
छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
उत्तरकाशी 26 नवंबर 2023। उत्तराखंड की सिलक्यारा सुरंग में पिछले 14 दिन से फंसे 41 श्रमिकों को निकालने के लिए जारी बचाव अभियान में इस्तेमाल की रही ऑगर मशीन के मलबे में फंसे हिस्सों को काटकर हटाने के लिए हैदराबाद से हवाई मार्ग के जरिए एक प्लाज्मा मशीन मंगाई गई है। बचाव कार्य को आगे बढ़ाने के लिए मशीन को पूरी तरह से हटाना आवश्यक है। श्रमिकों को बाहर निकालने का मार्ग तैयार करने के लिए मलबे में हाथ से ड्रिलिंग के जरिए पाइप डालने होंगे। इसके अलावा लंबवत ड्रिलिंग के लिए पहाड़ी की चोटी पर सुरंग के ऊपर एक ड्रिल मशीन भेजी गई है। भारतीय सेना की ‘कोर ऑफ इंजीनियर्स’ के समूह ‘मद्रास सैपर्स’ की एक इकाई बचाव कार्यों में सहायता के लिए रविवार को घटनास्थल पहुंची। सिलक्यारा में धंसी निर्माणाधीन सुरंग में ‘ड्रिल’ करने में इस्तेमाल की जा रही ऑगर मशीन के ब्लेड शुक्रवार रात मलबे में फंस गए थे, जिसके बाद अधिकारियों को अन्य विकल्पों पर विचार करना पड़ा जिससे बचाव कार्य में कई दिन या कई सप्ताह और लगने की संभावना है।
बहु-एजेंसियों के बचाव अभियान के 14वें दिन अधिकारियों ने दो विकल्पों पर ध्यान केंद्रित किया – मलबे के शेष 10 या 12 मीटर हिस्से में हाथ से ‘ड्रिलिंग’ या ऊपर की ओर से 86 मीटर नीचे ‘ड्रिलिंग’। चारधाम यात्रा मार्ग पर बन रही सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था, जिससे इसमें काम कर रहे 41 श्रमिक फंस गए थे। तब से विभिन्न एजेंसियां उन्हें बाहर निकालने के लिए युद्धस्तर पर बचाव अभियान चला रही हैं। श्रमिकों को छह इंच चौड़े पाइप के जरिए खाना, दवाइयां और अन्य जरूरी चीजें भेजी जा रही हैं।
रेस्क्यू अभियान में मौसम बनेगा अब बड़ी चुनौती
उत्तरकाशी में जारी रेस्क्यू अभियान में अब बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। मौसम विभाग ने अगले तीन दिनों के लिए येलो अलर्ट जारी किया है। उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग व पिथौरागढ़ समेत कई ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बारिश-बर्फबारी के आसार हैं। ऐसे में सिलक्यारा टनल में चल रहे राहत कार्यों पर भी इसका प्रभाव पड़ सकता है।
सीएम धामी बोले- तेजी से काम जारी
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हैदराबाद से लाई गई प्लाज़्मा मशीन ने सुबह से काम करना शुरू कर दिया है। तेजी से कटाई चल रही है। 14 मीटर और कटना बाकी है। बरमा मशीन को काटकर बाहर लाना है। ऐसा लगता है कि यह जल्द ही पूरा हो जाएगा। कुछ ही घंटों में। उसके बाद मैनुअल ड्रिलिंग शुरू हो जाएगी।
टूटने लगा परिजनों के सब्र का बांध
हकीकत में कब तक निकाला जाएगा, यह पता नहीं है। पिछले तीन दिन से सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों को बचाने के लिए रेस्क्यू अभियान अंतिम चरण बताया जा रहा था, लेकिन अब यह खिंचता जा रहा है। इससे अब अंदर फंसे मजदूरों के परिजनों के सब्र का बांध भी टूटने लगा है। सुरंग में फंसे बिहार के बांका जिले के रहने वाले वीरेंद्र किसकू की भाभी सुनीता ने बताया कि वह पिछले तीन दिन से सुन रहे कि रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा होने वाला है, आज उन्हें निकाल लिया जाएगा, लेकिन रेस्क्यू पूरा ही नहीं हो रहा है। इससे सुरंग के अंदर फंसा उनका देवर भी निराश है। झारखंड के ग्राम केशोडीह निवासी विश्वजीत कुमार के भाई इंद्रजीत भी सुरंग के बाहर अपने भाई का इंतजार कर रहे हैं। उनका कहना है कि हर दिन उम्मीद बंधती है कि आज अंदर फंसे सभी लोग बाहर आ जाएंगे, लेकिन फिर शाम होते-होते यह उम्मीद टूट जाती है।