राष्ट्रीय राजमार्ग चौरीकरण कार्य में जमद्वारी घाट और हसदो नर्सरी के पहाड़ों पर से वृक्षों के साथ अधिक मात्रा में निकले बोल्डर !
साजिद खान
कोरिया /छत्तीसगढ़ 10 दिसंबर 2020 (छत्तीसगढ़ रिपोर्टर)। जिले से होकर गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 43 में सडक चौरीकरण का कार्य करने वाली निर्माण कंपनी के अनुसार कार्य प्रगति पर है परन्तु इस चौरीकरण के प्रगति के पीछे इस निर्माणाधीन मार्ग के बगल में जमद्वारी घाट के पहाड़ और हसदो नर्सरी जंगल के पहाडों पर वर्षों से जमें बड़े- बडे बोल्डरों को जेसीबी से निकलवाकर बडे वाहनों से परिवहन करवा लिए जाने की खबर मिली। बहोत अधिक मात्रा में जमद्वारी घाट के पहाड़ों और हसदो नर्सरी जंगल के पहाडों पर से निकले बोल्डरों का उपयोग कौन करेगा ? जो उपयोग करेगा क्या उसको मुफ्त में मिल गया ? इस बात में कितना सच है और कितना झूठ ये तो जांच से ही पता लग सकता है। गर यदि इस विषय पर जांच हो तो।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय राजमार्ग 43 कोरिया जिले में मध्यप्रदेश की सीमा रामनगर बेरियर से आंरभ होता है और हसदो नर्सरी और जमद्वारी घाट के पहाड़ों से गुजरता है और ये हसदो नर्सरी के पहाड़ मनेन्द्रगढ़ वनमंडल के बिहारपुर वनपरिक्षेत्र के अंतर्गत आते हैं तथा जमद्वारी घाट के पहाड़ कोरिया वनमंडल के बैकुंठपुर परिक्षेत्र के अंतर्गत आते हैं। वर्तमान में इस राष्ट्रीय राजमार्ग 43 में करोड़ों रूपए की लागत से चौरीकरण और बड़े सेतूओं का निर्माण का कार्य चल रहा है। हसदो नर्सरी के पहाड़ों और जमद्वारी घाट के पहाड़ों पर वन विभाग के सीमांकित दिशानिर्देशानुसार सड़क चौरीकरण के लिए जेसीबी मशीन से पहाड़ को खोदा और तोडा गया और यकीनन इन पहाड़ों पर वर्षों उगे बड़े-बड़े वृक्षों को मार्किंग कर काटवाकर- मशीनों से उखडवाकर वन विभाग के काष्ठागार में भेजवाया गया। निर्माण(चौरीकरण) के दौरान वृक्षों को अपनी जगह से हटाने पर मुआवजा से लेकर तय किए गए अन्य जगहों पर वृक्षारोपण तक की शर्तें तय होती है। क्योंकि जंगल में वर्षों से उगे ये बड़े- बड़े वृक्ष वनसंपदा है। लेकिन सवाल यह पैदा होता है कि जैसे मशीनों से खोदे और तोड़े गए इन पहाडों पर निकले बड़े- बड़े वृक्ष वनसंपदा है तो मशीनों से खोदने व तोड़ने पर इन्ही पहाड़ों से निकले बड़े-बड़े बोल्डर क्या वनसंपदा की श्रेणी में नही आते हैं। इन बोल्डरों के लिए सुनने को मिला कि बड़े वाहनों द्वारा परिवहन करा कर ले जाया गया। तोडकर क्रशर करके कौन इन बोल्डरों का उपयोग करेगा ? यह तो जांच से ही पता चलेगा। बतौर दिखावे के लिए कुछ बोल्डर हसदो नर्सरी में निर्माणाधीन सड़क के किनारे करके छोड़ दिया गया है जबकि जमद्वारी घाट से तो हटा दिया गया है।
इस मामले में जब फोन पर कोरिया वनमंडल के बैकुंठपुर वन परिक्षेत्राधिकारी से जानकारी ली गई तो उनका कहना है कि 247 झाड का मार्किंग हुआ है। कटाई भी हो रहा है। काटकर मनेन्द्रगढ़ और छिंदडांड काष्ठागार दोनो जगह रखवा रहे हैं। निकाले गए बड़े-बड़े बोल्डरों के विषय में पूछने पर उन्होने कहा कि सब उनको हैंडओव्हर कर दिया गया है। बोल्डर थोड़े ना हम लोग सिर्फ पेड़ो का लिए है। बाकि मिट्टी काट कर कहीं भी फेंके हमको कोई आपत्ति नही है। बोल्डर वनसंपदा है या नही है पूछने पर उन्होने कहा कि नही अरे वो रोड बना रहे हैं, रोड बनाने के लिए दे दिया गया है। उनको लिखित में परमिशन दिया गया है। इसमें नही लिखा जाता है कि बोल्डर आप वन विभाग को देंगे। वनविभाग क्या करेगा उस एरिया के बोल्डर को। बोल्डर कोई हमारी संपत्ति नही है। उसको हैंडओव्हर कर दिया गया है। पेडों के एवज में उन्होने प्लांटेशन के लिए डबल रॉयल्टी जमा कर दिया है।
राष्ट्रीय राजमार्ग चौरीकरण के लिए हसदो नर्सरी के पहाड़ों पर जमें पेड वनसंपदा है क्या वैसे ही पहाडों पर जमें बोल्डर वनसंपदा है ? के विषय में फोन पर जब वनमंडल मनेन्द्रगढ़ के बिहारपुर के वनपरिक्षेत्राधिकारी से जानकारी ली गई तो उन्होने कहा कि एकदम उचित बात कह रहे हैं आप। बोल्डर सब वहीं पड़ा है। बोल्डर साइड में लगा दिए गए हैं। बोल्डर उनको तोड़ने नही देंगे। बोल्डर को इधर-उधर साइड में खडा करवा देंगे। नही हम उनको ले जाने नही देंगे। हम उनको बता दिए हैंं कि बोल्डर चाहे आप इधर करिए या नदी के तरफ रखवाइए। 310 पेडों की मार्किंग हुई। बोल्डरों की कोई मार्किंग नही करवाई गई है।