छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का दावा है कि सरकार 550 रैन बसेरों/सेंटरों में 4.50 लाख गरीबों को दोनों समय का खाना उपलब्ध करा रही है। कई सामाजिक-धार्मिक संगठन भी गरीब मजदूरों को खाना उपलब्ध करा रहे हैं। मगर दिल्ली से भागते गरीबों की सुनें तो समझ में आता है कि सरकार की यह मदद अभी भी सभी जरूरतमंद लोगों तक नहीं पहुंच पा रही है।
मकान मालिक ने सामान फेंक दिया
लखनऊ के मलीहाबाद की रहने वाली गुड़िया ने रुंधे गले से सवाल किया कि अगर उन्हें खाना मिल ही जाता तो रात में चोरों की तरह क्यों भागते? मकान मालिक ने उनका सामान निकालकर बाहर फेंक दिया था। लेकिन अगर खाना मिल गया होता तो कहीं टेंट में ही रहकर जिंदगी गुजार लेते। जब खाना नहीं मिला तो वे अपनी किस्मत के भरोसे तीनों बच्चों के साथ निकल पड़ीं। वे आनंद विहार रेलवे स्टेशन की रेल पटरियों के सहारे लखनऊ के लिए निकल चुकी हैं। सड़क से जाते समय उन्हें पकड़े जाने का डर है। उन्हें अपनी मंजिल कब मिलेगी, अपने घर तक कैसे पहुंचेंगी, इसका कोई अंदाजा नहीं है। रास्ते में बच्चों की भूख कैसे मिटेगी, इस सवाल पर उनकी आंखें केवल आसमान की ओर उठ जाती हैं। उनके गले से कोई आवाज नहीं निकलती।
शिकायत किससे करते
यूपी के सुल्तानपुर के रहने वाले महेश बताते हैं कि लगभग 15 दिन हो गए, उनके पास कोई काम नहीं है। खाने-पीने के लिए कुछ भी नहीं है। दिल्ली सरकार के रैन बसेरों या स्कूलों में भी उन्हें खाने की कोई व्यवस्था होती नहीं दिखी तो पैदल ही घर जाने का निर्णय कर लिया। अब वे अपने चार अन्य साथियों के साथ सुल्तानपुर के लिए निकल चुके हैं। लगभग 650 किलोमीटर का दिल्ली से सुल्तानपुर का उनका सफर कैसे गुजरेगा, इसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं है।
क्या आपने किसी सरकारी अधिकारी या पुलिस से इस बात की शिकायत की कि आपको भोजन नहीं मिल रहा है? इस सवाल पर महेश का कहना है कि शिकायत किससे करते। उनकी कोई नहीं सुन रहा है। सबके साथ एक ही समस्या है। ऐसे में किसी से शिकायत करने की बजाय अपने घर की राह पकड़ ली। उनके साथ जा रहे बस्ती के नान्ह्क बताते हैं कि किसी को कोई सुविधा नहीं मिल रही है।
बस मिलने की खबरों से हुई भगदड़
शनिवार शाम तक ऐसी खबर आई कि यूपी सरकार ने लोगों को उनके घरों तक जाने के लिए बसें उपलब्ध करवा दी हैं। इस एक खबर ने यूपी-बिहार के गरीब मजदूरों में भगदड़ जैसी स्थिति पैदा कर दी। सभी लोगों को लगा कि अब उनके लिए बसें मिल जाएंगी। यही कारण है कि शनिवार शाम को भारी संख्या में लोग आनंद विहार बस अड्डे पहुंचने के लिए निकल पड़े। लेकिन बस अड्डे पर ऐसे यात्रियों की संख्या बहुत ज्यादा है और बसें नाम मात्र की हैं, लिहाजा लोग किसी भी हालत में यहां से निकल जाना चाहते हैं।