छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 04 अप्रैल 2022। फ्रांस में पिछले कुछ सालों से एक परंपरा रही है कि चुनाव जीतने के बाद राष्ट्रपति पहले जर्मनी जाते हैं और दोनों देशों के मजबूत संबंधों पर चर्चा होती है। साल 2012 में चुनाव जीतने के बाद फ्रांस्वा ओलांद भी बर्लिन गए थे और तत्कालीन जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल से मुलाकात की थी। इसके बाद 2017 में जब इमैनुएल मैक्रों ने चुनाव जीता तो वह भी जर्मनी गए। हालांकि इस बार योजना बदल गई है। चुनाव जीतने के बाद राष्ट्रपति मैक्रों से मिलने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले विदेशी नेता होंगे। प्रधानमंत्री मोदी आज राष्ट्रपति मैक्रों से मुलाकात करने वाले हैं।
बताया गया है कि मोदी मात्र चार-पांच घंटे के लिए फ्रांस में रहेंगे। मोदी वर्तमान में डेनमार्क की यात्रा पर हैं, वह अपनी वापसी के दौरान पेरिस में कुछ समय के लिए रुकेंगे। इस दौरान उनकी मुलाकात इमैनुअल मैक्रों से होगी और दोनों देशों की रणनीतिक साझेदारी पर चर्चा होगी। दोनों नेताओं की मुलाकात की तैयारियां पैरिस में पहले ही शुरू हो गई है। राष्ट्रपति मैक्रों के साथ बैठक के बाद दोनों नेता संयुक्त बयान जारी करेंगे। पीएम मोदी और इमैनुएल मैक्रों बुधवार को अपनी बैठक के दौरान यूक्रेन संकट के वैश्विक आर्थिक परिणामों को कम करने के साथ-साथ युद्धग्रस्त देश (यूक्रेन) में शत्रुता को समाप्त करने के उपायों पर चर्चा कर सकते हैं। यह जानकारी राजनयिक सूत्रों ने दी।
सूत्रों ने कहा कि चर्चा इस विषय पर भी केंद्रित होगी कि रक्षा निर्माण के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की भारत की आकांक्षा में फ्रांस कैसे भारत का ‘‘पसंदीदा साझेदार’’ बना रह सकता है। उन्होंने कहा कि वार्ता के दौरान प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष और ऊर्जा के क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने के तरीकों पर भी चर्चा होगी। सूत्रों ने कहा कि दोनों नेता इस बात पर भी चर्चा करेंगे कि यूक्रेन में शत्रुता की समाप्ति कैसे सुनिश्चित की जाए और इस संघर्ष के वैश्विक आर्थिक परिणामों को कैसे कम किया जाए। उन्होंने कहा कि वार्ता में क्षेत्र हिंद-प्रशांत में चुनौतियों से एकजुट होकर निपटने पर भी जोर दिया जाएगा।
सूत्रों ने कहा कि उम्मीद है कि मोदी और मैक्रों हिंद-प्रशांत क्षेत्र में ‘समाधान के सकारात्मक एजेंडे’ को तेज करने के उपाय भी तलाशेंगे। एक राजनयिक सूत्र ने कहा, ‘‘यह यात्रा राष्ट्रपति मैक्रों के फिर से चुने जाने के तुरंत बाद हो रही है, इसे विश्वास और दोस्ती के एक असाधारण संकेत के रूप में देखा जा रहा है।’’ सूत्रों ने कहा कि चुनावी जीत के कुछ दिनों बाद मैक्रों से मोदी की मुलाकात बेहद प्रतीकात्मक है। सूत्रों ने कहा कि यह एक मजबूत संकेत देता है कि दोनों नेता आने वाले वर्षों के लिए भारत-फ्रांस साझेदारी को अपनी विदेश नीति का मार्गदर्शक सिद्धांत बनाना चाहते हैं।
मोदी-मैक्रों की मुलाकात से पहले फ्रांस ने दिया बड़ा झटका
प्रधानमंत्री मोदी की फ्रांस यात्रा से पहले फ्रांस की प्रमुख हथियार कंपनी नेवल ग्रुप ने पी-75 इंडिया प्रोजेक्ट से खुद को बाहर कर लिया है। इस प्रोजेक्ट के तहत भारतीय नौसेना के लिए छह पारंपरिक पनडुब्बियां बनाई जानी थीं। इस प्रोजेक्ट के लिए पांच अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को शॉर्टलिस्ट किया गया था, नेवल ग्रुप इनमें से एक है। ग्रुप ने कहा है कि भारत प्रपोजल फॉर रिक्वेस्ट (आरएफपी) की शर्तों को पूरा नहीं कर सकता है, इसलिए कंपनी इस प्रोजेक्ट में भाग लेने में असमर्थ है।
क्या है पी-75 प्रोजेक्ट?
भारत में P-75 पनडुब्बियों के निर्माण का दूसरा प्रोजेक्ट है। नेवल ग्रुप ने ये प्रोजेक्ट मझगांव डॉकयार्ड शिपबिल्डिंग नाम की भारतीय कंपनी के साथ किया है। इस प्रोजेक्ट पर 2005 में फ्रांस के साथ भारत की डील हुई थी, नौसेना समूह को तब DCNS कहा जाता था। जिन छह पनडुब्बियों का निर्माण किया जाना है, उनमें से चार नौसेना में कमीशन भी की जा चुकी हैं। छठी पनडुब्बी का निर्माण इसी साल मार्च-अप्रैल में शुरू हुआ है। इसे 2023 के अंत तक भारत में कमीशन किया जाना है।