छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 27 अगस्त 2021। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों से कहा है कि वह इस बात को सुनिश्चित करे कि कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों की पढ़ाई किसी भी तरह से बाधित न हो। सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए सुझाव दिया कि या तो स्कूल फीस माफ करे या राज्य सरकार खर्चा वहन करे। शीर्ष अदालत ने राज्यों के चाइल्ड वेलफेयर कमेटी और जिला शिक्षा अधिकारी से कहा है कि वह इस मामले में स्कूल प्रशासन से बातचीत करें और यह सुनिश्चित कराएं कि प्राइवेट स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों की पढ़ाई मौजूदा साल में किसी भी तरह बाधित न हो।जस्टिस एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने पूरे देश के जिलाधकारियों को कहा है कि कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों के लिए आवेदन की प्रक्रिया पूरी करे, ताकि पीएम केयर्स फंड से ऐसे बच्चों को लाभ मिल सके। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पीएम केयर्स फंड से बच्चों को लाभ देने के लिए अलग से पोर्टल बनाया गया है और इसके तहत 21 अगस्त तक 2600 बच्चे रजिस्टर्ड हुए हैं। 30 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा अनाथ बच्चों का पंजीकरण किया गया है। इनमें 418 आवेदनों को जिलाधकारियों ने मंजूर किया है।
ऐसे बच्चों को 23 साल पूरे होने पर मिलेंगे 10 लाख
केंद्र सरकार की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एश्वर्य भाटी ने कोर्ट को बताया कि पीएम केयर्स फंड में 18 साल तक बच्चों को शिक्षा दिलाने की व्यवस्था की गई है। भाटी ने कहा कि पीएम केयर्स स्कीम के तहत कोविड से अनाथ हुए बच्चों को 23 वर्ष पूरे होने पर 10 लाख रुपये देने का प्रावधान है।
1,01,032 लाख बच्चे हुए बेसहारा
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी कि एक अप्रैल, 2020 और 23 अगस्त, 2021 के बीच कोविड -19 या अन्य कारणों से 1,01,032 बच्चे बेसहारा हो गए। इनमें से 8,161 अनाथ हुए, 396 बच्चों को छोड़ दिया गया और 92,475 ने अपने माता-पिता में से एक को खो दिया।