15 दिन के अंदर मांग पूरी नहीं होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी- डॉ. दीपक जायसवाल
छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 21 सितम्बर, 2021। एनएफआईटीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. दीपक जायसवाल ने बताया कि पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार बढ़ती महँगाई (मूल्य वृद्धि) पर रोक, कोयला उद्योग में निजीकरण एवं बिक्री पर रोक तथा कोल इण्डिया में व्याप्त भ्रष्टाचार तथा देश के अधिकांश कानूनों का उल्लंघन पर रोक लगाने, कॉपर माईंस, चाय बागान के मजदूर को न्यूनतम वेतन बढ़ाने, बीस राज्यों से हजारों प्रतिनिधि आये परंतु कोरोना के प्रोटोकाल को देखते हुये जंतर-मंतर पर सारे नियमों का पालन करते हुये मास्क पहनकर एवं सामाजिक दूरी का पालन करते हुये सीमित मात्रा में धरना प्रदर्शन किया तथा भारत सरकार, राज्य सरकारों, आईएलओ को आगाह किया है कि यदि यूनियन के द्वारा दिये जा रहे मांग-पत्रों पर 15 दिन के अंदर द्विपक्षीय वार्ता का साकारात्मक एग्रीमेंट नहीं होता है तो यूनियन अपने आंदोलन को और तीव्र करेगी।
एन एफ.आई.टी.यू. एवं एचएमकेपी एक राष्ट्रीय प्रगतिशील संगठन है, कोविड काल में संगठन किसी भी प्रकार का औद्योगिक अनरेस्ट, अशांति नहीं चाहती है इसलिये हड़ताल पर परहेज कर रही है। उन्होंने बताया है कि स्वतंत्रता के 75 वर्ष बाद भी गरीब और गरीब होते जा रहे है और उनकी संख्या 80 करोड़ के आस-पास हो चुकी है जो स्वयं माननीय प्रधानमंत्री जी ने भी माना है। देश के सार्वजनिक उपक्रमों में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है।
संगठन सरकार से मांग करती है कि मूल्य वृद्धि एवं भ्रष्टाचार पर तत्काल रोक लगाये ताकि देश के नागरिक कुपोषण का शिकार न हो। एनएफआईटीयू यद्यपि एक गैर राजनैतिक श्रम संगठन है फिर भी सन् 2014 एवं 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को मोदी के नेतृत्व में समर्थन दिया था जिससे एनएफआईटीयू के 3 करोड़ सदस्यों के परिवारों ने भी भाजपा को समर्थन दिया था। परंतु पिछले माह हुई बैठक में समीक्षा करने के बाद यह निर्णय लिया गया है कि मोदी सरकार के नेतृत्व में भाजपा मजदूरों की समस्या का समाधान नहीं कर सकती है इसलिये उसका चुनाव में समर्थन करने के लिये डॉ. दीपक जायसवाल, अध्यक्ष को अधिकृत किया गया है कि अपने विवेक से कोई भी निर्णय ले सकते हैं। सरकार किसी भी राजनैतिक दल की रही हो, मजदूरों का शोषण और अन्याय बढ़ता ही जा रहा है। न्याय व्यवस्था चरमरा चुकी है, उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय में जजों की कमी है। करोड़ों केस 25-25 वर्षों से लंबित है। भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है। लोकपाल सीबीसी और सीबीआई को कमजोर करने का साजिश की जा रही है। इस तरह से आम आदमी को कोई न्याय प्राप्त नहीं हो पा रहा है। ऐसी बाते सार्वजनिक तौर पर पूर्व मुख्य न्यायाधिशों ने कही है।
मुख्य रूप से आसाम के इजरायल नंदा एवं उनके साथी, झारखण्ड से राजेन्द्र मंडल उत्तराखण्ड से रामयश सिंह एवं राकेश, तेलंगाना से सतीश गुरजाला, उत्तरप्रदेश से अबरार एहमद, हिमाचल से कांता सूद, जम्मू-कासमीर से उत्तम गाडे, पंजब से नितिन धवन, छत्तीसगढ़ से छोटेलाल वर्मा, मध्य प्रदेश से विराट जायसवाल, महाराष्ट्र से रामटेक, तमिलनाडु से स्वामीनाथन, केरल से धर्मराजन, दिल्ली से सुनील कुमार, हरियाणा से सूरज कुमार, पश्चिम बंगाल से अमिया सरकार, राजस्थान से राजकुमार बडेटिया, बिहार से राजु प्रसाद साथ सैकड़ों जन प्रतिनिधियों ने दिल्ली स्थित जन्तर-मन्तर में दस्तक दी।