मुख्यमंत्री के अलावा किसी भी मजदूर यूनियन के बड़े नेता ने घायलों के प्रति संवेदना व्यक्त की ?

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एसईसीएल बैकुंठपुर क्षेत्र की चरचा आरओ की “डोली वाली भूमिगत खदान” डोली , जहां के पदस्थ जीएम का सेलेक्सन अभी हाल ही में डायरेक्टर टेक्नीकल पद के लिए हुआ है

मो. साजिद खान /छत्तीसगढ़ रिपोर्टर

कोरिया 03 अगस्त 2022। खदान में हादसा हो गया। हादसा शब्द सुनकर ही घर वालों के दिलों दिमाग में भूकंप आ जाता है। लेकिन क्या सच में तकनीकी रूप से चरचा आरओ के इस्ट डोली वाली भूमिगत खदान में भूकंप की वजह से दुर्घटना घटित हुई ? इस दुर्घटना में घायल हुए घायलों के लिए राज्य के संवेदनशील मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने संवेदना व्यक्त कर घायलों के लिए बेहतर चिकित्सा के निर्देश भी दिए लेकिन क्या किसी भी मजदूर यूनियनों के बडे नेता अथवा किसी भी जेबीसीसीआई सदस्य ने घायलों के लिए संवेदना व्यक्त की ? 

डॉ. सनीश चंद्र जनसंपर्क अधिकारी एसईसीएल बिलासपुर ने अपना पक्ष रखते हुए सरलता से बताया कि बीती (गुरूवार) की रात जो भूकंप आया था। जिसकी रियेकटर पैमाने पर तीव्रता 4.6 आंकी गई। उसका प्रभाव क्षेत्र के खदान की गतिविधियों पर भी पड़ा। बताना चाहेंगे कि चरचा आरओ जो भूमिगत खदान है। वहां मैनुअल नही बल्कि कंटीनिवस माइनर मशीन के द्वारा कोयला निकाला जाता है। वहां पर भूकंप के प्रभाव से रात में लगभग 1 बजे जहां कोयला निकल रहा था। वहां पर कोयला भरभरा करके गिरा है। इसलिए वहां पर एक ओव्हरमैन और एक माइनिंग सरदार जो पीछे खडे थे। जिनकी उम्र 44 वर्ष और 53 वर्ष है। जब कोयला गिरा तो वो दोनो लोग डर कर खदान से बाहर आना चाह रहे थे। जिसमें दोनो लोग गिर गए। दोनो के गिरने से एक सर में बाईं ओर चोट आई और दूसरे को गर्दन के पास चोट आई। दोनो को प्राथमिक चिकित्सा चरचा अस्पताल में किया गया। जिनको सर में चोट रही उनको स्टीच दे दिया गया। जिनको गर्दन में चोट आई उनका प्राथमिक उपचार किया गया और दोनो के बेहतर इलाज के लिए तथा यह ध्यान में रखते हुए कि जल्दी स्वस्थ हो जाएं अपोलो हास्पिटल बिलासपुर रिफर कर दिया गया। जिससे वह जल्द से जल्द स्वस्थ होकर अपनी ड्यूटी ज्वाइन कर लें। यह इंसीडेंट भूकंप के प्रभाव के कारण हुआ और यह भी अवगत कराना चाहेंगे कि यहां इस खदान में कंटीनिवस माइनर मशीन से काम होता है।

मिली जानकारी के मुताबिक चरचा आरओ के इस्ट डोली वाली खदान के 101 पैनल ( डिस्ट्रिक्ट ) में 28 जुलाई 2022 गुरूवार रात्रि 01 बजे हुई दुर्घटना में माइनिंग सरदार और ओव्हरमैन सहित दर्जन भर मजदूर डिप्लेयरिंग के दौरान छत का एक बड़ा हिस्सा भराभरा कर गिरने ( रूफ फाल ) के कारण एयर बलास्ट के प्रेशर की वजह से हवा में उड़कर घायल हो गये थे। जिन्हें इलाज हेतु रीज़नल हॉस्पिटल चरचा कॉलरी में भर्ती कराया गया था। जिनमें से तीन की हालत गंभीर बताई गई थी। तीनों गंभीर रूप से घायलों को इलाज हेतु अपोलो बिलासपुर रिफर कर दिया गया था। जिसमें एक सीनियर ओव्हर मैन, माइनिंग सरदार व एक केटेगरी 4 कालरीकर्मी रहे। बाकि का इलाज चरचा हास्पिटल में ही किया गया। बताते चलें कि कंटीनिवस माइनर मशीन कोयला काटते चलती है और बेल्ट में डालते चलती है। इस पैनल में ठेके में चलने वाली कंटीनिवस माइनर मशीन को संचालित करने वाले कर्मचारी भी दुर्घटना घटित खदान के पैनल में कार्यरत रहे होंगे। दुर्घटना की जानकारी मिलने पर प्रबंधन के अधिकारी व बड़ी संख्या में कालरी कर्मियों के परिजन में हॉस्पिटल पहुंच गए थे। 

इस दुर्घटना की जांच डीजीएमएस को निष्पक्ष रूप से करना चाहिए ताकि एसईसीएल कंपनी मजदूरों की सुरक्षा के साथ लाभ कमाए और देश को उर्जा देने में सहयोग करें। परंतु इस दुर्घटना में तकनीकी दृष्टि से जांच करने से प्रबंधन पर कई गंभीर सवाल उठ सकते हैं

  • क्या दुर्घटना में वहां सिर्फ दो ही लोग माइनिंग सरदार और ओव्हरमैन घायल हुए या दर्जनों घायल हुए ?
  • खदान दुर्घटना में घायलों को बेहतर इलाज के लिए रिफर किया जाता है अथवा गंभीर रूप से घायल अवस्था वालों को रिजनल हास्पिटल से अपोलो रिफर किया जाता है ? 
  • दुर्घटना में भूमिगत खदान के अंदर कोयला भराभरा करके गिरा। क्या वहां अंदर पैनल में कोयला भंडारण करके रखा गया था ?
  • कंटीनिवस माइनर मशीन खदान के अंदर कोयला काटते चलती है और बेल्ट में डालते चलती है तो कैसे और किस जगह का कोयला भरभरा करके गिरा ? 
  • तीव्रता खदान में किए जाने वाले बलास्टिंग की ज्यादा रहती है या आए हुए भूकंप की रही ?
  • क्षेत्र में पहले आए भूकंप की तीव्रता दूसरे भूकंप के लगभग समकक्ष रही। पहले आए भूकंप में रूफ फाल नही हुआ तो दूसरे भूकंप में क्यों ?
  • दर्जनों कर्मचारी घायल हुए पैनल में डिप्लेयरिंग के दौरान छत गिरने पर एयर बलास्ट से बचने की माइनिंग सरदार और ओव्हरमैन सहित मजदूरों को ट्रेनिंग दी गई थी जिसकी वजह से घायल हुए ?
  • कंपनी के मुताबिक माइनिंग सरदार और ओव्हरमैन घटित दुर्घटना के समय खदान के बाहर जाना चाह रहे थे क्या दुर्घटना घटित पैनल में एयर ब्लास्ट स्टेशन स्थित रहा ?
  • क्या ज्यादा लंबी छत के थोडे-थोडे हिस्से में छत बैठाते हुए डिप्लेयरिंग नही की जा रही थी जिसकी वजह से छत गिरी ?
  • खदान के छत की लंबाई ज्यादा होने पर सपोर्ट के रूप में हाइड्रोलिक प्राप लगा करके कंटीनिवस माइनिंग मशीन से डिप्लेयरिंग की जा रही थी ?
  • डोली टूट सकती थी। दोनो डोली ( केज ) आपस में टकरा सकते थे लेकिन भूकंप के इस कंपन से डोली को कोई नुकसान नही पहुंचा फिर छत में क्यों नुकसान हुआ ?
  • चरचा इस्ट दुर्घटना घटित पैनल के इसी भूमिगत खदान में अगल बगल कोई पैनल (डिस्ट्रिक्ट) चल रहा था तो उस पैनल में भूकंप की इस तीव्रता का कोई असर पहुंचा ?
  • लाते और ले जाते समय यदि लंबे समय तक के लिए करंट (बिजली) आफ हो जाए तो क्या डोली (केज) फंसी रह जाएगी ? 
  • चरचा आरओ इस्ट डोली वाली भूमिगत खदान में प्रबंधन बिजली के विकल्प के रूप में (हसदेव एरिया की वेस्ट जेकेडी के डोली वाली भूमिगत खदान जैसे) स्टीम (बॉयलर) की व्यवस्था नही रखता है बल्कि सिर्फ जेनरेटर की व्यवस्था रखता है। सूत्रों से पता चला कि बिजली आफ होने पर जेनरेटर चलने पर डोली में यदि वजन बढ जाए तो नीचे ही उतार सकता है। ज्यादा वजन में ऊपर नही ला सकता। असुरक्षा की ऐसी स्थिति क्यों ?

तकनीकी जानकार बताते हैं कि डेवलपेंट में एयर ब्लास्टिंग नही हो सकती बल्कि डिप्लेयरिंग में ही अक्सर एयर ब्लास्टिंग होती है। इस दुर्घटना के हर पहलू की जांच निष्पक्ष होना चाहिए‌ क्योंकि वर्षों से स्थापित कोल इंडिया की नौ रत्नों में से एक एसईसीएल कंपनी ने देश को उर्जा के रूप में जबरदस्त कोयला दिया है और दे रहा है। सुरक्षा की दृष्टि से खदान के अंदर कार्य करने वाले मजदूर बहुत कीमती होते हैं। उत्पादन लक्ष्य किसी को हानि नही पहुंचाए। 

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