2021 की पहली मन की बात में बोले PM मोदी- 26 जनवरी को तिरंगे का अपमान देखकर देश बहुत दुखी

Chhattisgarh Reporter
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साल 2021 का पहला ‘मन की बात’ कार्यक्रम

मन की बात कार्यक्रम का 73वां संस्करण

तिरंगे का अपमान देख देश दुखी हुआ- पीएम मोदी

छत्तीसगढ़ रिपोर्टर          

नई दिल्ली 31 जनवरी 2021। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार 31 जनवरी को अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के जरिए देशवासियों को संबोधित कर रहे हैं। यह मन की बात कार्यक्रम का 73वां संस्करण है। इस साल ये उनका पहला एपिसोड है। प्रधानमंत्री ने गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसात्मक घटना पर दुख जताया। कहा, ‘दिल्ली में 26 जनवरी को तिरंगे का अपमान देखकर देश बहुत दुखी भी हुआ।’

वैक्सीनेशन प्रोग्राम दुनिया में मिसाल बना

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमें आने वाले वक्त को नई आशा और उम्मीदों से भरना है। हमने असाधारण क्षमता का परिचय दिया है और आगे भी हमें ऐसा करना है। साल की शुरुआत के साथ ही कोरोना के खिलाफ लड़ाई को भी एक साल पूरा हो गया है। वैक्सीनेशन प्रोग्राम दुनिया में मिसाल बन रहा है।’

भारत दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन प्रोग्राम चला रहा है। हम दुनिया में सबसे तेज गति से अपने नागरिकों का वैक्सीनेशन कर रहे हैं। 15 दिन में ही 30 लाख से ज्यादा कोरोना वॉरियर्स का टीकाकरण हो गया है। अमेरिका को इसी काम में 18 और ब्रिटेन को 36 दिन लगे थे।

मन की बात करता हूं तो लगता है परिवार के बीच हूं

प्रधानमंत्री बोले, ‘जब मैं मन की बात करता हूं तो लगता है कि परिवार को बीच मौजूद हूं। हमारे खट्टे-मीठे अनुभव, जीवन के लिए सीख ही मन की बात है। 2021 की जनवरी का आखिरी दिन है। आप भी मेरी तरह सोच रहे हैं कि पूरा महीना बीत गया। समय की गति यही तो है। कुछ दिन पहले की बात है कि नए साल की शुभकामनाएं दीं, पोंगल, मकर संक्रांति, लोहड़ी, 23 जनवरी नेताजी की जयंती पर पराक्रम दिवस, 26 जनवरी, बजट सत्र जैसी चीजों के बीच एक और काम हुआ। पद्म पुरस्कारों की घोषणा हुई।’

जितने आत्मनिर्भर होंगे, उतना ही मानवता की सेवा कर पाएंगे

मोदी ने कहा कि नमो ऐप पर यूपी से हिमांशु यादव ने लिखा है कि मेड इन इंडिया वैक्सीन से मन में आत्मविश्वास आ गया। मदुरै से कीर्ति जी ने लिखा कि कई विदेशी दोस्तों ने लिखा कि भारत ने जिस तरह कोरोना से लड़ाई में दुनिया की मदद की, उससे उनके मन में भारत की इज्जत और भी बढ़ गई है।

अभी ब्राजील के राष्ट्रपति ने जिस तरह से भारत को धन्यवाद दिया, उससे हर भारतीय को कितना अच्छा लगा है। भारतीयों को रामायण के उस प्रसंग की गहरी जानकारी है, उसका प्रभाव है और ये हमारी संस्कृति की विशेषता है। संकट में भारत दुनिया की सेवा इसलिए कर पा रहा है, क्योंकि हम दवाओं और वैक्सीन को लेकर आत्मनिर्भर है। जितना हम आत्मनिर्भर होंगे, उतना ही दुनिया की और मानवता की सेवा कर पाएंगे।

आजादी की 75वीं सालगिरह पर अमृत महोत्सव शुरू होगा

PM ने कहा कि 23 साल की प्रियंका बिहार के सिवान में रहती हैं और हिंदी साहित्य की विद्यार्थी हैं। वे देश के 15 पर्यटन स्थलों पर जाने के मेरे सुझाव से प्रेरित थीं। एक जनवरी को वे देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के पैतृक निवास पर गईं। उन्होंने लिखा कि देश की महान विभूतियों को जानने में उनका ये पहला कदम था। आपका ये अनुभव दूसरों को प्रेरित करेगा।’

भारत आजादी के 75वीं सालगिरह पर अमृत महोत्सव शुरू करने जा रहा है। आजादी और बिहार की बात हो रही है तो एक और टिप्पणी करना चाहूंगा। मुंगेर के जयराम जी ने मुझे शहीद दिवस के बारे में लिखा। 15 फरवरी 1932 को अंग्रेजों ने वीरों की टोली ही हत्या कर दी थी। उनका अपराध था कि वो वंदेमातरम और भारत माता की जय के नारे लगा रहे थे। मैं जयरामजी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि वो ऐसी घटना को देश के सामने लाए, जिस पर उतनी चर्चा नहीं हुई, जितनी होनी चाहिए थी।

युवा स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में लिखें

मोदी ने कहा कि मैं सभी देशवासियों और युवाओं का आह्वान करता हूं कि देश के स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में लिखें। आपका लेखन आजादी के नायकों के प्रति उत्तम श्रद्धांजलि होगी। यंग राइटर्स के लिए इंडिया-75 के तहत एक पहल हो रही है। इससे सभी राज्यों और भाषाओं के युवा लेखकों को बढ़ावा मिलेगा। देश को नए लेखक मिलेंगे। इससे भविष्य की दिशा निर्धारित करने वाले थॉट लीडर्स का ग्रुप भी बनेगा।

बची सब्जियों से बिजली बनाने की तारीफ

PM ने हैदराबाद के बोइनपल्ली की एक सब्जी मंडी का जिक्र किया। यहां बची सब्जियों से बिजली बनाई जाती है। उन्होंने कहा कि बेकार हुई सब्जियों से बिजली बनाने के बारे में आपने शायद ही सुना हो। यही इनोवेशन है, कचरे से कंचन बनाना इसी को कहते हैं। रोज वहां 10 टन कचरा निकलता है। इससे हर दिन बिजली बनती है और किलोग्राम बायो फ्यूल मिलता है।

ऐसा ही हरियाणा के बड़ौद में किया गया। ग्राम पंचायतों ने पूरे गांव से आने वाले गंदे पानी को फिल्टर करना शुरू किया और इसका इस्तेमाल खेतों में सिंचाई के लिए किया जा रहा है। पर्यावरण की रक्षा से कैसे आमदनी के रास्ते खुलते हैं, इसका उदाहरण अरुणाचल के तवांग में देखने को मिला। यहां एक पेपर बनाया जाता है। पौधे की छाल से ये पौधा बनता है। इसके लिए पेड़ों को नहीं काटना पड़ता है और न केमिकल का इस्तेमाल होता है। ये पर्यावरण के लिए सुरक्षित है और स्वास्थ्य के लिए भी। कभी इसका निर्यात भी होता था, पर बाद में ये स्थानीय कला बंद होने लगी। अब एक स्थानीय कार्यकर्ता ने इस कला को पुनर्जीवित करने का काम किया है।

महिलाओं की बहादुरी की सराहना

मोदी ने कहा कि कुछ दिन पहले आपने देखा होगा कि अमेरिका के सैन फ्रैंसिस्को से बेंगलुरु तक की नॉन स्टॉप उड़ान भारत की चार महिला पायलटों ने संभाली। 10 हजार किलोमीटर की फ्लाइट सुरक्षित पहुंची। इस साल 26 जनवरी की परेड में भी दो महिला पायलटों ने इतिहास रचा। अक्सर गांवों में ऐसे बदलाव की चर्चा नहीं हो पाती।

मध्य प्रदेश के जबलपुर की एक खबर का जिक्र मैं करना चाहता हूं। चिजगांव में आदिवासी महिला राइस मिल में दिहाड़ी पर काम करती थीं, कोरोना महामारी में वो महिलाएं भी प्रभावित हुईं। राइस मिल में काम रुक गया। ये महिलाएं निराश नहीं हुईं। इन्होंने तय किया कि साथ मिलकर राइस मिल शुरू करेंगी। जिस मिल में काम करती थीं, वो मशीन बेचना चाहती थीं।

मीनाजी ने स्वयं सहायता समूह बनाया और अपनी बचत से राइस मिल खरीद ली। इस मिल ने करीब 3 लाख रुपए का मुनाफा भी कमा लिया है। इससे मीनाजी और उनकी साथियों ने बैंक का लोन चुकाने और व्यापार बढ़ाने का फैसला लिया।

झांसी में स्ट्रॉबेरी फेस्टिवल का जिक्र

PM ने कहा कि अगर मैं आपसे बुंदेलखंड के बारे में बात करूं तो आप क्या बताएंगे। इतिहास में रुचि रखने वाले लक्ष्मीबाई से जोड़ेंगे, कुछ ओरछा और कुछ गर्मी से इसे जोड़ेंगे। इन दिनों यहां कुछ अलग हो रहा है। पिछले दिनों झांसी में एक महीने तक चलने वाला स्ट्रॉबेरी फेस्टिवल शुरू हुआ। हर कोई आश्चर्यचकित है कि स्ट्रॉबेरी और बुंदेलखंड।

झांसी की बेटी गुरलीन चावला ने इसमें भूमिका निभाई। लॉ की इस छात्रा ने पहले अपने घर और फिर खेत में इसकी फसल उगाकर ये बताया कि झांसी में भी स्ट्रॉबेरी हो सकती है। टेरेस गार्डन पर युवाओं को स्ट्रॉबेरी उगाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। जो स्ट्रॉबेरी कभी पहाड़ों की पहचान थी, वह अब कच्छ की रेतीली जमीन पर भी हो रही है।

कलाकारों के किस्से सुनाए

कुछ ही दिन पहले मैंने एक वीडियो देखा। वह वीडियो बंगाल के वेस्ट मिदनापुर के नया पिंगला गांव के चित्रकार शमीनुद्दीन का था। वे खुश थे कि रामायण पर बनाई पेंटिंग दो लाख में बिकी है। इससे उनके गांव वालों को भी खुशी मिली है। बंगाल से जुड़ी अच्छी पहल के बारे में भी जानकारी मिली। पर्यटन विभाग के रीजनल ऑफिस ने महीने के पहले हफ्ते में इनक्रेडिबल इंडिया की शुरुआत की। वहां के हस्तशिल्प कलाकारों ने विजिटर्स के लिए वर्कशॉप आयोजित की।

ओडिशा के राउरकेला की भाग्यश्री इंजीनियरिंग की छात्रा हैं और उन्होंने पट्ट शिल्पकला में महारत हासिल की। उन्होंने सॉफ्ट स्टोन पर पेंटिंग शुरू की। उन्होंने कॉलेज जाते हुए ये स्टोन मिले। उन्होंने रोजाना इन पर पेंटिंग की और अपने दोस्तों को गिफ्ट किया। लॉकडाउन के दौरान उन्होंने इसे बोतलों पर पेंट किया। सुभाषजी की जयंती पर उन्होंने अनोखी श्रद्धांजलि दी। झारखंड के दुमका में मिडल स्कूल के प्रिंसिपल बच्चों को पढ़ाने और सिखाने के लिए गांव की दीवारों पर अंग्रेजी और हिंदी के शब्द लिखे और चित्र बनाए।

चिली तक पहुंची भारतीय संस्कृति की खुशबू

मोदी ने कहा कि भारत से दूर एक देश है चिली। वहां पहुंचने में बहुत समय लगता है, पर भारतीय संस्कृति की खुशबू वहां बहुत पहले से फैली हुई है। चिली की राजधानी में 30 से ज्यादा योग विद्यालय हैं। वहां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस भी बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। वहां योग दिवस पर गर्मजोशी भरा माहौल होता है। इम्यूनिटी बढ़ाने में योग की ताकत को देखते हुए वो योग को ज्यादा महत्व दे रहे हैं।

वहां की पार्लियामेंट में प्रस्ताव पारित कर 4 नवंबर को योग डे घोषित किया गया है। 4 नवंबर 1962 को वहां का पहला योग संस्थान खोला गया था। चिली की संसद से जुड़ी एक बात आपको दिलचस्प लगेगी। वहां के वाइस प्रेसीडेंट रवींद्रनाथ है। रवींद्रनाथ टैगोर से प्रेरित होकर उनका ये नाम रखा गया है।

फास्टैग से 21 हजार करोड़ रुपए बचेंगे

इसी महीने 18 जनवरी से 17 फरवरी तक हमारा देश सड़क सुरक्षा माह मना रहा है। हादसे देश में नहीं, दुनिया में चिंता का विषय हैं। भारत में रोड सेफ्टी के साथ सरकारी और व्यक्तिगत स्तर पर प्रयास चल रहे हैं। बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन जो सड़कें बनाती हैं, जिस पर इनोवेटिव स्लोगन दिखते हैं। इफ यू स्लीप, योर फैमिली वीप।

कोलकाता की अपर्णाजी ने मुझे फास्टैग के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि समय बचता है, टोल प्लाजा पर रुकने और पेमेंट की दिक्कत खत्म हो गई है। पहले टोल प्लाजा पर एक गाड़ी को 7-8 मिनट लगते थे। अब ये समय 1-2 मिनट का लग गया है। देशवासियों के करीब 21 हजार करोड़ रुपए बचने का अनुमान है।

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