छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
चेन्नई 19 अक्टूबर 2024। तमिलनाडु में द्रविड़ शब्द को लेकर जारी विवाद पर अब भाजपा नेताओं ने भी प्रतिक्रिया दी है और तमिलनाडु के सीएम पर तीखा हमला बोला है। दरअसल सीएम स्टालिन ने चेन्नई में एक कार्यक्रम के दौरान तमिलनाडु के राज्य गान से द्रविड़ शब्द हटाए जाने का आरोप लगाया और इसे लेकर राज्यपाल को हटाने की मांग तक कर डाली।
भाजपा नेता बोले- देश को बांटने की हो रही कोशिश
इस पर तमिलनाडु भाजपा के उपाध्यक्ष नारायण तिरुपति ने कहा कि ‘देश की एकता को INDIA गठबंधन और खासकर एमके स्टालिन और उनके बेटे द्वारा तबाह किया जा रहा है। बीआर आंबेडकर ने साफ कहा था कि आर्यन और द्रविड़ रेस जैसा कुछ नहीं है। ये सब एक मिथक है। द्रविड़ियन एक भौगोलिक स्थान है। ये लोग बीते 50-60 वर्षों से देश को धर्म, जाति, क्षेत्र और भौगोलिक आधार पर देश को बांटने की कोशिश कर रहे हैं।
ये है विवाद की जड़
उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को चेन्नई में हिंदी माह समापन समारोह का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में राज्यपाल आरएन रवि भी बतौर अतिथि मौजूद थे। कार्यक्रम के दौरान एक मंडली ने राज्य के गान ‘तमिल थाई वाज्थु’ का गान किया गया। इस दौरान कथित तौर पर राज्य गान से द्रविड़ शब्द छूट गया। जिस पर विवाद हो गया। सीएम स्टालिन ने राज्यपाल आरएन रवि पर निशाना साधा और राज्यगान से द्रविड़ शब्द को हटाने को राज्य और तमिल भाषा का अपमान बताया। सीएम ने आरोप लगाया कि राज्यपाल द्रविड़ एलर्जी से पीड़ित हैं। सीएम ने राज्यपाल को पद से हटाने की मांग भी की। हालांकि राज्यपाल के मीडिया सलाहकार थिरुग्नाना संबंदम ने शुक्रवार को एक्स पर एक पोस्ट डाला, जिसमें कहा गया, ‘कार्यक्रम की शुरुआत में मंडली जो थामिझथाई वाजथु का पाठ करती है, वह अनजाने में एक पंक्ति चूक गई है जिसमें “द्रविड़” शब्द शामिल है। मामले को तुरंत आयोजकों के ध्यान में लाया गया और अधिकारियों को भी इसकी जानकारी दी गई।’
पूर्व राज्यपाल बोलीं- प्रधानमंत्री तमिल भाषा को अन्य राज्यों में लेकर गए
तेलंगाना की पूर्व राज्यपाल और वरिष्ठ भाजपा नेता डॉ. तमिलसाई सुंदरराजन ने कहा कि ‘डीएमके बार-बार ऐसा दिखाना चाहती है कि जैसे केंद्र सरकार हिंदी थोप रही है। असल में हिंदू बनारस यूनिवर्सिटी में तमिल चेयर की स्थापना की गई। महाराष्ट्र में एक बंदरगाह का नाम राजेंद्र चोल के नाम पर रखा गया और साथ ही वहां उनकी प्रतिमा भी लगाई गई। प्रधानमंत्री तमिल भाषा को अन्य राज्यों में लेकर गए हैं। मैं सीएम स्टालिन से सवाल पूछती हूं कि सेंगोल, जो तमिल परंपरा का प्रतीक है, उसे संसद में स्थापित किया गया है। उन्होंने उसे क्या सम्मान दिया? तीन भाषा की नीति हिंदी सीखने के लिए ही नहीं है, बल्कि ये अपनी मातृभाषा से अलग कोई अन्य भाषा सीखने के लिए है, फिर वो क्यों उसका विरोध कर रहे हैं? अन्य राज्यों के लोग भी तमिल भाषा सीख रहे हैं तो फिर आप यहां के लोगों को दूसरी भाषा सीखने क्यों नहीं दे रहे हैं?’