नई दिल्ली । यस बैंक संकट से उसके ग्राहक सकते में हैं। दिवाली के आसपास जहां पीएमसी बैंक के ग्राहक परेशान थे, वहीं होली के समय देश के टॉप प्राइवेट बैंकों में शुमार यस बैंक के ग्राहक अपना पैसे डूबने को लेकर डरे हुए हैं। ATMs के बाहर लगी कतारों की तुलना तो नोटबंदी के समय से की जा रही है। आरबीआई ने इस पर पाबंदियां लगाई हैं और अब ईडी ने इसके संस्थापक राणा कपूर को घंटों चली पूछताछ के बाद अरेस्ट कर लिया है। आप अब तक यह तो जान ही गए हैं कि 2004 में शुरू हुए यस बैंक की हालत लंबे समय से खराब चल रही है और कैसे बैंक की हालत पतली होती चली गई, जिसकी वजह से नौबत यहां तक आ गई। लेकिन, कौन हैं राणा कपूर, कैसे बैंकिंग की दुनिया में वह बड़ा नाम बन गए, अब इसकी कहानी बताते जानिए।
जन्म, पढ़ाई और परिवार
राणा कपूर का जन्म 9 सितंबर 1957 को दिल्ली में हुआ था। उनके पिता लंबे समय तक एयर इंडिया में पायलट रहे थे और उनके पिता के 3 और भाई थे। राणा ने स्कूली पढ़ाई के बाद न्यू जर्सी की रटगर्स यूनिवर्सिटी से एमबीए किया। उनकी तीन बेटियां हैं और पत्नी का नाम बिंदू कपूर है। उनके दादा का ज्वैलरी का बिजनस था। शायद यही वजह थी कि अपने शेयरों को हीरा-मोती कहते थे और उन्हें बेचना नहीं चाहते थे।
अमेरिका के सिटी बैंक में किया काम
रगटर्स यूनिवर्सिटी से एमबीए के दौरान ही उन्होंने काम करना शुरू कर दिया था। 1979 में उन्होंने अमेरिका के सिटी बैंक में बतौर इंटर्न अपने करियर की शुरुआत की। हालांकि वह बैंक आईटी डिपार्टमेंट में काम करते थे। बैंकिंग सेक्टर उन्हें पसंद आया और धीरे-धीरे वह इसमें करियर बनाने की ओर कदम बढ़ाने लगे। बचपन से ही वह एक बिजनसमैन बनना चाहते थे।
राणा कपूर का पहला जॉब ‘बैंक ऑफ अमेरिका में’
बिजनसमैन बनने का सपना पूरा करने के लिए उन्हें एक्सपीरियंस की जरूरत थी। उन्होंने बैंकिंग में करियर बनाने का सोच लिया था, तो बैंकिंग का कुछ अनुभव लेने के लिए उन्होंने 1980 में बैंक ऑफ अमेरिका में पहला जॉब किया। उन्होंने करीब 15 साल इस बैंक के साथ काम किया और सेक्टर की हर बारीकी सीखी।
NBFC शुरू करने का प्लान
अब बैंकिंग की अच्छी-खासी समझ डिवेलप करने के बाद अपने 5 कलीग्स के साथ मिलकर उन्होंने नॉन-बैंकिंग फाइनैंस(NBFC) शुरू करने का प्लान बनाया, जो अमेरिकी इंश्योरेंस ग्रुप ने खारिज कर दिया। इसके बाद उन्होंने करीब 3 साल उन्होंने एएनजेड ग्रिंडलेज इन्वेस्टमेंट में काम किया। यह समय था 1996 से 1998 का।
1998 में बिजनसमैन के रूप में शुरू हुआ राणा का सफर
राणा कपूर ने नीदरलैंड के राबो बैंक की एनबीएफसी के सीईओ बन गए। इसमें उनके दो पार्टनर्स थे अशोक कपूर और हरकित सिंह। इसमें तीनों की मिलाकर 25% हिस्सेदारी थी। यह इकाई भारत में स्थापित की गई थी।
2003 में RBI ने दिया बैंकिंग लाइसेंस, पड़ी यस बैंक की नींव
बैंकिंग सेक्टर ने राणा कपूर को एक पहचान तो दी, लेकिन बैंक भारत में ज्यादा बड़ी पहचान नहीं बना पा रहा था। इसे देखते हुए राणा और उनके पार्टनर्स ने बैंक में अपना पूरा स्टेक बेच दिया और फिर रखी गई यस बैंक की नींव। यह 2003 की बात है। रिज़र्व बैंक से उन्हें बैंकिंग लाइसेंस मिला और 200 करोड़ रुपये के साथ उन्होंने अशोक कपूर के साथ मिलकर 2004 में यस बैंक की शुरुआत की, जो उनके रिश्तेदार थे।
अशोक कपूर की मौत के बाद शुरू हुई बर्बादी की कहानी
26/11 के मुंबई हमले में अशोक कपूर की मौत हो गई, उसके बाद अशोक कपूर की पत्नी मधु कपूर और राणा कपूर के बीच बैंक के मालिकाना हक को लेकर लड़ाई शुरू हो गई। मधु अपनी बेटी के लिए बोर्ड में जगह चाहती थीं। कोर्ट से राणा कपूर को जीत मिली। कुछ समय तक सब ठीक चला लेकिन प्रमोटरों ने बाद में हिस्सेदारी बेचनी शुरू कर दी और कॉर्पोरेट गवर्नेंस से समझौते के मामले सामने आने लगे।