छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नैनीताल 9 अगस्त 2022 । नैनीताल के अत्यंत लोकप्रिय टूरिस्ट स्पॉट टिफिन टॉप पर बनी डोरोथी सीट का अस्तित्व खतरे में है। इसके चारों ओर टिफिन टॉप क्षेत्र में बहुत गहरी और चौड़ी दरारें पड़ गईं हैं और यहां से टूट टूटकर छोटे बड़े बोल्डर नीचे गिरते रहते हैं। यदि तत्काल युद्ध स्तर पर इसका उपचार नहीं किया गया तो जल्द ही डोरोथी सीट इतिहास बन कर रह जाएगी।
नैनीताल के दक्षिण की से 2290 मीटर की ऊंचाई पर स्थित टिफिन टॉप में हर वर्ष लाखों की तादाद में पर्यटकों सहित स्थानीय नागरिक बेहतरीन प्राकृतिक नजारों का आनंद लेने आते हैं। पर्यटकों से कहीं ज्यादा यह स्थान स्थानीय निवासियों में लोकप्रिय है।
नगर से लगभग पांच किलोमीटर की दूरी पर हल्की चढ़ाई वाले चौड़े रास्ते से यहां जाना ट्रेकिंग के शौकीनों के लिए अद्भुत अनुभव होता है। इस चोटी पर एक बेंच बनी है जिसे डोरोथी सीट कहा जाता है। बताया जाता है कि डोरोथी नामक महिला यहां बैठकर नगर और आसपास के खूबसूरत नजारों की पेंटिंग बनाया करती थीं। डोरोथी सीट से पूरे नैनीताल नगर उसके ठीक पीछे उत्तर दिशा में हिमालय की चोटियों का इतना सुंदर दृश्य नजर आता है जो किसी को भी मंत्रमुग्ध कर दे।
इस स्थान से नजर आने वाला चारों दिशाओं में दूर दूर तक की पहाड़ियों और मैदानी क्षेत्रों का आकर्षक दृश्य यहां की खासियत है। दुखद तथ्य यह है कि बीते कई वर्षों से यहां अनेक दरारें पड़ चुकी हैं। लंबे समय से धीरे धीरे यह चोटी दरक ही रही थी। इस वर्ष यहां पड़ीं दरारें तेजी से गहरी और चौड़ी हो गईं हैं और आए दिन यहां से बोल्डर गिरते रहते हैं। क्षेत्र में चाय नाश्ते की दुकान चलाने वाले दिनेश सूंठा बताते हैं कि दरारों की वजह से डोरोथी सीट तक जाना खतरे का सबब बन चुका है।
इन हालातों में सीट कभी भी दरक सकती है और यहां बड़ी दुर्घटना घट सकती है। फिर भी लोग खतरा मोल लेकर वहां तक जा रहे हैं। दिनेश सहित उनके चार भाई विमल, महेश और उमेश भी इस दुकान से ही आजीविका चलाते हैं। सभी इसकी गंभीर स्थिति से बहुत चिंतित हैं। टिफिन टॉप में डोरोथी सीट का निर्माण ब्रिटिश सेना के अधिकारी कर्नल केलेट ने अपनी कलाकार पत्नी डोरोथी केलेट की याद में किया था। डोरोथी का इंग्लैंड जाते समय जहाज पर सेप्टिसीमिया से निधन हो गया था।
इस बेहद लोकप्रिय पर्यटक स्थल पर प्रतिवर्ष लाखों लोग पैदल और घोड़ों से पहुंचते हैं। नैनीताल में घुड़सवारी का आनंद लेने वाले ज्यादातर पर्यटक यहीं आते हैं। घोड़ा चालकों के लिए ये आमदनी का सबसे बड़ा स्रोत है। लेकिन स्वच्छ भारत के तमाम अभियानों के बावजूद यहां आज तक न शौचालय बन पाया न ही पीने के पानी की व्यवस्था है। दिनेश सूंठा ने बताया कि बीते दशक में कई बार पालिका और प्रशासन ने यहां ये सुविधाएं उपलब्ध कराने की घोषणा की लेकिन इन पर अमल नहीं हो पाया।
टिफिन टॉप की पहाड़ी में गहरी दरारें पड़ी हैं और पहाड़ी दरक रही है। लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता को तत्काल इसका निरीक्षण कर उपचारात्मक कार्यवाही करने के निर्देश दिये गये हैं। पहाड़ी की सुरक्षा के लिए धनराशि और साधन शीघ्र उपलब्ध करा दिए जाएंगे। यहां स्थित नाले की सफाई और पहाड़ी की मरम्मत के लिए क्षेत्रीय निवासी पर्यावरणविद् पद्मश्री अनूप साह से भी सलाह ली जाएगी।