पर्यावरण और वन विभाग के अलावा जिला प्रशासन जिले की लगातार बिगड़ती पर्यावर्णीय स्थिति को ध्यान दिए बगैर लगातार करवा रहे है औद्योगिक जनसुनवाई
3/5 मार्च को एनआर इस्पात तथा 12 मार्च 2021 में ही बी एस स्पंज की जनसुनवाई प्रस्तावित है
छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
रायगढ 05 फरवरी 2021। बीते कुछ सालों में अंधे-औद्योगिकीकरण की वजह से जिले की आबोहवा पहले ही बुरी तरह से प्रदूषित हो चुकी है,जिसका दुष्प्रभाव अब आमजनों के जीवन में सीधे तौर पर पड़ता दिख रहा है। भयंकर प्रदूषण से आज हालात इस हद तक बदत्तर हो चुके है कि जिले और शहर के उद्योग प्रभावित क्षेत्रों में आम आदमी का सांस लेना तक दूभर हो गया है।
बीते कुछ वर्षों में जिले की लगातार बिगड़ती पर्यावरणीय स्तिथि के कारण जिले में गम्भीर बीमारियों से ग्रसित लोगो की संख्या भी काफी तेजी से बढ़ने लगी है। यही नही उद्योग प्रभावित क्षेत्रों के 90 फीसदी प्राकृतिक जल स्रोत और भूगर्भ जल तक प्रदूषित हो गया है। बड़े तालाबो और नदी-नालों का पानी भी पूरी तरह से उपयोग हीन और जलचरों से विहीन हो चुका है।
लगातार बिगड़ते हालात को लेकर कई राष्ट्रीय-अंतराष्ट्रीय संस्थाओं ने अपनी रिपोर्ट में रायगढ़ जिले के पर्यावरण को रेड जोन में रखने की बातें कह चुके है। रेड जोन में आने का मतलब प्राणवायु में भारी कमी का या विषाक्त होना है।
आज जिले की हवा में पीएम-10 पी एम 2 पार्टिकल की मात्रा बढ़ने के कारण जहाँ शुद्ध हवा पूरी तरह से जहरीली हो चुकी है। परन्तु इसके नियंत्रण को लेकर अब भी जिला प्रशासन और पर्यावरण विभाग गम्भीर नही हुआ है। इनकी वजह से रायगढ देश के सबसे प्रदूषित शहरो में शुमार हो चुका है।
विशेषज्ञों की माने तो शहर में सांस लेने वाला प्रत्येक व्यक्ति प्रति जाने- अनजाने में प्रति घण्टे 12 सिगरेट के बराबर की जहरीली हवा अपने फेफड़ों में भर रहा है और इस वजह से शहर और जिले में कैंसर,दमा और सांस लेने की समःया,स्किन इंफेक्शन सहित ब्रेन स्ट्रोक जैसी जानलेवा बीमारियां भी आम बीमारी बन चुकी है। पहले से ही शहर के आसपास की 70 से अधिक औद्योगिक चिमनियों ने वतावरण में बड़े पैमाने पर जहरीले और जानलेवा रसायन घोल रखा है। ऊपर से स्लैग/फ्लाई एस डस्ट ने बची खुची कसर को पूरी कर दिया है। जिससे जिले कि हवा तो हवा पानी और भूगर्भ जल भी प्रभावित हुआ है। इन चिमनियों से निकलने वाले विषैले धुओं में मुख्यतः कार्बन डाई आक्साइड व कार्बन मोनो आक्साइड,सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और सीसा जैसे जानलेवा रसायन मिश्रित है जो जिले की हवा में मौजूद शुद्ध आक्सीजन को दिनों-दिन जहरीला बना रहे हैं।
पर्यावरण और गम्भीर सामाजिक मुद्दों पर मुखर बोलने वाले समाजिक कार्यकर्ता राधेश्याम शर्मा कहते है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों को दर किनार कर कुछ लालची प्रशासनिक अधिकारियों ने पूंजीपथरा क्षेत्र में कोरोना काल के बावजूद दो जनसुनवाई सम्पन्न कराने के बाद वापस से आगामी दिनों में एन आर इस्पात के विस्तार की जन-सुनवाई 3 मार्च 2021 और नए प्लांट की स्थापना के लिए 5 मार्च 2021 के अलावा बी एस स्पंज आयरन की भी जन सुनवाई 12 मार्च 2021 भी प्रस्तावित किया है। दोनों ही प्लांटो की जनसुनवाई में प्रस्तुत ईआईए रिपोर्ट में पूंजीपथरा क्षेत्र में किसी तरह का जंगल का नहीं होना या हाथी प्रभावित क्षेत्र नहीं होना बताया गया है। जबकि वस्तुस्थिति की जानकारी शहर और जिले के हर आम आदमी को है। ऐसे में वह दिन दूर नही है जब प्रदूषण की मार झेल रहा जिले का आम आदमी खुद ही उठकर जिला पर्यावरण विभाग के कार्यालय में ताला जड़ने चला जायेगा।
इधर खःबर है कि हर बार की तरह इस बार भी आगामी तीनों जनसुनवाईयों में जिला प्रशासन के कुछ लालची और भ्रष्ट अधिकारियों की शह पर शासन और आम जनों को गुमराह करने की नीयत से उद्योग प्रबन्धन फ़र्ज़ी ईआईए रिपोर्ट का इस्तेमाल करने जा रहा है।
वही एक के बाद औद्योगिक जनसुनवाईयों को सम्पन्न कराने में लगे पर्यावरण विभाग को कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखकर भीड़ भाड़ से बचने के लिए सरकार के द्वारा जारी गाइड लाइन की भी कोई चिंता नही है। पूछे जाने पर इनके पास इस बात का कोई जवाब नही रहता है कि आपने किस आधार पर उक्त पर्यावर्णीय जनसुनवाई का प्रोपगेंडा तैयार किया है।
इन फ़र्ज़ी जनसुनवाइयों को लेकर जनचेतना के राजेश त्रिपाठी स्पष्ट कहते है कि आप शिवपाल भगत vs भारत सरकार को लेकर ngt के आदेश को देखे तो पाएंगे कि जिले में बिना पर्यावर्णीय स्थितियों की उपयुक्त जांच के किसी भी तरह की औद्योगिक जन सुनवाई वैध नही है। इसलिए हम इनके विरुद्ध कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार है।