छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 02 अक्टूबर 2021। सुप्रीम कोर्ट ने सेना में शॉर्ट सर्विस कमीशन की 72 महिला अधिकारियों को सेवामुक्त करने पर अगली सुनवाई तक अंतरिम रोक लगा दी है। साथ ही स्थायी कमीशन नहीं देने पर अदालत ने केंद्र से कारण पूछा है। मामले में अगली सुनवाई 8 अक्टूबर को होगी। न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ ने यह आदेश महिला अधिकारियों की अवमानना याचिका पर दिया है। इससे पूर्व 13 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में ही इन 72 महिला अधिकारियों की अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से कहा गया था कि दो हफ्ते में इन अधिकारियों की समस्याओं का समाधान निकालेगी। इन महिलाओं ने कहा है कि कोर्ट के आदेश के बावजूद सेना ने उन्हें अभी तक स्थायी कमीशन नहीं दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने 25 मार्च 2021 को फैसला सुनाया था कि दो महीने के अंदर इन महिलाओं को सेना में स्थायी कमीशन दिया जाए और साथ में अगले महीने प्रमोशन भी दिया जाए।
सुनवाई की शुरुआत होने पर कुछ महिला अधिकारियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता वी मोहना ने कहा कि सेना ने बगैर कोई कारण बताए बुधवार को अधिकारियों को खारिज करने का आदेश एक झटके में जारी कर दिया। जबकि महिला अधिकारियों ने अपने विषयों में 60 प्रतिशत से अधिक अंक पाए हैं। वे मेडिकल मापदंड पर भी खरी उतरी हैं। उनके खिलाफ कोई अनुशासनिक व सतर्कता जांच भी लंबित नहीं है। यह शीर्ष न्यायालय के फैसले के खिलाफ है और आदेश को रद्द किया जाए।
पीठ ने केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल (एएसजी) संजय जैन से सवाल किया कि इस विषय में क्या हो रहा है। जैन ने कहा कि उनकी समझ के मुताबिक सभी अधिकारियों को खारिज करने का एक कारण नहीं हो सकता, बल्कि उन्हें खारिज करने के 72 कारण होंगे और उन्होंने वरिष्ठ अधिवक्ता आर बालासुब्रमण्यम के साथ संबद्ध विभाग से सूचना तथा सभी संबद्ध दस्तावेज मांगे हैं, ताकि इसकी तह तक जाया जा सके। उन्होंने सभी ब्योरे के साथ वापस अदालत आने के लिए दो हफ्ते का वक्त मांगा।