छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 31 दिसंबर 2024। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सोमवार को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट (स्पैडेक्स) को लॉन्च किया। स्पैडेक्स मिशन के सफल प्रक्षेपण पर केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने खुशी जताई। उन्होंने कहा कि भारत स्वदेशी रूप से विकसित भारतीय डॉकिंग सिस्टम के माध्यम से अंतरिक्ष डॉकिंग हासिल करने वाले चुनिंदा देशों की सूची में शामिल होने वाला चौथा देश बन गया है। उन्होंने एक्स लिखा कि अंतरिक्ष विभाग के साथ ऐसे समय में जुड़ना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। जब टीम इसरो एक के बाद एक वैश्विक चमत्कारों से दुनिया को मंत्रमुग्ध कर रही है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह उपलब्धि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। साथ ही यह गगनयान और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए अंतरिक्ष नई की यात्रा के रास्ते खोलेगा। स्पैडेक्स मिशन का उद्देश्य अंतरिक्ष में दो उपग्रहों को डॉक करना है, जो भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए एक महत्वपूर्ण तकनीक साबित होगा।
जनवरी में एनवीएस-02 उपग्रह लॉन्च करने की तैयारी
स्पैडेक्स के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) जनवरी 2025 में एनवीएस-02 उपग्रह को जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (जीएसएलवी) पर लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है। इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने बताया कि यह मिशन अगले साल के लिए नियोजित कई मिशनों में से एक है। पीएसएलवी-सी60 के सफल प्रक्षेपण के बाद सोमनाथ ने यह घोषणा की, जिसमें स्पैडेक्स और अन्य पेलोड को ले जाया गया है।
इसरो प्रमुख सोमनाथ ने कहा कि 29 मई, 2023 को जीएसएलवी-एफ12 रॉकेट ने एनवीएस-01 उपग्रह को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (जीटीओ) में सफलतापूर्वक लॉन्च किया था। उन्होंने बताया कि एनवीएस-01 उपग्रह में एक स्वदेशी परमाणु घड़ी है, जो नैविगेशन विद इंडियन कॉन्स्टेलेशन (एनएवीआईसी) की क्षमताओं को बढ़ाती है। इसमें व्यापक सेवा कवरेज के लिए एल1 बैंड सिग्नल शामिल है। उन्होंने कहा कि एनवीएस-02 मिशन इस प्रगति को जारी रखने की उम्मीद है, जो उन्नत सुविधाओं के साथ एनएवीआईसी प्रणाली को और मजबूत करेगा।
चंद्रयान-4 मिशन के बारे में दी जानकारी
इस मौके पर इसरो प्रमुख ने चंद्रयान-4 मिशन के बारे में भी जानकारी दी, जिसमें विभिन्न मॉड्यूल शामिल हैं, जिन्हें अलग-अलग समय पर लॉन्च किया जाएगा और दो अलग-अलग मॉड्यूल में एकीकृत किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इन मॉड्यूल को कक्षा में पहुंचने और फिर पृथ्वी की कक्षा और चंद्रमा की कक्षा दोनों में डॉक करने की आवश्यकता है। इस मिशन का उद्देश्य चंद्रमा पर जाना, वहां उतरना और पृथ्वी पर वापस आना और यात्रा को सफलतापूर्वक पूरा करना है।
अंतिम डॉकिंग 7 जनवरी तक पूरी होने की उम्मीद
इसरो प्रमुख ने बताया कि चंद्रयान-4 का लक्ष्य चंद्रमा पर उतरना और सफलतापूर्वक वापस आना है। उन्होंने बताया कि अंतिम डॉकिंग प्रक्रिया 7 जनवरी 2025 के आसपास पूरी होने की उम्मीद है। उन्होंने आगे कहा, ‘यह चंद्रयान-4 के लिए परीक्षण स्थल है। डॉकिंग कल शुरू होगी और कई प्रक्रियाएं होंगी, लेकिन अंतिम डॉकिंग संभवतः 7 जनवरी तक होगी।
भविष्य के लिए उपयोगी
प्रोजेक्ट डायरेक्टर सुरेंद्रन एन ने कहा कि यह उन प्रयोगों में से एक है जिसे हम कक्षा में स्थापित करने जा रहे हैं। यह भविष्य के असाइनमेंट के लिए उपयोगी होगा। दो जटिल और चुनौतीपूर्ण परियोजनाओ के लिए डॉकिंग तंत्र एक अपरिहार्य आवश्यकता बन रहा है। खासकर मानव अंतरिक्ष मिशनों के लिए। जब आप किसी अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से जुड़ना चाहते हैं, तो मनुष्यों को इस डॉकिंग तंत्र से गुजरना चाहिए। इस तरह यह एक प्रौद्योगिकी प्रदर्शन होगा।