छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
इस्लामाबाद 10 अप्रैल 2022। इमरान खान अब पूर्व प्रधानमंत्री हो गए हैं। विपक्षी गठबंधन PDM ने उनकी हर चाल नाकाम कर दी। खान साहब बड़े बेआबरू होकर बनीगाला की रिहाइश में पहुंच चुके हैं। इमरान ने करीब चार साल की सत्ता के दौरान नवाज शरीफ, शहबाज शरीफ और पूरे विपक्ष को चोर, डाकू और लुटेरा बताया। इनसे हाथ मिलाना तो दूर कभी दुआ सलाम भी नहीं की। लेकिन, वक्त का पहिया फिरता है और फिरा। अब शहबाज शरीफ प्रधानमंत्री बनेंगे। बिलावल भुट्टो डिप्टी प्राइम मिनिस्टर बन सकते हैं। हालांकि, इमरान जो बदहाली फैला गए हैं, उसे सुधारने में बहुत वक्त लगेगा।
अनुभव की कमी नहीं
शहबाज उस पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री रह चुके हैं, जिसे पाकिस्तान का दिल कहा जाता है। दुनिया के हर हिस्से में नवाज और शहबाज के कनेक्शन हैं। हमारे देश से भी उनके अच्छे रिश्ते रहे हैं। नवाज लंदन में थे तो शहबाज ने पार्टी को बखूबी संभाला। नवाज के उलट शहबाज के पाकिस्तानी फौज के साथ अच्छे संबंध हैं। फौज का शहबाज को पूरा समर्थन है।
भारत से सीजफायर जारी रहेगा
शहबाज और नवाज के भारत से अच्छे रिश्ते रहे हैं। दोनों देशों के बीच एक साल से ज्यादा वक्त से सीजफायर है। अब ये ज्यादा मजबूत तरीके से चल सकता है। पाकिस्तान सेना प्रमुख कमर बाजवा पिछले दिनों सीजफायर के मुद्दे को उठा चुके हैं। बाजवा का कहना है कि यदि भारत इस मुद्दे पर राजी है तो पाक को कोई आपत्ति नहीं है। साथ ही दोनों देशों के बीच आधिकारिक रूप से व्यापार शुरू हो सकता है। इमरान ट्रेड का विरोध करते रहे थे।
अमेरिका भी साथ आएगा
इमरान खान ने सीधे तौर पर अमेरिका से पंगा लिया। चीन का साधना चाहा, लेकिन वो भी नहीं हो पाया। अब शहबाज शरीफ फिर से अमेरिका की ओर झुकेंगे। हालांकि, बहुत खुलकर नहीं। क्योंकि उन्हें कुछ महीने बाद चुनाव में जाना है और पाकिस्तान में अमेरिका विरोधी सेंटीमेंट्स हैं। इमरान इसे कैश करने की कोशिश करेंगे। नवाज सरकार के दौरान भी पाकिस्तान की अमेरिका समर्थक विदेश नीति रही थी।
अफगानिस्तान से बेहतर रिश्तों की तलाश
इमरान खान की तालिबान के प्रति ढुलमुल नीति के कारण पाकिस्तान की अफगानिस्तान से लगती सीमा पर बाड़बंदी का मामला विवाद का मुद्दा बना हुआ है। पाकिस्तान के सैनिकों को तालिबानी लड़ाकों की फायरिंग झेलनी पड़ती है। तीन साल में पाकिस्तानी सेना के 550 से ज्यादा सैनिक मारे गए। शहबाज शरीफ अफगान तालिबान के साथ सुलह की कोशिश करेंगे। उन्हें मौलाना फजल-उर-रहमान का साथ मिलेगा। रहमान की तालिबान बहुत इज्जत करते हैं।
नवाज मुल्क लौटेंगे
शहबाज शरीफ अपने बड़े भाई और लंदन में इलाज के नाम पर रह रहे नवाज शरीफ की वापसी तय करेंगे। उनके लिए ये बिल्कुल मुश्किल नहीं होगा, क्योंकि अयोग्यता से जुड़ा विधेयक पारित कराया जा सकता है। नवाज पनामा पेपर्स में नाम आने के बाद से लंदन में हैं। शरीफ परिवार इसे हमेशा से राजनीतिक साजिश कहता रहा है। शहबाज पर भ्रष्टाचार के आरोप साबित नहीं हुए हैं।
महंगाई पर काबू पाना बेहद जरूरी
पाकिस्तान में बढ़ती महंगाई के कारण इमरान सरकार के खिलाफ अवाम में जबरदस्त गुस्सा है। महंगाई दर 14% हो चुकी है। शहबाज के सामने सबसे बड़ी चुनौती महंगाई को कम करना होगा। पाकिस्तान काे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से कर्ज लेना पड़ेगा। चूंकि अमेरिका का साथ रहेगा, इसलिए ये मुश्किल तो नहीं होना चाहिए।