छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
लखनऊ 21 जनवरी 2022। गाजियाबाद, नोएडा, मेरठ समेत पश्चिम उत्तर प्रदेश के कई जिलों की 58 विधानसभा सीटों पर 10 फरवरी को पहले राउंड में मतदान होना है। यह वह इलाका भी है, जहां किसान आंदोलन का काफी असर था और माना जा रहा है कि भाजपा को यहां जाट मतदाताओं का गुस्सा झेलना पड़ सकता है। जाट वोटर्स की बात करें तो कुछ हद तक ऐसा दिखता भी है, लेकिन सियासी मुकाबला कुछ और ही कहानी कह रहा है। दरअसल इन 58 सीटों में से 13 पर समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल ने मुस्लिम उम्मीदवार उतार दिए हैं। इसके अलावा बसपा की ओर से भी 17 मुस्लिमों पर भरोसा जताया गया है।
इस टिकट बंटवारे के चलते सपा-रालोद और बसपा के बीच सीधा मुकाबला हो सकता है और मुस्लिम मतदाताओं के वोट बंटने का फायदा भाजपा को मिल सकता है। प्रतिशत के लिहाज से देखें तो पहले राउंड में सपा और रालोद ने 22 फीसदी टिकट मुस्लिमों को दिए हैं, जबकि बसपा ने 29 फीसदी टिकट बांटे हैं। वहीं भाजपा की ओर से अब तक किसी भी मुस्लिम उम्मीदवार को पहले और दूसरे राउंड के लिए टिकट नहीं दिया है। साफ है कि मुस्लिम वोटों में यदि बंटवारा होता है तो भाजपा इसका फायदा उठाने की स्थिति में होगी। ऐसी 8 सीटें हैं, जहां बसपा और सपा-रालोद गठबंधन के मुस्लिम प्रत्य़ाशी आमने-सामने होंगे। भले ही मुस्लिमों का रुझान सपा की ओर दिख रहा है, लेकिन बसपा ने मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं तो कुछ वोट जरूर बंट सकते हैं। ऐसे में कड़ा मुकाबला होने की स्थिति में भाजपा को फायदा होने की संभावना बनती है। इस सियासी मैच ने 2017 की याद दिला दी है। तब भी पहले राउंड में इन्हीं सीटों पर मतदान हुआ था और तब 7 सीटों पर सपा और बसपा के मुस्लिम उम्मीदवारों के बीच सीधा मैच हुआ था। यही नहीं इन सभी 7 सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की थी। ऐसे में सियासी जानकार मानते हैं कि एक बार फिर से कुछ सीटों पर 2017 का रिप्ले हो सकता है।
इन सभी सीटों पर हमेशा होता रहा है ध्रुवीकरण
बसपा और सपा-रालोद गठबंधन के मुस्लिम उम्मीदवारों के बीच जिन 8 सीटों पर सीधा मुकाबला है, वे सीटें थाना भवन, सिवालखास, मेरठ, मेरठ दक्षिण, धौलाना, बुलंदशहर, कोली और अलीगढ़ शामिल हैं। थाना भवन वह सीट है, जहां से सुरेश राणा विधायक हैं। इसके अलावा मेरठ, बुलंदशहर, धौलाना, अलीगढ़ जैसे क्षेत्र ध्रुवीकरण के लिए जाने जाते हैं। यदि हिंदू वोट भाजपा बड़ी संख्या में हासिल कर लेती है तो मुस्लिम वोटों के बंटवारे के चलते सपा गठबंधन और बसपा दोनों पिछड़ सकते हैं। यही वजह है कि भाजपा किसान आंदोलन के असर के बाद भी हताश नहीं है। फिर सीएम योगी आदित्यनाथ के 80 बनाम 20 वाले कॉमेंट का भी ऐसी सीटों पर असर होता दिखता है।