छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 15 सितंबर 2020। कोरोना के बीच संसद के पहले सत्र (मानसून) का आज दूसरा दिन है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह चीन से सीमा विवाद के मुद्दे पर आज लोकसभा में बयान दिया। उन्होंने बताया कि समस्त देशवासी अपने वीर जवानों के साथ खड़े हैं। मैंने भी लद्दाख जाकर अपने शूरवीरों के साथ समय बिताया है और मैं आपको ये बताना चाहता हूं कि मैंने उनके अदम्य साहस और शौर्य को महसूस भी किया है। कर्नल बाबू और उनके वीर साथियों ने अपना बलिदान दिया है। कल ही संसद में मौन रखकर श्रद्धांजलि व्यक्त की है।
सदन जानता है कि भारत-चीन की सीमा का प्रश्न अब तक हल नहीं हुआ है। भारत-चीन की सीमा का ट्रेडिशनल अलाइनमेंट चीन नहीं मानता। दोनों देश भौगोलिक स्थितियों से अवगत हैं। चीन मानता है कि इतिहास में जो तय हुआ, उस बारे में दोनों देशों की अलग-अलग व्याख्या है। दोनों देशों के बीच आपस में रजामंदी वाला समाधान नहीं निकल पाया है।
लद्दाख के इलाकों के अलावा चीन अरुणाचल प्रदेश की सीमा से 90 हजार वर्ग किलोमीटर इलाके को भी अपना बताता है। सीमा का प्रश्न जटिल मुद्दा है। इसमें सब्र की जरूरत है। शांतिपूर्ण बातचीत के जरिए समाधान निकाला जाना चाहिए। दोनों देशों ने मान लिया है कि सीमा पर शांति जरूरी है।
राजनाथ के भाषण की अहम बातें –
- राजनाथ सिंह ने कहा, ‘दोनों देशों के बीच कई प्रोटोकॉल भी हैं। दोनों देशों ने माना है कि LAC पर शांति बहाल रखी जाएगी। LAC पर किसी भी तरह की गंभीर स्थिति का दोनों देशों के बीच रिश्तों पर गंभीर असर पड़ेगा। पिछले समझौतों में यह जिक्र है कि दोनों देश LAC पर कम से कम सेना रखेंगे और जब तक सीमा विवाद का हल नहीं निकलता, तब तक LAC का सम्मान करेंगे। 1990 से 2003 तक देशों ने LAC ने आपसी समझ बनाने की कोशिश की, लेकिन चीन ने इसे आगे बढ़ाने पर सहमति नहीं जताई। इसी वजह से LAC को लेकर मतभेद हैं।’
- ‘मैं यह बताना चाहता हूं कि सरकार की विभिन्न इंटेलिजेंस एजेंसियों के बीच पूरा तालमेल है। टेक्निकल और ह्यूमन इंटेलिजेंस को इकट्ठा किया जाता है और सशस्त्र बलों से साझा किया जाता है।’
- ‘अप्रैल से पूर्वी लद्दाख की सीमाओं पर चीन की सेना में इजाफा दिखा गया है। गलवान घाटी में चीन ने हमारे ट्रेडिशनल पैट्रोलिंग पैटर्न में खलल डाला। इसे सुलझाने के लिए अलग-अलग समझौतों और प्रोटोकॉल के तहत बातचीत की जा रही थी। मई में चीन ने कई इलाकों में घुसपैठ की कोशिश की। इनमें पैंगॉन्ग लेक शामिल है।’
- ‘हमारी सेनाओं ने इन कोशिशों को समय पर देख लिया और जरूरी कार्रवाई भी की। हमने चीन को डिप्लोमैटिक और मिलिट्री चैनल से यह बता दिया कि आप मौजूदा स्थिति को एकतरफा बदलने की कोशिश कर रहे हैं जो हमें किसी भी तरह से मंजूर नहीं है।’
- दोनों देशों ने 6 जून को बैठक कर यह तय किया कि दोनों देश सेनाओं की तैनाती कम करेंगे, लेकिन चीन ने हिंसक टकराव किया। हमारे बहादुर जवानों ने जान का बलिदान दिया और चीन को भारी नुकसान पहुंचाया। हमारे बहादुर जवानों ने जहां संयम की जरूरत थी, वहां संयम और जहां शौर्य की जरूरत थी, वहां शौर्य दिखाया।
‘चीन के साथ 3 बिंदुओं पर बातचीत की’
रक्षा मंत्री ने बताया कि चीन के साथ डिप्लोमैटिक और मिलिट्री लेवल पर बातचीत तीन बिंदुओं पर आधारित थी।
1. दोनों देश LAC का सख्ती से पालन करें।
2. मौजूदा स्थिति का कोई उल्लंघन न करे।
3. सभी समझौतों और आपसी समझ का पालन होना चाहिए।
राजनाथ ने बताया- चीन का सामना करने के लिए हमारी सेनाएं तैयार
उन्होंने बताया कि चीन ने दक्षिणी पैंगॉन्ग लेक में 29-30 अगस्त को दोबारा घुसपैठ की कोशिश की और मौजूदा स्थिति को बदलने का प्रयास किया, लेकिन एक बार फिर हमारे जवानों ने इसे नाकाम कर दिया। चीन भारी तादाद में जवानों की तैनाती कर 1993 और 1996 के समझौतों का उल्लंघन कर रहा है। चीन ने समझौतों का सम्मान नहीं किया। उनकी कार्रवाई के कारण LAC के आसपास टकराव के हालात बने हैं। इन समझौतों में टकराव से निपटने के लिए प्रकिया भी तय है। मौजूदा स्थिति में चीन ने LAC और अंदरुनी इलाकों में भारी तादाद में सेना और गोला-बारूद को जमाकर कर रखा है। हमने भी जवाबी कदम उठाए हैं।
सदन को आश्वस्त रहना चाहिए कि हमारी सेनाएं इस चुनौती का सामना करेंगी। हमें सेनाओं पर गर्व है। अभी की स्थिति में संवेदनशील मुद्दे शामिल हैं, इसलिए इसका ज्यादा खुलासा नहीं कर सकता। कोरोना के चुनौतीपूर्ण समय में भी सेनाओं और आईटीबीपी की तेजी से तैनाती हुई है। सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में बॉर्डर इन्फ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान दिया है। हमने इसका बजट दोगुना से भी ज्यादा बढ़ाया है।
भारत बातचीत के जरिए विवाद का हल चाहता है। इस उद्देश्य को पाने के लिए मैं चीन के रक्षा मंत्री से मॉस्को से मिला। मैंने साफ तरीके से चीन के सामने भारत का पक्ष रखा। हम चाहते हैं कि चीन हमारे साथ मिलकर काम करे। हमने यह भी साफ किया कि हम देश की संप्रभुता के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। इसके बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर भी चीन के विदेश मंत्री से मिले। बीते समय में भी चीन से गतिरोध बना, लेकिन शांति से इसका समाधान निकाला। इस बार हालात पहले से अलग हैं, फिर भी हम इसके समाधान के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम हर तरह के हालात से निपटने के लिए तैयार हैं। इस सदन की गौरवशाली परंपरा रही है कि जब भी देश के सामने कोई बड़ी चुनौती आई है, इस सदन ने सेनाओं के प्रति पूरी एकता दिखाई है।