छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
बालोद 27 अगस्त 2022। छत्तीसगढ़ में बालोद जिले के एक गांव में स्थित ऐतिहासिक कुकुर देव मंदिर है. जहां पर स्थापित भगवान शिव जी की मूर्ति के पास स्वामी भक्त कुत्ते की प्रतिमा जो कि लोगो के लिये आस्था का प्रमुख केन्द्र है. वास्तव में यह एक स्मृति स्मारक है जो कि भगवान शिव जी को समर्पित है. वहीं, क्षेत्र सहित दूर दूराज इलाकों से लोग यहां श्रद्वापूर्वक आते है. माना जाता है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई मुरादे पूरी होती है. वहीं, लोगों की अटूट आस्था इस स्थल के प्रति बनी हुई है. ऐसे में नवरात्रि के अवसर पर यहां भक्तों के द्वारा मनोकामना ज्योतिकलश भी प्रज्वलित किए जाते है.
दरअसल, बालोद जिला मुख्यालय से महज 6 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम खपरी है. जहां कुकुर देव मंदिर है, इसी मंदिर की वजह से यह गांव आज समूचे राज्य मे प्रसिद्व है. इस ऐतिहासिक और पुरातत्वीय मंदिर का निर्माण फणी नागवंशीय शासको द्वारा 14वी 15वी शताब्दी के मध्य कराया गया है. गर्भ गृह मे जलधारी योनिपीठ पर शिवलिंग स्थापित है. इसके साथ ही उसी के पास स्वामी भक्त कुत्ते की प्रतिमा भी स्थापित है. जहां पर लोगो की अटूट आस्था इस स्थल के प्रति है. इस मंदिर के निर्माण को लेकर एक रोचक किदवंती प्रचलित है.
कुकुर देव मंदिर में भक्त कुत्ते की प्रतिमा
जानिए क्या हैं पूरा मामला?
बता दें कि, बहुत पहले एक बंजारा कर्ज न छुटा पाने की स्थिति में साहूकार को अपना पालतू कुत्ता दे दिया था. जिसके बाद साहूकार के यहां जब चोरी हुई तो उस कुत्ते की चालाकी से चोरी हुये सभी जेवरात व समान साहूकार को वापस मिल गया. ऐसे में साहूकार बेहद खुश हुआ और उस कुत्ते को उसके मालिक के पास वापस भेज दिया. इस दौरान उसके स्वामीभक्त होने का एक पर्ची उसके गले मे लगा दी गई. बंजारे के पास कुत्ता जैसे ही पहुचा तो बंजारा अपने कुत्ते के प्रति सख्त नाराज हुआ. बिना सोचे समझे उसने कुत्ते को मार दिया. उसे लगा कि मैं कुत्ते को साहूकार के पास छोड़कर आया हू और यह वापस आ गया. लेकिन जब पर्ची पढ़ा तो वह पश्चाताप करने लगा. बंजारा के द्वारा अपने कुत्ते को इसी स्थल में दफन किया. स्वामी भक्त कुत्ते की याद में यह दफन स्थल बनवाया गया. जहां पर फणी नागवंशीय शासको द्वारा 14वी 15वी शताब्दी के मध्य इस मंदिर का निर्माण कराया गया.