
छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 13 फरवरी 2025। संसद के वर्तमान बजट सत्र के पहले चरण का आज आखिरी कामकाजी दिन है। इस दौरान वक्फ (संशोधन) विधेयक पर विचार करने वाली संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट गुरुवार को राज्यसभा के पटल पर रखी गई। लोकसभा में इसे दोपहर दो बजे के बाद पेश किया जा सकता है। निचले सदन की कार्यवाही सूची के मुताबिक, समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल विधेयक से संबंधित रिपोर्ट और साक्ष्यों का रिकॉर्ड सदन के पटल पर रखेंगे। इससे पहले राज्यसभा में रिपोर्ट पेश होने के बाद विपक्षी दलों के भारी हंगामा शुरू कर दिया। सुबह सदन की कार्यवाही आरंभ होने के कुछ ही देर बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की मेधा विश्राम कुलकर्णी ने समिति की रिपोर्ट सदन में पेश की। रिपोर्ट पेश होते ही कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और वामपंथी दल सहित कुछ अन्य दलों के सदस्यों ने हंगामा शुरु कर दिया। हंगामा कर रहे सांसद आसन के निकट आ गए और नारेबाजी करने लगे। हंगामे के बीच ही सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि वह राष्ट्रपति का एक संदेश सदन में पेश करना चाहते हैं। उन्होंने हंगामा कर रहे सदस्यों से अपने स्थानों पर लौट जाने और सदन में व्यवस्था बनाने की अपील की। हालांकि, इसके बावजूद हंगामा जारी रहा। नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे कुछ कहना चाहते थे, लेकिन सभापति ने इसकी अनुमति नहीं दी।
धनखड़ ने कहा कि भारत की प्रथम नागरिक और राष्ट्रपति पद पर आसीन पहली आदिवासी महिला का संदेश है यह और इसे सदन में पेश न होने देना उनका अपमान होगा। धनखड़ ने हंगामा कर रहे सांसदों से व्यवस्था बनाए रखने की अपील की और उन्हें कार्रवाई की चेतावनी भी दी। हंगामा जारी रहते देख उन्होंने 11 बजकर 09 मिनट पर सदन की कार्यवाही 11 बजकर 20 मिनट तक स्थगित कर दी। राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, ‘वक्फ बोर्ड पर जेपीसी रिपोर्ट से कई सदस्य असहमत हैं। उन नोटों को हटाना और हमारे विचारों को दबाना सही नहीं है। यह लोकतंत्र के खिलाफ है। असहमति रिपोर्ट को हटाने के बाद पेश की गई किसी भी रिपोर्ट की मैं निंदा करता हूं। हम ऐसी फर्जी रिपोर्ट को कभी स्वीकार नहीं करेंगे। अगर रिपोर्ट में असहमति के विचार ही नहीं हैं, तो उसे वापस भेजा जाना चाहिए और फिर से पेश किया जाना चाहिए।
संयुक्त संसदीय समिति की रिपोर्ट बीती 30 जनवरी को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की सौंपी गई थी। समिति की 655 पृष्ठों वाली इस रिपोर्ट को बहुमत से स्वीकार किया गया था। रिपोर्ट में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसदों की ओर से सुझाए गए सुझाव शामिल हैं। विपक्षी सांसदों ने इसे असंवैधानिक करार दिया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि यह कदम वक्फ बोर्डों को बर्बाद कर देगा। भाजपा सांसदों ने इस बात पर जोर दिया था कि पिछले साल अगस्त में लोकसभा में पेश किया गया विधेयक वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में आधुनिकता, पारदर्शिता और जवाबदेही लाने का प्रयास करेगा। समिति ने भाजपा सदस्यों की ओर से प्रस्तावित सभी संशोधनों को स्वीकार कर लिया था और विपक्षी सदस्यों के संशोधनों को खारिज कर दिया था।
समिति में शामिल विपक्षी सदस्यों ने वक्फ (संशोधन) विधेयक के सभी 44 प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव रखा था और दावा किया था कि समिति की ओर से प्रस्तावित कानून विधेयक के दमनकारी चरित्र को बरकरार रखेगा और मुस्लिमों के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करने का प्रयास करेगा। वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू की ओर से लोकसभा में पेश किए जाने के बाद आठ अगस्त, 2024 को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजा गया था। विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों को विनियमित और प्रबंधित करने से जुड़े मुद्दों और चुनौतियों का समाधान करने के लिए वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करना है।