छत्तीसगढ़ रिपोर्टर / मो. साजिद खान
एमसीबी/कोरियाकोरिया (सरगुजा) — दिनांक 27/03/2023 को मनेन्द्रगढ़ जनपद पंचायत के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के द्वारा एमसीबी कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया कि जनपद पंचायत अंतर्गत काफी दिनो से जनपद पदाधिकारियों की निरंतर उपेक्षा की जा रही है, जिससे अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के साथ-साथ सभी सदस्यों में काफी आक्रोश है। ज्ञापन में उल्लेख किया गया कि जनपद पंचायत मनेन्द्रगढ़ के द्वारा गौण खनिज मद अंतर्गत प्रशासकीय स्वीकृति क्र. 7081 दिनांक 3/3/2023 के द्वारा राशि रूपए 111.35 लाख ( एक करोड ग्यारह लाख पैतिस हजार रू. ) की स्वीकृति बिना जनपद पंचायत समिति के जारी की गई है, जिसके संबंध में मनेन्द्रगढ़ जनपद पंचायत से पूछे जाने पर जनपद पंचायत के द्वारा बताया गया कि जिला पंचायत कोरिया के निर्देशानुसार प्रशासकीय स्वीकृति जारी की गई।
ग्राम पंचायत महाराजपुर में लगभग 60.00 लाख एवं उजियारपुर में 27.00 लाख की स्वीकृति जारी की गई। उपरोक्त स्थल पर कई कार्य स्थल उपयुक्त नही है एवं पूर्व में स्वीकृत होने का अंदेशा है। संबंधित ग्राम पंचायतों में निर्माण कार्य का प्राक्लन जिला पंचायत द्वारा सीधे संपर्क कर बुलाकर अपने हिसाब से कार्य प्रस्तावित किया गया है। उक्त कार्य में क्षेत्रीय जनपद सदस्य एवं ग्राम पंचायत के अन्य सदस्यों से अनुमति नही ली गई है।
रीपा योजना पिपरिया एवं परसगढी में मशीन का क्रय ग्राम पंचायत के माध्यम से जिला पंचायत के द्वारा कराया जा रहा है, जिसमें सच्चाई यह है कि संबंधित मशीनों के क्रय में सामाग्री प्रदायकर्ता को ग्राम पंचायत / जनपद पंचायत मनेन्द्रगढ़ के द्वारा पहचानते भी नही ऐसी स्थिति में सामाग्री क्रय में भंडार क्रय नियमों का पालन नही किया गया। वह प्रदाय की गई सामाग्री का गुणवत्ता भी संदेह के दायरे में है। सभी सामाग्री सुनियोजित ढंग से जिला पंचायत कोरिया के द्वारा प्रदाय की गई है। जिसमें भारी मात्रा में लेन देने की आशंका है।
रीपा योजना में मशीन स्थापना प्रिंट कार्ड में जनपद पंचायत के क्षेत्रीय जनपद सदस्य एवं जनपद उपाध्यक्ष को शामिल नही करने से सभी सदस्यों में आक्रोश बना हुआ है। कार्ड के संबंध में जनपद पंचायत मनेन्द्रगढ़ से पूछे जाने पर जानकारी दिया गया कि कार्ड की प्रिंटिंग जिला पंचायत कोरिया से कराई गई है एवं वितरण तहसीलदार मनेन्द्रगढ़ के माध्यम से कराई गई है। अमृतधारा महोत्सव 2022 में भी इसी तरह का उपेक्षा किया गया था। जिसकी पुनरावृत्ति बार बार किए जाने सभी सदस्यगण आक्रोशित हैं।
गौण खनिज की 100% राशि संबंधित ग्राम पंचायतों को एक मुश्त प्रदाय हेतू निरंतर जिला पंचायत कोरिया के द्वारा दबाव बनाया जा रहा है। जबकि जिला पंचायत से स्वीकृत निर्माण कार्यों के प्रथम किश्त 50% ही जारी की जाती है, पूर्व में भी गौण खनिज मद का राशि जिला पंचायत कोरिया के द्वारा इस मान से जारी की गई है। ऐसी स्थिति में जिला पंचायत एवं जनपद पंचायत में पृथक-पृथक कि नियमों के तहत संचालित कराई जा रही है। नियम की प्रति जिला पंचायत कोरिया से पदाय कराने का कष्ट करें।
इधर प्रेस रिलीज में जिला पंचायत सीईओ ने बताया कि गौण खनिज उत्खनन से प्राप्त होने वाली रायल्टी राशि से प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्य कराए जाने के लिए दो करोड़ से ज्यादा राशि जनपद पंचायतों को प्रदान कर दी गई है। इस संबंध में जानकारी देते हुए जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी नम्रता जैन ने बताया कि कोरिया जिले के जनपद पंचायत बैकुण्ठपुर एवं एमसीबी जिले के जनपद पंचायत मनेन्द्रगढ़, जनपद पंचायत भरतपुर तथा जनपद पंचायत खड़गंवा के अंतर्गत विभिन्न ग्राम पंचायतों से गौण खनिज का दोहन किया जाता है। इससे खनिज विभाग को प्राप्त होने वाली रायल्टी राशि जिला स्तरीय खनन समिति के अनुमोदन पश्चात उन खनन प्रभावित क्षेत्रों में मूलभूत कार्यों के लिए वापस प्रदान की जाती है। उन्होने बताया कि अविभाजित कोरिया जिले के चिन्हित ग्राम पंचायतों को वित्तीय वर्ष 2019-20 के समयावधि में हुए खनन के क्षतिपूर्ति के एवज में दो करोड़ चार लाख छब्बीस हजार रूपए की राशि जिला पंचायत को खनिज विभाग के माध्यम से गत माह प्राप्त हुई। इसमे बैकुण्ठपुर जनपद पंचायत के अंतर्गत ग्राम पंचायत बस्ती, नरकेली, खांड़ा, जगतपुर, अमरपुर तथा मूड़ीझरिया तथा जनपद पंचायत खड़गंवा के ग्राम पंचायत बरमपुर, मझौली, सैंदा व ग्राम पंचायत खड़गंवा शामिल हैं। इसी तरह गौण खनिज प्रभावित ग्राम पंचायतों में मनेन्द्रगढ़ की ग्राम पंचायत महराजपुर, उजियारपुर, मोरगा, डोमनापारा, हस्तिनापुर तथा जनपद पंचायत भरतपुर की ग्राम पंचायत सिंगरौली शामिल है। इन क्षेत्रों में होने वाले खनन के बाद मिलने वाली रॉयल्टी राशि से होने वाले विकास कार्यों का चयन ग्राम पंचायतों के द्वारा किया जाता है। जिला पंचायत सीइओ ने इस रायल्टी राशि के खर्च संबंधी निर्देश के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि संबंधित ग्राम पंचायत स्वयं अपने विकास कार्यों का कार्य प्रस्ताव तैयार कर जनपद पंचायतों को प्रस्तुत करती हैं। ग्राम पंचायत के प्रस्तावों को जनपद पंचायत द्वारा जांच कर जिला पंचायत में प्रेषित किया जाता है और जनपद द्वारा प्रस्तावित कार्यों का अनुमोदन जिला पंचायत द्वारा किया जाता है साथ ही समस्त राशि सीधे जनपद पंचायतों को आवंटित कर दी जाती है। ग्राम पंचायतों से संबंधित जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ही खनन प्रभावित ग्राम पंचायतों में होने वाले विकास कार्यों का प्रशासकीय स्वीकृति आदेश जारी करते हैं। जिला पंचायत सीइओ ने बताया कि जनपद पंचायत बैकुण्ठपुर को रायल्टी के रूप में 64 लाख 29 हजार रूपए तथा जनपद पंचायत खड़गंवा को 23 लाख 17 हजार रूपए, जनपद पंचायत मनेन्द्रगढ़ को 1 करोड़ 11 लाख 35 हजार रूपए तथा जनपद पंचायत भरतपुर को 5 लाख 45 हजार रूपए जारी कर दिए गए हैं। जनपद पंचायतों से जारी प्रशासकीय स्वीकृती आदेश के प्रावधानों के अनुसार उक्त राशि का उपयोग ग्राम पंचायतें कर सकती है।
जिला पंचायत सीईओ नम्रता जैन के अनुसार जो गौण खनिज नियम है। उसके अनुसार रॉयल्टी की राशि प्राप्त होती है। नियमानुसार जनपद ने हमें प्रस्ताव भेजा और हमने प्रस्ताव के आधार पर अनुमोदित किया। इसकी प्रशासकीय स्वीकृति जनपद पंचायत सीईओ के माध्यम से ही किया गया है। यह राशि प्रभावित क्षेत्रों के लिए ग्रामवार नामों के साथ आती है। उसी के अनुसार यहां जिला पंचायत से जनपद पंचायत को राशि हस्तांतरित कर दी गई।
सवाल इस बात का किसी ग्राम पंचायत में एक मुश्त गौण खनिज रॉयल्टी राशि खर्च का विवाद क्यों पैदा हुआ ? या इस विवाद होने की पीछे की नियत कुछ और ही है ? यहां सत्ता पक्ष के जनप्रतिनिधि उपेक्षा का आरोप लगा रहे हैं तो सामने नियमानुसार वाली तटस्थता अडिगता दिख रही है।