छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 04 फरवरी 2024। बिहार की राजनीतिक स्थिति अब बदल चुके हैं। कुछ दिनों पहले तक बिहार की महागठबंधन सरकार में शामिल कांग्रेस अब विपक्ष बन गई है। बिहार के राजनीतिक घटनाक्रम पर चर्चा करने के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने बैठक की। बैठक शनिवार को नई दिल्ली स्थित एआईसीसी मुख्यालय पर आयोजित हुई, जिसमें कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, बिहार कांग्रेस प्रभारी मोहन प्रकाश, बिहार पीसीसी प्रमुख अखिलेश प्रसाद सिंह और विधायकों सहित अन्य वरिष्ठ नेता शामिल हुए। पार्टी सूत्रों की मानें तो नीतीश कुमार के एनडीए में शामिल होेन के बाद भविष्य में कांग्रेस की क्या स्थिति होगी, इस पर चर्चा की गई। बिहार में कांग्रेस संगठन की मजबूती पर बात की गई। साथ ही आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए कांग्रेस की बिहार में क्या स्थिति है, इस पर भी विस्तार से बात हुई।
नई सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हाल ही में कांग्रेस और लालू प्रसाद यादव के साथ जारी गठबंधन से अलग हो गए हैं। कुमार अब भाजपा के साथ आ गए हैं। उन्होंने पिछले दिनों ही एनडीए की ओर से बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इस दौरान भाजपा के दो नेताओं ने भी डिप्टी सीएम की शपथ ली। नई सरकार बनने के बाद सबसे ज्यादा चर्चा में रहे गृह विभाग को इस बार भी सीएम नीतीश कुमार ने अपने पास ही रखा। कहा जा रहा है कि भाजपा गृह विभाग अपने खाते में चाह रही थी। इधर, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी को वित्त और स्वास्थ्य समेत 9 विभाग दिया गया है। वहीं दूसरे उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा के पास कृषि, पथ, राजस्व और भूमि सुधार समेत 9 विभाग दिए गए हैं।
बिहार विधानसभा का मौजूदा गणित समझें
बिहार विधानसभा में लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद के पास सर्वाधिक 79 विधायक हैं। जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति उभरे भाव ने जब 28 जनवरी को बिहार में ‘फलदायी’ खेला किया तो राजद सत्ता से सीधे विपक्ष में चला गया। विपक्ष में अब उसके साथ कांग्रेस के 19 और वामदलों के 16 विधायक हैं। कुल 114 विधायक हो रहे हैं।
दूसरी तरफ, 243 सदस्यों वाली बिहार विधान सभा में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के 78, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाईटेड के 45, पूर्व सीएम जीतन राम मांझी के दल हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा- सेक्युलर के चार विधायक हैं। इनके अलावा, एक निर्दलीय विधायक नीतीश कुमार के साथ पिछली महागठबंधन सरकार में भी थे, अब भी हैं। इस तरह, सत्ता पक्ष की संख्या 128 हो रही है। सत्तासीन दलों के 128 के मुकाबले अभी विपक्ष के 114 विधायक सामने हैं। असद्दुदीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के पास एक विधायक हैं, जो किसी तरफ नहीं। अब देखें कि जादुई आंकड़ा 122 है। मतलब, सत्ता के पास छह विधायक ज्यादा हैं और विपक्ष के पास आठ कम।