आंदोलन का असर सबसे ज्यादा पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में है, पंजाब में तो 24, 25 और 26 यानि 3 दिन का बंद बुला रखा है
कामगार, कलाकारों, व्यापारियों और सामाजिक, धार्मिक, संस्थाओं, क्लब, पंच-सरपंच और अन्य का समर्थन मिल रहा
छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
पंजाब/हरियाणा 25 सितम्बर 2020। कृषि से जुड़े तीन विधेयकों को लेकर किसानों का विरोध लगातार देशभर में जारी है। शुक्रवार को किसान संगठनों ने राष्ट्रव्यापी बंध का ऐलान किया हुआ है। इस आंदोलन का असर सबसे ज्यादा पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में देखने को मिल रहा है। पंजाब में तो 24, 25 और 26 यानि 3 दिन का बंद बुला रखा है, इसके बाद ही देशभर के संगठनों ने 25 सितंबर के राष्ट्रव्यापी बंद की घोषणा की थी। किसान विरोध प्रदर्शन कर इन बिलों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। बंद को कामगार, कलाकारों, व्यापारियों और सामाजिक, धार्मिक, संस्थाओं, क्लब, पंच-सरपंच और अन्य का समर्थन मिल रहा है।
पंजाब के हालात
पंजाब में 24 सितंबर से ही किसान रेलवे ट्रैक पर बैठे हुए हैं। राज्य में 200 जगह विभिन्न संगठनों की तरफ से प्रदर्शन किए जा रहे हैं। बड़ी संख्या में किसान अंबाला से अमृतसर और जम्मू जाने वाले रेलवे ट्रैक पर बिस्तरे बिछाकर लेटे हुए हैं। पुलिस बल वहां तैनात है। पुलिस उन्हें रोक नहीं रही है, लेकिन रेलवे ट्रैक पर बिस्तरे बिछाते वक्त उन्हें बिजली के खंभों व तारों से दूर होकर बैठने की सलाह जरूर दी गई थी। पंजाब के करीब 31 किसान संगठन और राजनैतिक पार्टियां इस बंद को समर्थन कर रही हैं। शुक्रवार को दूधियों ने भी सप्लाई बंद रखी हुई है। इससे शहरों में दूध, सब्जियों आदि की सप्लाई प्रभावित हुई है। इसके अलावा अमृतसर, फिरोजपुर, नाभा और बरनाला समेत कई जगह रेल ट्रैक बंद हैं। बीते दिन किसानों ने ट्रैक पर टैंट लगाकर धरने दिए थे, अब इन्हें पक्के धरने का रूप दे दिया गया है।
किसान संगठनों के अनुसार शनिवार रात तक बच्चों व महिलाओं के साथ किसान ट्रक पर ही डटे रहेंगे। पंजाब रोडवेज कर्मचारियों की यूनियनों और निजी बस ऑपरेटरों ने आंदोलन को समर्थन दिया है। आज पंजाब में सरकारी व निजी बसों का संचालन भी नहीं हो रहा। उधर, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने जहां किसानों से अपील की है कि वो अमन कानून की स्थिति को बनाए रखें, वहीं उन्होंने सभी राजनीतिक पार्टियों को संकीर्ण राजनैतिक हितों से ऊपर उठने का आह्वान किया है।
ये हैं हरियाणा के हालात
हरियाणा में एक दिन के बंद का आह्वान किया गया है। शुक्रवार को प्रदेशभर में किसान संगठन और कुछ राजनीतिक दल बंद में शामिल हो रहे हैं। मुख्य रूप से किसानों के इस बंद की अगुवाई भारतीय किसान यूनियन का गुरनाम सिंह चढूनी ग्रुप कर रहा है। गुरनाम सिंह चढूनी के नेतृत्व में बंद का आयोजन हो रहा है। प्रदेशभर में कांग्रेस और इनेलो कार्यकर्ता भी इस बंद में देखने को मिलेंगे।हरियाणा के शहरों की बात करें तो बंद का असर मिलाजुला है। शहरों में कुछ दुकानें खुली हैं तो कुछ बंद हैं। किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा है कि जहां पर किसान संगठनों की ताकत होगी, वहां रोड जाम किया जाएगा, जहां पर संख्या कम होगी वहां धरना प्रदर्शन और जुलूस निकाले जाएंगे।
वहीं हरियाणा के स्वास्थ्य एवं गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि सभी को अपनी बात रखने का अधिकार है। परंतु कानून किसी को नहीं तोड़ने दिया जाएगा। कहीं भीड़ इकट्ठा की जाती है तो उसके लिए परमिशन लेनी होगी, जिसमें आयोजक का नाम भी बताना होगा। कोविड-19 के नियमों का पालन करना होगा। किसी को भी कानून हाथ में नहीं लेने दिया जाएगा। विज ने डीजीपी को निर्देश देते हुए कहा कि किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए अतिरिक्त पुलिस व्यवस्था की तैनाती की जाए। उन्होंने कहा कि संपूर्ण स्थिति से निपटते हुए आमजन की पर्याप्त सुरक्षा सुनिश्चित करना हमारा कर्तव्य है। हरियाणा में दूध, सब्जी व अन्य चीजों की सप्लाई पर कोई असर नहीं पड़ा है।
पंजाब जाने वाली रेलगाड़ियां बंद
किसानों के आंदोलन के चलते अंबाला मंडल ने 24 सितंबर से ही पंजाब जाने वाली 26 अप-डाउन ट्रेन और 9 पार्सल ट्रेन को रद्द किया हुआ है। ये ट्रेन 24, 25 और 26 सितंबर तक रद्द रहेंगी। इसमें मुंबई-अमृतसर, न्यू जलपाईगुड़ी-अमृतसर, नांदेड़-अमृतसर, हरिद्वार-अमृतसर, जन शताब्दी एक्सप्रेस, जय नगर एक्सप्रेस, सचखंड एक्सप्रेस, पश्चिम एक्सप्रेस, करम भूमि एक्सप्रेस, गोल्डन टेंपल एक्सप्रेस सहित 9 पार्सल ट्रेनें शामिल हैं।
यह कानून क्या है और इनसे क्या बदलेगा?
- कृषि सुधारों को टारगेट करने वाले तीन विधेयक हैं- द फार्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फेसिलिटेशन) बिल 2020; द फार्मर्स (एम्पॉवरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑफ प्राइज एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेस बिल 2020 और द एसेंशियल कमोडिटीज (अमेंडमेंट) बिल 2020।
- सरकार कह रही है कि यह विधेयक आजादी के बाद एग्रीकल्चर सेक्टर में सबसे बड़े सुधार के तौर पर लागू किए जा रहे हैं। एक कानून किसानों को कृषि उपज मंडियों से बाहर अपनी फसल बेचने की इजाजत देता है। यानी दलालों पर निर्भरता खत्म। लेकिन, कांग्रेस समेत कुछ पार्टियों को इसमें कॉर्पोरेट्स को लाभ पहुंचाने की साजिश नजर आ रही है।
- इन तीनों ही कानूनों को केंद्र सरकार ने लॉकडाउन के दौरान 5 जून 2020 को ऑर्डिनेंस की शक्ल में लागू किया था। यह तीनों लोकसभा में पास हो चुके हैं। अब यह चर्चा के लिए राज्यसभा में जाएगा। वहां से पास होने पर कानून लागू हो जाएगा। सरकार की कोशिश इसी सत्र में इन तीनों ही कानूनों को संसद से पारित कराने की है।