छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 04 जुलाई 2023। सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली अपील पर सुनवाई हुई। इस दौरान राहुल को कोर्ट से बड़ी राहत मिली। कोर्ट ने राहुल की सजा पर अंतरिम रोक लगा दी। इससे पहले गुजरात हाईकोर्ट ने ‘मोदी उपनाम’ टिप्पणी पर मानहानि मामले में उनकी सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। राहुल गांधी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने बहस शुरू की। सुप्रीम कोर्ट ने सिंघवी से कहा कि उन्हें सजा पर रोक के लिए आज एक असाधारण मामला बनाना होगा। राहुल गांधी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी का मूल उपनाम ‘मोदी’ नहीं है और उन्होंने बाद में यह उपनाम अपनाया। राहुल ने अपने भाषण के दौरान जिन लोगों का नाम लिया था, उनमें से एक ने भी मुकदमा नहीं किया। यह 13 करोड़ लोगों का एक छोटा सा समुदाय है और इसमें कोई एकरूपता या समानता नहीं है। सिंघवी ने कहा कि इस समुदाय में केवल वही लोग पीड़ित हैं जो भाजपा के पदाधिकारी हैं और मुकदमा कर रहे हैं।
वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि जज इसे नैतिक अधमता से जुड़ा गंभीर अपराध मानते हैं। यह गैर-संज्ञेय और जमानती अपराध है। मामले में कोई अपहरण, बलात्कार या हत्या नहीं की गई है। यह नैतिक अधमता से जुड़ा अपराध कैसे बन सकता है? उन्होंने आगे कहा कि लोकतंत्र में हम असहमति रखते हैं। राहुल गांधी कोई कट्टर अपराधी नहीं हैं। राहुल गांधी पहले ही संसद के दो सत्रों से दूर रह चुके हैं।
पूर्णेश मोदी के वकील की दलील
‘मोदी सरनेम’ टिप्पणी मामले में शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने तर्क दिया कि पूरा भाषण 50 मिनट से अधिक समय का था और भारत के चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में भाषण के ढेर सारे सबूत और क्लिपिंग संलग्न हैं। जेठमलानी का कहना है कि राहुल गांधी ने द्वेषवश एक पूरे वर्ग को बदनाम किया है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले राहुल गांधी को आगाह किया था, जब उन्होंने कहा था कि राफेल मामले में शीर्ष अदालत ने प्रधानमंत्री को दोषी ठहराया है। उन्होंने कहा कि उनके आचरण में कोई बदलाव नहीं आया है।
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- अधिकतम सजा क्यों दी गई?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गुजरात हाईकोर्ट का फैसला काफी दिलचस्प है। राहुल गांधी की सजा कम भी हो सकती थी। वह जानना चाहता है कि अधिकतम सजा क्यों दी गई? कोर्ट का मानना है कि अगर जज ने एक साल 11 महीने की सजा दी होती तो राहुल गांधी अयोग्य नहीं ठहराए जाते।
पिछली सुनवाई पर जारी किए थे नोटिस
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी की याचिका पर गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी को नोटिस जारी किया था। कोर्ट ने कहा था कि इस स्तर पर सीमित प्रश्न यह है कि क्या दोषसिद्धि निलंबित किए जाने योग्य है? पूर्णेश मोदी और राहुल गांधी ने कोर्ट के समक्ष अपने-अपने जवाब दाखिल कर दिए थे।
पहले जानिए क्या है मामला
2019 लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक के कोलार की एक रैली में राहुल गांधी ने कहा था, ‘कैसे सभी चोरों का उपनाम मोदी है?’ इसी को लेकर भाजपा विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था। राहुल के खिलाफ आईपीसी की धारा 499 और 500 (मानहानि) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
निचली अदालतों में क्या-क्या हुआ?
23 मार्च को निचली अदालत ने राहुल को दोषी ठहराते हुए दो साल की सजा सुनाई थी। इसके अगले ही दिन राहुल की लोकसभा सदस्यता चली गई थी। राहुल की अपना सरकारी घर भी खाली करना पड़ा था। निचली अदालत के इस फैसले के खिलाफ दो अप्रैल को राहुल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जस्टिस प्रच्छक ने मई में राहुल गांधी की याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद सात जुलाई को कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाया और राहुल की याचिका खारिज कर दी थी।
हाईकोर्ट ने क्या कहा था?
गुजरात हाइकोर्ट ने राहुल की याचिका खारिज करते हुए कहा था कि राजनीति में शुचिता’ अब समय की मांग है। जनप्रतिनिधियों को साफ छवि का होना चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा था कि दोषसिद्धि पर रोक लगाना नियम नहीं, बल्कि अपवाद है। इसे विरले मामलों में ही इस्तेमाल किया जाता है। जस्टिस प्रच्छक ने 125 पेज के अपने फैसले में कहा था कि राहुल गांधी पहले ही देशभर में 10 मामलों का सामना कर रहे हैं। ऐसे में निचली अदालत का आदेश न्यायसंगत, उचित और वैध है।
पूर्णेश मोदी ने हलफनामे में क्या कहा?
- कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक मानहानि मामले में शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी ने 31 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि राहुल गांधी ने अपनी सभी चोरों के नाम मोदी उपनाम वाली टिप्पणी पर माफी मांगने के बजाय अहंकार दिखाया है।
- पूर्णेश मोदी ने कहा कि राहुल ने अपने लापरवाह और दुर्भावनापूर्ण शब्दों से पूरी तरह से निर्दोष वर्ग के लोगों को बदनाम किया है। ट्रायल कोर्ट के समक्ष सजा सुनाते समय याचिकाकर्ता (राहुल) ने पश्चाताप और खेद व्यक्त करने के बजाय अहंकार दिखाया।
- उन्होंने दलील दी थी राहुल गांधी ने कई मौकों पर अपनी टिप्पणियों के लिए माफी मांगने से मना कर दिया है। राहुल की दोषसिद्धि और सजा को रद्द नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने समुदाय के प्रति अपनी नफरत दिखाते हुए एक निर्वाचित प्रधानमंत्री और मोदी उपनाम वाले सभी व्यक्तियों को बदनाम किया था।
राहुल ने क्या जवाब दाखिल किया?
- राहुल ने अपने हलफनामे में कहा कि याचिकाकर्ता को बिना किसी गलती के माफी मांगने के लिए मजबूर करने के लिए आपराधिक प्रक्रिया का उपयोग करना न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है। इस न्यायालय द्वारा इसे स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।
- हलफनामे में कहा गया कि याचिकाकर्ता ने हमेशा कहा है कि वह अपराध का दोषी नहीं है। दोषसिद्धि टिकाऊ नहीं है। अगर उसे माफी मांगनी होती और समझौता करना होता तो वह बहुत पहले ही ऐसा कर चुके होते।
- राहुल गांधी ने कहा कि उनका मामला असाधारण है, क्योंकि अपराध मामूली है और एक सांसद के तौर पर अयोग्य ठहराए जाने से उन्हें अपूरणीय क्षति हुई है। इसलिए प्रार्थना की जाती है कि राहुल गांधी की सजा पर रोक लगाई जाए, जिससे वह लोकसभा की चल रही बैठकों और उसके बाद के सत्रों में हिस्सा ले सकें।
- उन्होंने दावा किया कि रिकॉर्ड में ‘मोदी’ नाम का कोई समुदाय या समाज नहीं है। केवल मोदी वणिका समाज या मोध घांची समाज ही अस्तित्व में है। इसलिए समग्र रूप से मोदी समुदाय को बदनाम करने का अपराध नहीं बनता है।