छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
इंफाल 27 नवंबर 2024। मणिपुर में सेना के शिविर में काम करने वाले मेइती समुदाय के 55 वर्षीय व्यक्ति को लापता हुए दो दिन हो गए हैं। रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता का कहना है कि सेना शख्स को खोजने के लिए बड़े स्तर पर अभियान चला रही है। रक्षा प्रवक्ता ने बताया ने बताया कि इंफाल पश्चिम के लोइतांग खुनौ गांव के रहने वाले लैशराम कमलबाबू सिंह सोमवार दोपहर कांगपोकपी के लीमाखोंग सैन्य शिविर में काम पर जाने के लिए घर से निकले थे और तभी से लापता हैं। उनका मोबाइल फोन भी बंद है। पुलिस और सेना संयुक्त रूप से उनकी तलाश में जुटी हैं। अधिकारी ने बताया कि सिंह लीमाखोंग सैन्य स्टेशन में सैन्य इंजीनियरिंग सेवा (एमईएस) के साथ काम करने वाले एक ठेकेदार के लिए कार्य पर्यवेक्षक थे। जब लैशराम 25 नवंबर की शाम को घर नहीं लौटे तब परिवार ने पुलिस को शिकायत दी। जानकारी होते ही सेना हरकत में आई और तलाश शुरू कर दी।
‘सीसीटीवी फुटेज को खंगाला जा रहा’
कोहिमा स्थित प्रवक्ता ने कहा कि इलाकों की गहन तलाशी के बावजूद न तो व्यक्ति और न ही उनके दोपहिया वाहन का पता लगाया जा सका है। सीसीटीवी फुटेज को सावधानीपूर्वक खंगाला जा रहा है। उनके सहकर्मियों से बात की जा रही और डॉग स्क्वाड की मदद लेते हुए तलाशी अभियान शुरू किया गया है।
सेना और पुलिस दोनों तलाश में जुटीं
उन्होंने कहा कि तलाशी अभियान को और तेज कर दिया गया है। उनके बारे में सभी सेना के स्टेशनों और आसपास के गांवों तक जानकारी दे दी गई है। ड्रोन और अन्य हवाई प्लेटफार्मों की भी मदद लेंगे। उन्होंने बताया कि व्यक्ति का पता लगाने के लिए सेना के अधिकारियों ने क्षेत्र के सीएसओ (नागरिक समाज संगठनों) से भी बातचीत की है और परिवार को सिंह की जल्द और सुरक्षित वापसी के लिए किए जा रहे सभी प्रयासों का आश्वासन दिया है। उन्होंने आगे कहा कि राज्य पुलिस ने भी जांच शुरू कर दी है।
भीड़ ने सड़कों को किया जाम
इस घटना से इंफाल घाटी के सीमांत इलाकों में मंगलवार को तनाव पैदा हो गया। मैतेई समुदाय के सैकड़ों लोगों ने सिंह का पता जानने के लिए सैन्य स्टेशन तक मार्च शुरू किया। हालांकि, स्थिति को बढ़ने से रोकने के लिए उन्हें कांटो सबल के पास बीच में ही रोक दिया गया। रोके जाने के बाद भीड़ ने सड़क को पत्थरों से जाम कर दिया।
लैशराम के परिवार ने दी जानकारी
लैशराम के परिवार के अनुसार, वह लीमाखोंग सैन्य शिविर में छोटे-मोटे काम करते थे। उल्लेखनीय है कि राजधानी मणिपुर से 16 किमी दूर 57 माउंटेन डिवीजन के सैन्य शिविर का यह इलाका कुकी बहुल आबादी से घिरा हुआ है। लीमाखोंग के पास रहने वाले मेइती समुदाय के लोग जातीय हिंसा की शुरुआत के बाद से ही उस क्षेत्र को छोड़कर भाग गए हैं। पिछले वर्ष मई से अब तक जातीय हिंसा में 250 से अधिक लोगों की मौत हुई है।
बता दें कि 11 नवंबर को सुरक्षा बलों और संदिग्ध कुकी-जो उग्रवादियों के बीच गोलीबारी के बाद जीरीबाम जिले में राहत शिविर से मेइतेई समुदाय की तीन महिलाएं और तीन बच्चे लापता हो गए थे। मुठभेड़ में 10 उग्रवादी मारे गए थे। लापता छह लोगों के शव अगले दिन बरामद किए गए।