पहुंचा हाईकोर्ट
एकल न्यायाधीश ने लद्दाख प्रशासन द्वारा नेशनल कांफ्रेंस को हल के निशान पर चुनाव न लड़ने के आदेश को रद्द कर दिया था। लद्दाख प्रशासन ने एकल न्यायाधीश के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। मुख्य न्यायाधीश एन कोटिश्वर सिंह और न्यायाधीश एमए चौधरी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मामले से जुड़ी याचिका पर सुनवाई की थी।
प्रशासन को लगा था झटका
खंडपीठ ने कहा था कि एकल न्यायाधीश ने जो फैसला किया है, उसमें हमें कोई खामी नजर नहीं आती। पार्टी को चुनाव निशान काउंसिल के चुनाव नियमों के तहत दिया गया है। इसमें किसी प्रकार का विवाद नहीं। लिहाजा हमें नहीं लगता कि खंडपीठ को इसमें कोई दखल देने की जरूरत है।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा था संरक्षित
वहीं, नेशनल कॉन्फ्रेंस को हल चुनाव निशान देने से इनकार किए जाने को लेकर नेकां की ओर से दायर याचिका में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला संरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट के डिवीजन बेंच ने दोनों तरफ की बहस पूरी होने के बाद कहा था कि फैसला छह सितंबर को सुनाया जाएगा। मामले की सुनवाई के दौरान एडिशनल सालीस्टिर जनरल केएम नटराज ने कहा था कि चुनाव निशान आदेश 1968 केवल विधानसभा व संसदीय चुनाव पर लागू होता है और स्थानीय निकाय चुनाव में यह आदेश लागू नहीं होता।
उन्होंने दलील दी थी कि आरक्षित चुनाव निशान केवल राष्ट्रीय स्तर की राजनीतिक पार्टियों को दिया जाता है। वैसे भी नेकां के 89 उम्मीदवारों में से किसी ने भी हल चुनाव निशान देने की मांग नहीं की है। दस सितंबर को होने वाले इस चुनाव के लिए 23 अगस्त को नामांकन पत्र दायर करने की अंतिम तिथि थी और 26 अगस्त तक उम्मीदवार नामांकन वापस ले सकते थे।
नेकां के वकील ने दलील दी थी कि नेकां लद्दाख हिल काउंसिल की सत्ता में थी और इसके उम्मीदवारों को स्थानीय चुनाव में पार्टी के आरक्षित चुनाव निशान देने से इनकार नहीं किया जा सकता। यह स्थानीय चुनाव भी पार्टी आधारित हो रहे हैं। इससे पूर्व सुप्रीम कोर्ट के डिवीजन बेंच ने नेकां उम्मीदवारों को जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के निर्देश के बावजूद हल का निशान न दिए जाने को अनुचित करार दिया था। ऐसे में अगर जरूरत पड़ी तो बेंच चुनाव रद्द कर सकता है। पांच अगस्त को जारी अधिसूचना के तहत तीस सदस्यों वाली लद्दाख हिल काउंसिल की 26 सीटों के लिए दस सितंबर को मतदान होना है।