
छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 17 फरवरी 2023। फिजी में 12वां विश्व हिंदी सम्मेलन शुक्रवार को संपन्न हो गया। तीन दिन तक चले इस सम्मेलन के समापन समारोह में भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने खुलकर हिंदी और इसके प्रभाव के बारे में बताया। विदेश मंत्री ने फिजी के राष्ट्रपति विलियम कैटोनिवरे का जिक्र करते हुए बताया कि किस तरह से उनपर हिंदी फिल्मों का असर पड़ा। जयशंकर ने कहा, ‘फिजी के राष्ट्रपति कैटोनिवरे ने बताया कि हिंदी फिल्मों ने उनपर गहरा प्रभाव छोड़ा है। उनकी पसंदीदा फिल्म शोले है।’ एस. जयशंकर ने आगे कहा, ‘फिजी के राष्ट्रपति हमेशा इस गाने को याद रखते हैं कि ‘ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे…।”
यह सम्मेलन ‘महाकुंभ’ है
सम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा, ‘विश्व हिंदी सम्मेलन एक ‘महाकुंभ’ की तरह है। सभी को लगता है कि ये हिंदी का एक महाकुंभ है, जहां पूरी दुनिया से हिंदी प्रेमी आए। यह हिंदी के विषय में एक वैश्विक नेटवर्क का मंच बनेगा। उन्होंने आगे कहा, ‘हमारा लक्ष्य होना चाहिए कि किस तरह से हिंदी वैश्विक भाषा बने और इस तरह का सम्मेलन एक ऐसा मंच बने, जहां हिंदी से प्यार करने वाले लोग आपस में जुड़ सकें।’ जयशंकर ने ये भी बताया कि फिजी सरकार ने फिजी में हिंदी के साथ-साथ तमिल व अन्य भाषाओं की शिक्षा भी शुरू करने पर सहमति दे दी है।
भारतीय समुदाय के लोगों को भी किया संबोधित
विश्व हिंदी सम्मेलन के समापन समारोह से पहले एस.जयशंकर ने फिजी में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों को भी संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि मैं पहली बार फिजी की यात्रा पर आया हूं। मुझे आश्चर्य है कि मैंने यहां आने के लिए इतना समय क्यों ले लिया। ये दिलचस्प यात्रा है और मैंने यहां से काफी कुछ सीखा है। विदेश मंत्री ने आगे फिजी और भारत के द्विपक्षीय संबंधों को और अधिक मजबूत करने की बात भी कही। बोले, हम सांस्कृतिक, ऐतिहासिक व अन्य सभी रिश्तों को मजबूत बनाएंगे। उन्होंने इस दौरान फिजी की राजधानी सुआ में सरदार पटेल की मूर्ति का अनावरण भी किया।
फिजी में 140 वर्षों से हो रहा हिंदी भाषा का प्रचार
इस मौके पर फिजी के उप प्रधानमंत्री बिमन प्रसाद ने कहा कि भारत की तरफ से यहां पर हो रहे सांस्कृतिक मुद्दों को आगे बढ़ाने के लिए हम यहां पर हो रही हिंदी, तमिल आदि शिक्षण की मांग को पूरा करने के लिए हम तैयार हैं। उन्होंने कहा कि फ़िजी में हिंदी भाषा का प्रचार और प्रसार पिछले 140 वर्षों से हो रहा है। आज जब मैं अपने पूर्वजों को याद करता हूं तो वह अपने साथ रामायण, गीता तो नहीं लाए थे, लेकिन अपने साथ वह अपनी संस्कृति साथ में लाए थे। फिजी के उपप्रधानमंत्री बिमन प्रसाद ने आगे कहा कि पिछले कुछ 10-15 सालों में हिंदी के प्रचार और प्रसार को और हिंदी को कैसे पढ़ाया जाता है उसे कम किया गया, उसको कमजोर बनाया गया। लेकिन हमारी सरकार ने कदम अपनाए हैं जिससे हिंदी को मजबूत बनाए जाए।