छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 02 दिसम्बर 2021। किसानों का आंदोलन अभी खत्म होगा या नहीं? अभी इसपर सस्पेंस बना हुआ है। किसान संगठनों की बुधवार को होने वाली बैठक बेनतीजा रही। जिसके बाद कई किसान नेता अभी इस दुविधा में हैं कि दिल्ली के विभिन्न सीमाओं पर चल रहा आंदोलन खत्म होगा या फिर भविष्य में जारी रहेगा। सिंघू बॉर्डर पर हुई एक बैठक के बाद संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से एक बयान जारी कर कहा गया कि बीजेपी सरकार को किसानों के बीच फूट डालने से बचना चाहिए। बयान जारी कर किसानों और मीडिया से यह भी आग्रह किया गया कि वो उन रिपोर्टों पर विश्वास ना करें जिनमें कहा जा रहा है कि आंदोलन अब खत्म हो चुका है। संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से संकेत दिया गया है कि वो वरिष्ठ किसान नता बलबीर सिंह राजेवाल का नाम एमएसपी कमेटी के लिए आगे कर सकता है। इधर राकेश टिकैत ने कहा है कि किसान संगठनों की बैठक चार दिसंबर को होनी है। उन्होंने कहा कि जब तक किसानों की सभी मांगों का सामाधान नहीं होता, यह आंदोलन चलता रहेगा। किसान नेता ने कहा, ‘सरकार को आम सहमति से रास्ता निकालना चाहिये, किसानों से बातचीत करनी चाहिये।’
मंगलवार को यूनियन नेताओं की तरफ से एक संकेत दिया गया था कि उनकी एक बैठक बुधवार को सिंघु बॉर्डर पर होगी, जिसमें 40 से अधिक किसान संगठन भाग लेंगे। किसान यूनियनों का कहना है कि सरकार की ओर से प्रस्तावित समिति पर उनके सामने अभी कोई ठोस प्रस्ताव नहीं आया है। समिति का स्वरूप क्या होगा, इस बारे में हमें कोई जानकारी नहीं है। उनका यह भी कहना है कि सरकार की ओर से कोई ठोस प्रस्ताव आएगा तो उस पर विचार करेंगे। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के नेता डॉ. दर्शन पाल ने कल कहा था कि आगामी चार दिसंबर को होने वाली किसान संगठनों की बैठक में समिति में किसानों के नाम भेजे जाने पर विचार किया जायेगा और आंदोलन की आगे की दिशा तय होगी। उन्होंने कहा कि जब तक किसानों की सभी मांगें पूरी नहीं होती, तब तक आंदोलन खत्म नहीं होगा।
गौरतलब है कि तीन नये कृषि कानूनों को रद्द किये जाने की मांग को लेकर किसानों ने पिछले साल 26 नवंबर को आंदोलन किया था और इस साल 26 जनवरी को उनके दिल्ली मार्च आंदोलन के दौरान बड़े पैमाने पर राजधानी में हिंसा हुयी थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को गुरू पर्व के दिन राष्ट्र के नाम संबोधन में इन कानूनों को वापस लेने की घोषणा की थी और संसद के वर्तमान शीतकालीन सत्र के पहले दिन 29 नवंबर को लोकसभा और राज्यसभा में इन कानूनों को वापस लेने का विधेयक पारित करा लिया गया। प्रधानमंत्री ने एमएसपी और फसल विवधिकरण और ऐसे अन्य मुद्दों पर एक समिति बनाने की घोषणा की है। किसान नेता एमएसपी की कानूनी गारंटी, आंदोलने के दौरान मृत किसानों के परिजनों को मुआवजा, किसानों पर दर्ज मुकदमों की वापसी, बिजली बिल की माफी और अन्य मामलों को लेकर अभी भी अड़े हुये हैं।