छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 28 अगस्त 2022। हेल्थ डिपोर्टमेंट के एक बुलेटिन के अनुसार असम में जापानी इंसेफेलाइटिस की वजह से अब तक 85 लोगों की जान जा चुकी है. यह आंकड़ा केवल 2 महीने का है. वहीं पिछले नौ दिनों में इसके प्रभावित होने से 10 लोगों की मौत हुई है. बुलेटिन के मुताबिक जुलाई से अबतक इस बीमारी से 390 लोग इन्फेक्टेड हुए हैं. स्वास्थ्य विभाग ने इसे लेकर चिंता जाहिर की है. प्रदेश में इस बीमारी के मामले और भी बढ़ रहे हैं. लोगों को सावधानी बरतने की जरुरत है.
मच्छर के काटने से फैलता है इंसेफेलाइटिस
दरअसल यह एक वायरल ब्रेन इंफेक्शन है जो कि मच्छर के काटने से फैल रहा है. यह वायरस सुअर और पक्षियों में पाया जाता है. अगर संक्रमित जानवर को मच्छर काटता है तो यह उसके अंदर चला जाता है. इस वायरस से होने वाली मृत्युदर और गंभीर हालातों को देखते हुए एक डिस्ट्रिक्ट रेपिड रिस्पॉन्स टीम गठित की गई थी. यह कोई संक्रामक बुखार नहीं है क्योंकि यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है, बल्कि मच्छर के काटने से फैलता है.
गाइडलाइन्स का हो रहा पालन
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि नेशनल हेल्थ मिशन असम ने जो गाइडलाइन जारी की है उसके अनुसार सारे बचाव के उपाय किए जा रहे हैं. इस बुखार के मामलों में कमी लाने के लिए गाइडलाइन्स का पालन किया जा रहा है. नौ मेडिकल कॉलेज और 10 जिला अस्पतालों को जापानी इंसेफेलाइटिस के ट्रीटमेंट के लिए तैयार किया गया है.
क्या हैं लक्ष्ण
इस बुखार से पीड़ित व्यक्ति के शरीर में लक्षण 5-10 दिनों के भीतर दिखाई देते हैं. इसमें शुरुआत में तेज सिरदर्द, बुखार, कंपकपी जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं. कुछ गंभीर मामलों में पीड़ित व्यक्ति के कोमा में जाने की संभावन भी रहती है. इस बुखार के लक्षण शुरुआती दिनों में दिखाई नहीं देते हैं. अगर होते भी हैं तो बहुत आंशिक रूप से दिखाई देते हैं.
इससे बचाव के लिए जितना हो सके लोगों को मच्छरों से बचने की सलाह दी जाती है. पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनने की और मच्छरदानी इस्तेमाल की सलाह भी दी जाती है. इस बुखार का टीका भी मौजूद है जिसे लगवाया जा सकता है.