पंजशीर में टकराव और तबाह होती अर्थव्यवस्था के बीच अंतरराष्ट्रीय मान्यता पाना होगा मुश्किल
छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
वांशिगटन/पेशावर 04 सितम्बर 2021। अमेरिकी सेना के जाने के बाद संकट में घिरे अफगानिस्तान में आज तालिबान सरकार का एलान होगा। तालिबान का सह-संस्थापक मुल्ला बरादर इस सरकार का नेतृत्व करेगा। हालांकि नई सरकार का गठन शुक्रवार को होना था, लेकिन इसे एक दिन के लिए टाल दिया गया। तालिबान प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा कि नई सरकार के गठन की घोषणा शनिवार को होगी। तालिबान सूत्रों ने बताया कि दोहा स्थित तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के चेयरमैन मुल्ला अब्दुल गनी बरादर को सरकार का प्रमुख बनाने की सार्वजनिक घोषणा जल्द ही होगी। मुल्ला बरादर के साथ तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर के बेटे मुल्ला मोहम्मद याकूब व शेर मोहम्मद अब्बास स्टेनकजई की भी सरकार में अहम भूमिका होगी। तालिबान के सूचना व संस्कृति आयोग के वरिष्ठ अधिकारी मुफ्ती इनामुल्लाह सामंगानी ने कहा कि सभी शीर्ष नेता काबुल पहुंच चुके हैं और नई सरकार का एलान करने की तैयारियां अंतिम दौर में हैं। सरकार के गठन को लेकर आपसी सहमति बन चुकी है, और अब मंत्रिमंडल को लेकर कुछ आवश्यक बातचीत हो रही है।
अखुंदजादा बनाएगा इस्लामिक सरकार का ढांचा
एक वरिष्ठ तालिबान अधिकारी के मुताबिक, संगठन का सुप्रीम लीडर हैबतुल्लाह अखुंदजादा धार्मिक मामलों और इस्लाम के दायरे में ईरान की तर्ज पर राजव्यवस्था का ढांचा तैयार करने पर ध्यान केंद्रित करेगा। मौजूदा जानकारी के मुताबिक नई तालिबानी सरकार में 12 मुस्लिम विद्वानों के सूरा या सलाहकारी परिषद के साथ 25 मंत्री होंगे।
छह से आठ महीन में लोया जिरगा बुलाने की योजना
छह से आठ महीने के भीतर एक लोया जिरगा यानी महासभा बुलाने की भी योजना बनाई जा रही है, जिसमें संविधान और भविष्य की सरकार की संरचना पर चर्चा करने के लिए अफगान समाज के बुजुर्गों और प्रतिनिधियों को एक साथ लाया जाएगा। एक वरिष्ठ तालिबान अधिकारी के मुताबिक, संगठन का सुप्रीम लीडर हैबतुल्लाह अखुंदजादा धार्मिक मामलों और इस्लाम के दायरे में ईरान की तर्ज पर राजव्यवस्था का ढांचा तैयार करने पर ध्यान केंद्रित करेगा। मौजूदा जानकारी के मुताबिक नई तालिबानी सरकार में 12 मुस्लिम विद्वानों के सूरा या सलाहकारी परिषद के साथ 25 मंत्री होंगे। छह से आठ महीने के भीतर एक लोया जिरगा यानी महासभा बुलाने की भी योजना बनाई जा रही है, जिसमें संविधान और भविष्य की सरकार की संरचना पर चर्चा करने के लिए अफगान समाज के बुजुर्गों और प्रतिनिधियों को एक साथ लाया जाएगा।
मुल्ला अब्दुल गनी बरादर के बारे में जानिए
1968 में अफगानिस्तान के उरुजगान प्रांत में जन्मा बरादर शुरू से ही धार्मिक रूप से कट्टर था। वह तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर का साला है। बरादर ने 1980 के दशक में सोवियत संघ के खिलाफ लड़ाई लड़ी। 1992 में रूसी सेना को खदेड़ने के बाद अफगानिस्तान देश के प्रतिद्वंद्वी सरदारों के बीच गृहयुद्ध में घिर गया था। बरादर ने अपने पूर्व कमांडर मुल्ला उमर के साथ कंधार में एक मदरसा स्थापित किया था। इसके बाद मुल्ला उमर और मुल्ला बरादर ने तालिबान की स्थापना की। 9/11 हमलों के बाद जब अमेरिका ने अफगानिस्तान पर धावा बोला तब तालिबान के सभी बड़े नेताओं को पाकिस्तान में पनाह मिली थी। इन नेताओं में मुल्ला उमर और अब्दुल गनी बरादर भी शामिल थे। बताया जाता है कि बरादर को पाकिस्तान ने फरवरी 2010 में पाकिस्तान के कराची में गिरफ्तार किया था। हालांकि, इसका खुलासा करीब एक हफ्ते बाद किया गया था। इसके बाद बरादर को अक्टूबर 2018 तक पाकिस्तान की जेल में रखा गया और बाद में अमेरिका के दखल पर उसे छोड़ दिया गया।