
छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 03 सितम्बर 2021। सार्क सम्मेलन भारत और पाकिस्तान के बीच भविष्य में बड़े टकराव का कारण बन सकता है। दरअसल पाकिस्तान सार्क की बैठक में अफगानिस्तान को निमंत्रण देने की तैयारी में है, जबकि भारत ने अब तक अफगानिस्तान में तालिबान शासन को आधिकारिक मंजूरी नहीं दी है। ऐसे में अगर सार्क की बैठक से पहले नई सरकार को मान्यता देने का मामला नहीं सुलझा तो भारत और पाकिस्तान फिर से आमने-सामने नजर आएंगे। दरअसल पाकिस्तान तालिबान को साध कर उसका उपयोग भारत के खिलाफ करना चाहता है। इसी कारण अफगानिस्तान में तालिबान के दोबारा शासन में आने के मामले को पाकिस्तान ने हाथों हाथ लेते हुए इसकी तुलना गुलामी की जंजीर तोड़ने से की। इस बार सार्क का मेजबान पाकिस्तान है। इस आधार पर उसे इसकी बैठक में अफगानिस्तान को आमंत्रित करने का अधिकार है।
जल्द बैठक बुलाने की कोशिश
कोरोना महामारी के कारण इस साल सार्क की बैठक नहीं हो पाई है। अफगानिस्तान में सत्ता परिवर्तन के बाद पाकिस्तान अब जल्द से जल्द सार्क की बैठक बुलाना चाहता है। इससे पहले मार्च में ही पाकिस्तान ने सार्क बैठक की मेजबानी करने के लिए पूरी तरह तैयार होने की घोषणा की थी। इस बीच आई कोरोना की दूसरी लहर के कारण बैठक नहीं हो पाई। अब पाकिस्तान ने जल्द से जल्द सार्क की बैठक बुलाने की संभावनाएं तलाशनी शुरू कर दी है। उसकी योजना बैठक में अफगानिस्तान को आमंत्रित करने की भी है।
क्या है भारत का असमंजस?
अफगानिस्तान में तालिबान शासन के बाद भारत ने अपने दूतावास बंद कर दिए हैं। नई सरकार को मान्यता देने से पहले इस सवाल पर सरकार माथापच्ची कर रही है। सरकार चाहती है कि मान्यता देने से पहले तालिबान का विभिन्न मुद्दों पर रुख को भांप लिया जाना चाहिए। वहां अभी सरकार का गठन होना बाकी है। इस बीच भारत ने बीते मंगलवार को आधिकारिक बातचीत की शुरुआत की है, मगर किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा है। ऐसे में अगर भारत के किसी नतीजे पर पहुंचने से पूर्व सार्क की बैठक होती है और पाकिस्तान अफगानिस्तान को आमंत्रित करता है तो दोनों देशों के बीच विवाद भड़कना तय है।
शीर्ष स्तर पर पहली माथापच्ची
अफगानिस्तान और तालिबान पर मोदी सरकार में शीर्ष स्तर पर बुधवार देर रात तीन घंटे तक माथापच्ची हुई। पीएम मोदी ने गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस जयशंकर और एनएसए अजित डोभाल के साथ भावी रणनीति पर चर्चा की। बताते हैं कि बैठक में तालिबान सरकार के गठन और उसकी नीतियां तय होने केबाद नई सरकार को मान्यता देने पर सहमति बनी।
पहले भी आए हैं आमने-सामने
इससे पहले साल 2016 में भी पाकिस्तान ने सार्क की मेजबानी की थी। हालांकि बैठक से पूर्व उरी के आर्मी कैंप पर हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने इस बैठक का बहिष्कार किया था। तब भारत ने पाकिस्तान पर आतंकवाद को संरक्षण देने का आरोप लगाया था।