छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
इंफाल 30 नवंबर 2024। मणिपुर सरकार ने शुक्रवार को मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा पर निशाना साधा। साथ ही कहा कि वह नफरत और विभाजन की आग भड़काने की बजाय एक अच्छे पड़ोसी बनकर बेहतर राजनेता बनें। मणिपुर सरकार ने चेतावनी दी कि मिजोरम के मुख्यमंत्री कुछ गलत बयान दे रहे हैं, जो राज्य में विवाद को और बढ़ा सकते हैं। मणिपुर सरकार का बयान लालदुहोमा द्वारा हाल ही में दिए गए एक साक्षात्कार की पृष्ठभूमि में आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि एन बीरेन सिंह राज्य, उसके लोगों और भाजपा के लिए एक दायित्व थे और यहां तक कि उनके प्रशासन की तुलना में राष्ट्रपति शासन बेहतर है। एक बयान में, राज्य सरकार ने कहा कि भारत को म्यांमार और बांग्लादेश के निकटवर्ती क्षेत्रों से ‘कुकी-चिन ईसाई राष्ट्र बनाने के बड़े एजेंडे’ से सावधान रहना चाहिए, जो दशकों से सावधानीपूर्वक योजना बनाई गई है। इसमें कहा गया है कि वह विदेशी निहित स्वार्थों, या मिजोरम के मुख्यमंत्री द्वारा खुले तौर पर समर्थित अलगाववादी हितों के इशारे पर पूर्वोत्तर भारत के विखंडन की अनुमति नहीं देगा। मणिपुर सरकार ने यह भी कहा कि मिजोरम के मुख्यमंत्री ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने और भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने के विरोध में बयान दिए हैं, जो मणिपुर के हितों के खिलाफ हैं। मणिपुर सरकार का कहना है कि मणिपुर में म्यांमार से आए अवैध प्रवासियों की वजह से समस्याएं बढ़ी हैं और राज्य ने ‘ड्रग्स पर युद्ध’ छेड़कर मादक पदार्थों की तस्करी को रोकने की कोशिश की है।
म्यांमार-भारत के बीच अवैध तस्करी का मार्ग बना मिजोरम
इसके अलावा, मणिपुर सरकार ने कहा कि मिजोरम अब म्यांमार और भारत के बीच अवैध तस्करी का मार्ग बन चुका है। दावा किया कि मिजोरम सरकार की नीतियों के कारण अवैध कुकी-चिन प्रवासियों का आना बढ़ा है, जो मणिपुर के लिए खतरे की बात है। मणिपुर सरकार ने कहा कि राज्य में चल रहा संकट म्यांमार से आए अवैध अप्रवासियों की देन है, जिनकी अवैध पोस्त की खेती से संचालित अर्थव्यवस्था को सीएम सिंह के ‘ड्रग्स पर युद्ध’ के तहत गंभीर झटका लगा है।
मणिपुर का इतिहास और संस्कृति हजारों साल पुरानी
बयान में कहा गया कि यह राज्य सरकार की किसी आदिवासी विरोधी नीति के कारण नहीं है, जैसा कि मिजोरम के मुख्यमंत्री ने मनगढ़ंत कथाओं और इतिहास के माध्यम से गलत तरीके से चित्रित किया है। मिजोरम के मुख्यमंत्री को ध्यान देना चाहिए कि मणिपुर का एक दर्ज इतिहास और समृद्ध संस्कृति हजारों साल पुरानी है, जबकि मिजोरम कुछ दशक पहले ही असम राज्य से अलग हुआ था। कहा कि लालदुहोमा पहाड़ी जिलों में गांवों की संख्या में असामान्य वृद्धि के पीछे के कारणों को स्पष्ट रूप से समझने में असमर्थ थे, जो कि कुकी-बहुल हैं, या जहां बड़ी संख्या में कुकी आबादी है।
मिजोरम में नशीली दवाओं की तस्करी के खतरे पर ध्यान दें मुख्यमंत्री
मणिपुर सरकार ने मिजोरम के मुख्यमंत्री को चेतावनी दी कि उन्हें मणिपुर सरकार के कानूनी कदमों पर नकारात्मक टिप्पणी करने के बजाय मिजोरम में नशीली दवाओं की तस्करी के खतरे पर ध्यान देना चाहिए। मणिपुर सरकार ने यह भी कहा कि वे राज्य में शांति और सुरक्षा बहाल करने के लिए काम कर रहे हैं और राहत शिविरों में रहने वाले 60,000 से अधिक लोगों को सहायता प्रदान कर रहे हैं।
ग्रेटर मिजोरम बनाने की कोशिश का मजबूती से किया जाएगा सामना
मणिपुर सरकार ने चेतावनी दी कि मणिपुर में अवैध प्रवासियों को भेजने या ‘ग्रेटर मिजोरम’ बनाने की किसी भी कोशिश का सामना मजबूती से किया जाएगा।
सात जिलों की वापसी की मांग पर त्रिपक्षीय वार्ता, नहीं निकला नतीजा
इसके अलावा, मणिपुर में 2016 में बनाए गए सात जिलों को वापस लेने की मांग को लेकर केंद्र, मणिपुर सरकार और यूनाइटेड नागा काउंसिल (यूएनसी) के बीच शुक्रवार को सेनापति जिले में एक बैठक हुई, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला। अधिकारियों ने बताया कि यूएनसी कामजोंग, फेरजावल, काकचिंग, कांगपोकपी, टेंगनौपाल, नोनी और जिरीबाम जिलों को वापस लेने की मांग कर रही है। ये जिले ओइबोबी सिंह के नेतृत्व वाली मणिपुर की पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान बनाए गए थे।
ठोस प्रस्ताव पेश नहीं करने पर यूएनसी ने नाराजगी जताई
केंद्र, राज्य सरकार और यूएनसी के प्रतिनिधियों ने एक संयुक्त बयान जारी किया, जिसमें कहा गया कि बैठक का मुख्य विषय 2016 में मणिपुर सरकार द्वारा बनाए गए सात जिलों पर केंद्रित था। मणिपुर सरकार के प्रतिनिधियों ने कहा कि कुछ समस्याओं के कारण वे एक ठोस प्रस्ताव नहीं पेश कर पाए। हालांकि, यूएनसी ने इस पर नाराजगी जताई और कहा कि अगली बैठक में एक ठोस प्रस्ताव पेश किया जाए।
जनवरी के आखिरी सप्ताह में होगी अगली बैठक
बयान में यह भी कहा गया कि बैठक सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई। इस बात पर आपसी सहमति बनी कि पिछली प्रतिबद्धताओं को ध्यान में रखते हुए मुद्दों को राजनीतिक रूप से हल करने के लिए निरंतर तरीके से आगे की प्रगति की जाएगी। अगले दौर की वार्ता जनवरी के आखिरी सप्ताह में होगी।