छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 03 जनवरी 2022। ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों के बीच रविवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों का ध्यान इस ओर दिलाया कि सामूहिक रूप से उन्होंने 23 हजार 123 करोड़ रुपये के आपातकालीन कोविड प्रतिक्रिया पैकेज (ईसीआरपी-II) के तहत उपलब्ध स्वीकृत फंड के केवल 17 प्रतिशत से अधिक का ही उपयोग किया है। स्वास्थ्य क्षेत्र के बुनियादी ढांचा को दुरुस्त करने के लिए बीते साल अगस्त माह में केंद्रीय कैबिनेट ने इस पैकेज को मंजूरी दी थी। मंडाविया ने राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों और सीनियर अधिकारियों के साथ यह समीक्षा बैठक ऐसे समय में की जब देश में रविवार को कोरोना के 27 हजार से ज्यादा नए मामले दर्ज किए गए और ऐक्टिव केस भी बढ़कर 1.22 लाख तक पहुंच गए। एक हफ्ते पहले यानी 26 दिसंबर को ही भारत में कोरोना के सिर्फ 6 हजार 531 मामले दर्ज किए गए थे और ऐक्टिव केस भी सिर्फ 75 हजार 841 ही थे।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने आरम्भ में ही कहा कि विश्व स्तर पर देश अपने पहले के शीर्ष मामलों की तुलना में कोविड-19 मामलों में तीन से चार गुना वृद्धि का अनुभव कर रहे हैं। ओमीक्रोन वेरिएंट के अत्यधिक तेजी से फैलने के कारण कोविड मामलों में तेज वृद्धि चिकित्सा प्रणाली को प्रभावित कर सकती है। इसलिए उन्होंने राज्यों को तेज वृद्धि पर नियंत्रण करने के लिए बुनियादी ढांचे में सुधार करने में कोई कसर नहीं छोड़ने की सलाह दी, जिससे कि भारत कोविड-19 के इस प्रकोप से सुरक्षित रह सके।
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने रविवार को कोविड-19 के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य तैयारियों और राष्ट्रीय कोविड-19 टीकाकरण अभियान की प्रगति की समीक्षा करने के लिए वर्चुअल तरीके से राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों तथा स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक ओमिक्रॉन वैरिएंट के बढ़ते मामलों और हाल ही में 15-18 वर्ष आयु वर्ग के लिए टीकाकरण शुरू करने और चिह्नित निर्बल वर्गों के लिए एहतियाती खुराक को ध्यान में रखते हुए आयोजित की गई थी। बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने की। बीते साल अगस्त में केंद्रीय कैबिनेट ने 23 हजार 123 करोड़ रुपये का पैकेज जारी किया था। इसके तहत उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश को मिलकर 23 हजार 56 आईसीयू बेड का इंतजाम करना था।
डॉ. मंडाविया ने कहा कि कोविड का चाहे कोई भी वेरिएंट हो, तैयारी और सुरक्षा के उपाय समान ही बने रहेंगे। उन्होंने राज्यों से जमीनी स्तर पर काम करने और निगरानी और नियंत्रण तंत्र को मजबूत करने के लिए अपनी टीमों को फिर से सक्रिय करने का आग्रह किया। इसके बाद अस्पताल के बुनियादी ढांचे में सुधार, जांच में तेजी, संक्रमण की श्रृंखला को तोड़ने के लिए कड़े प्रतिबंधात्मक उपाय और आम लोगों के बीच कोविड उपयुक्त व्यवहार पर जोर सहित कोविड प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं पर व्यापक और विस्तृत चर्चा हुई। चिकित्सा अवसंरचना में बड़ी बाधाओं पर भी चर्चा की गई। स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने राज्यों में कोविड के प्रसार का एक बारीक विश्लेषण प्रस्तुत किया और कोविड मामलों में हाल में आई तेजी से निपटने के लिए जांच, निगरानी और नियंत्रण तंत्र में तेजी लाने का सुझाव दिया। प्रधान सचिव (स्वास्थ्य), अतिरिक्त मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) और संबंधित राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के राज्य निगरानी अधिकारियों ने चिंता के बिंदुओं पर चर्चा करते हुए अपनी प्रतिक्रिया और सुझाव प्रस्तुत किए। बैठक में नगालैंड, ओडिशा, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, असम, हरियाणा, दिल्ली, अरुणाचल प्रदेश, झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल के स्वास्थ्य मंत्री तथा कई अन्य राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।