देश को कोयले के रूप में ऊर्जा देने वाले सालों पहले बंद हो चुकी कुरासिया भूमिगत खदान में धधकती आग से फटी जमीन, कई मकान क्षतिग्रस्त और सड़क में दरार

Chhattisgarh Reporter
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बंद हो चुकी पुरानी खदानों में एसईसीएल के अधिकारियों की गई गलतियों का परिणाम की सजा पा रहे हैं रहवासी ? 

प्रभावित लोगों को पास के स्कूल में कराया गया शिफ्ट

साजिद खान

कोरिया 04 फरवरी 2021 (छत्तीसगढ़ रिपोर्टर)। – एक कहावत है ” करे कोई और भरे कोई। ” कंपनी नोटिस देकर डराती रही और दूसरी तरफ दुर्घटना से प्रभावित कुछ लोगों को पूर्व में पट्टा बांट कर वोट की राजनीति कौन करता रहा ? आखिर में किसका बिगडा उन्ही लोगों का जिन्होने अपना छोटा सा घर बनाया। अपने छोटे से घर को सजाया। पारिवारिक जीवन चलाया। आज उन्ही पर बन आई जिन्होने अपनी मेहनत से जिस जमीन पर अपने घर सजाए वही जमीन धंसकने की स्थिति में आ खडी हुई है।

ज्ञात हो कि सोमवार की रात चिरिमिरी नगर निगम के घडी चौक स्थित हल्दीबाडी वार्ड नंबर 12 के महुआ दफाई में जमीन के नीचे से पटकने की आवाजें आईं तो घर के लोगों ने बाहर निकलकर देखा कि सडक में दरारें आ गई हैं। फिर सुबह जब देखा गया तो ज्यादा धंसकने के कारण कई घरों में दरारें आ चुकीं थी। घर क्षतिग्रस्त हो चुके थे। सडक को देखा गया तो दरारें बहोत ज्यादा चौडी हो चुकी थीं। कुछ घर जमीन में धसनें की कगार पर भी नजर आ रहे हैं। एक-दो घर तो धंसे भी है। प्रभावित स्थल पर रहवासी बस्ती के साथ चिरिमिरी शाखा का भारतीय स्टेट बैंक, इंडेन गैस के गोदाम, छत्तीसगढ़ विद्युत विभाग का कार्यालय और देशी व विदेशी मदिरा दुकान भी कार्यरत रहे। जिनको अन्यत्र शिफ्टिंग निर्देश हैं। सडक में आई दरारों में मिट्टी फिलिंग कर दिया गया है।

इस दुर्घटना की चपेट में लगभग 10 या 14 रहवासियों के मकानों के साथ, एसईसीएल का स्टेट बैंक भवन, छत्तीसगढ़ विद्युत विभाग के कार्यलय में दरारें पड गई । इस घटना से स्थानीय लोगों में दहशत का माहौल है। घटना दिन से ही चिरिमिरी नगर निगम महापौर, चिरिमिरी पुलिस, एसडीएम, चिरिमिरी की सामाजिक संस्थाएं वैकल्पिक व्यवस्थापन और प्रभावितों की सुरक्षा को लेकर मदद में डटे रहे। मंगलवार के दिन ही मौके स्थल पर कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, एसईसीएल चिरिमिरी महाप्रबंधक के साथ राजनितिक दलों के जनप्रतिनिधिगणों का भी दौरा हुआ। 

मौके स्थल पर दौरे के दौरान कलेक्टर से प्रभावित महिलाओं की मार्मिक याचना :-

कलेक्टर ने मंगलवार को जब दुर्घटना स्थल का दौरा किया तो बहोत मार्मिक दृश्य देखने को मिला जब दुर्घटना से प्रभावित महिलाएं जिले के कलेक्टर से अपनी दर्द भरी याचना कर रहीं थीं और कलेक्टर गौर से सुन रहे थे महिलाएं कह रही थी कि सर हमको घर के बदले में घर चाहिए। हम कहां जाएंगे। हमारा कोई है नही सर। सारा समान उसी घर में है सर। बच्चे उस लाइक में नही हुए हैं। हम कहां जाएंगे सर … । 

अगर पट्टा मिला है और वहां पर डेमेज होता है तो अल्टरनेट उनको दूसरी जगह पर जमीन दिया जा सकता है : कलेक्टर :-

दुर्घटना पर पहुंचे कलेक्टर से जब पत्रकारों के द्वारा इस दुर्घटना को लेकर जानकारी ली गई तो उन्होने बताया कि इस तरह की जानकारी मिली। एसईसीएल प्रबंधन, नगर निगम , प्रशासन और पुलिस प्रभावित लोग और उनके जनप्रतिनिधि आए थे। उनके साथ बैठ के काफी डिटेल डिस्कशन हुआ है। सबसे पहले उन लोगों को पास के स्कूल में व्यवस्था के तहत ठहराया गया है। एसडीएम, नगर निगम और प्रशासन की जो टीम है वो अच्छे से पूरा सर्वे करेगी कि कहां हम उनको अल्टरनेट जमीन दें या मकान की व्यवस्था की जा सकती है। सर्वे होगा फिर फाइनल होगा। उन्होने कहा कि उन लोगों का बेजा कब्जा किया हुआ है। लेकिन बता रहे थे कि चार या पांच लोगों का राजीव आश्रय योजना के तहत पट्टा मिला हुआ है। अगर पट्टा मिला हुआ है तो निश्चित रूप से वह राज्य सरकार की जमीन होगी। अगर पट्टा मिला है और वहां पर डेमेज होता है तो अल्टरनेट उनको दूसरी जगह जमीन दिया जा सकता है। इसमे आर.बी.सी. 6-4 के तहत जो सर्वे हो चुका है नियम से जो मुआवजा मिलता है। उसको हम दिलाएंगे।

इस दुर्घटना के लिए कई बिन्दुओं पर बहोत से सवाल पर सवाल पैदा होते है ;-

भूमि अधिग्रहण करने के बाद खदान संचालन करने और डव्लपमेंट करने के बाद वापसी में डिप्लेरिंग (बंद) करने के समय डीजीएमएस की कुछ शर्तें होती हैं। सालों पहले संचालित होकर बंद हो चुकी इस खदान में क्या बंद करने वाली शर्तों का पालन किया गया ? बताते हैं कि प्रभावित जमीन के नीचे सालों पहले कुरासिया भूमिगत खदान संचालित हो चुकी है और आज सरफेस में बसाहट बस चुकी है। सवाल यह पैदा होता है जमीन क्यों धंसी और दरारें क्यों आई ? दरारों से गैस कैसे निकलने लगी ? सालों पहले संचालित भूमिगत खदान को डिप्लेरिंग (बंद) करते समय क्या वहांं कोयला छोड़ दिया था। क्यों छोड़ा गया जांच का विषय है। वही कोयला सरफेस के किसी जगह से आक्सीजन पाकर आज तक जल कर राख का रूपधारण रहा चुका होगा। आज बंद खदान के ऊपर (सरफेस) में प्रभावित जमीन में बसाहट बस चुकी है। सवाल यह भी पैदा होता है कि कुरासिया की यह बंद हो चुकी भूमिगत खदान चिरिमिरी के इसी हिस्से तक प्रभावित बसाहट के नीचे तक संचालित हुई है या और भी दूर कहां तक संचालित हुई ? जांच का विषय है ? एक बारिक सवाल यह भी है कि भूमिगत किस-किस पैनल के हिस्से में जाकर डिप्लेयर्ड हुआ और सपोर्ट ना होने के कारण कोयला नही निकालने के बजाए वहीं-वहीं पर कोयला छोड दिया गया ? क्या वहीं-वहीं का कोयला जलकर राख बन कर जमीन को धंसाकर दरार (गोफ) बना रहा है। वहीं से गैस का रिसाव हो रहा है। पूरे चिरिमिरी क्षेत्र की स्थिति बंद हो चुकी भूमिगत खदानों से निकलने वाली गैंसों व दरारों के लिए कुछ इसी तरह की है। जिसमें गोफ में मिट्टी फिलिंग एसईसीएल चिरिमिरी एरिया के द्वारा कराया जाता है। क्या मिट्टी फिंलिग अधिकारियों के स्रोत का साधन है ? एक जानकारी में पता चला कि इस धंसे प्रभावित हिस्से तक नीचे भूमिगत एरिया में एनसीपीएच भूमिगत R/6 खदान का एक पैनल भी डव्लपमेंट करते हुए पहुंच रहा था। लेकिन कई कारणों से रोक दिया गया। इस बात में कितना सच है जांच से ही पता लग सकता है।इस प्रभावित एरिया के लिए सवाल यह भी उठता है कि सालों पहले संचालित हुई कुरासिया खदान नियमानुसार जिससे ली गई थी क्या नियमत: उसको हस्तांतरित हो चुकी है। यदि इस नियम का पालन कर दिया गया है और जमीन राजस्व से ली गई थी तो जमीन फिर राजस्व की कही जा सकती है। क्योंकि जानकारी के अनुसार किसी भी खदान के अधिग्रहण की एक अवधि निर्धारित होती है। यदि ऐसा है तो हो सकता है कि नियमानुसार राजीव आश्रय योजना का पट्टा बंटा गया होगा। और यदि भूमि का आज तक हस्तांतरण नही हुआ तो इसका अर्थ यह हुआ कि भूमि आज तक एसईसीएल के प्रशासनिकता में है। तब सवाल यह पैदा होता है कि वहां पर स्थित राष्ट्रीयकृत चिरिमिरी शाखा के भारतीय स्टेट बैंक की दिवारों में आई दरारों का जिम्मेदार कौन हुआ ? कौन उसका किराया लेता रहा ? भवन किसका है ? जांच का विषय है। जबकि बताया जाता है कि उसी दुर्घटना स्थल पर रहवासियों को वहां से हटने का नोटिस एसईसीएल देता रहा। और बैंक को खतरे में डालकर उससे किराया कौन लेता रहा ? गजब गजब।

भूमिगत खदान में अब कोयला भूमिगत एरिया में नही छुटे चिरिमिरी वासियों को सतर्क रहने की जरुरत :- 

चिरिमिरी वासियों को अब वर्तमान में संचालित भूमिगत खदानों पर नजर रखने की जरुरत होगी कि डव्लपमेंट करते हुए आखिर में डिप्लेरिंग के दौरान एसईसीएल के अधिकारी खदान के अंदर कोयला न छोड़ कर चले जाएं क्योंकि स्थानांतरण की प्रकिया में एक अधिकारी आते हैं यहां वाले स्थानांतरित होकर चले जाते हैं। इसके लिए चिरिमिरी वासियों को ही सतर्क रहने की जरूरत पड़ेगी और एसईसीएल के अधिकारियों से जानकारी लेते रहना पडेगा। चूंकि कोयला राष्ट्र की संपत्ति है। डव्लपमेंट के बाद डिप्लेरिंग के दौरान पूरा कोयला निकाला जाए। यदि पूरा कोयला निकल जाएगा तो खदान के अंदर ना कोयला जलेगा। ना कोयला जलकर राख बनेगा और ना ही गैस का रिसाव होगा।

पूर्व प्रकाशित खबर में “छत्तीसगढ़ रिपोर्टर” ने चिरिमिरी के बड़ी बाजार नाला के नीचे लगी और ऊपर बसी बस्ती के विस्थापन और पुनर्वास को लेकर ” नीचे कोयले में धधकती आग और ऊपर झूलसती जिंदगियां ” शीर्षक से खबर प्रकाशित किया था। आज भी वहां की विस्थापन की प्रकिया लटकी हुई लगती है :-

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