पहाड़ कटिंग के साथ नेशनल हाईवे ४३ का निर्माण प्रगति पर
साजिद खान, छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
कोरिया (छत्तीसगढ़)। इस कोरोना संक्रमण काल में सांस लेने में तफलीफ न हो इस वजह से आक्सीजन पाने के लिए लोग पीपल के वृक्ष में ही कुर्सीनुमा मचान बनाकर अपना ठिकाना बना लिए थे। ये खबर मध्यप्रदेश के इंदौर की सामने आई थी। न जाने देश में कितनी मौंते आक्सीजन के अभाव में हो गई। वृक्ष हम इंसानों को आक्सीजन देते हैं। कोरोना संक्रमण काल के आफत से गुजरते हुए भी आफत को नजर अंदाज करते हुए हम इंसान निर्माण कार्यों के नाम पर कुदरती वृक्षों को संरक्षित व सुरक्षित करने के बजाए वृक्षों को धाराशाही (मौत) होने के मुहाने पर लाकर खड़ा कर देते हैं। वृक्षों के धाराशाही हो सकने वाला ये नजारा निर्माणाधीन नेशनल हाइवे ४३ पर सड़क से सटे हुए सरगुजा संभाग के कोरिया जिले के कोरिया वन मंडल के जमद्वारी घाट के पहाड पर और मनेन्द्रगढ़ वनमंडल के नर्सरी के पहाड़ पर देखा सकता है। लगता है कि पर्यावरण को सुरक्षित रखने वाली संस्थाओं की भी नजर इन पर नही पड़ रही है।
ज्ञात हो कि मध्यप्रदेश की सीमा रामनगर से मनेन्द्रगढ़ गुजरते हुए जिला मुख्यालय बैकुंठपुर कटनी-गुमला नेशनल हाइवे ४३ निर्माणाधीन है। इस नेशनल हाइवे पर किसी न किसी मंत्री, विधायकों और छत्तीसगढ़ के बड़े अधिकारियों का आना जाना लगा ही रहता होगा और यहां तक कि जिला मुख्यालय बैकुंठपुर से मनेन्द्रगढ़ तक वन एंव जलवायु परिवर्तन विभाग के अधिकारियों का नेशनल हाइवे ४३ पर आना जाना लगा ही रहता होगा। क्या किसी की भी नजर नही पड रही है कि नेशनल हाइवे ४३ चौरीकरण निर्माण के नाम पर भूमि अधिग्रहण में मनेन्द्रगढ़ वनमंडल के नर्सरी के पास पहाडों को और कोरिया वनमंडल के जमद्वारी घाट के पहाड़ो को जेसीबी मशीनों से किस तरह कितनी बेतरतीबी से कटिंग करके मार्किंग किए बडे-बडे वृक्षों को काट कर काष्ठागार तो पहुंचवा दिया गया। जिसके एवज में करोड़ो रूपए की राशि का मुआवजा वन एवं जलवायु विभाग को अदा किया जा चुका होगा परन्तु मार्किंग किए गए वृक्षों के पीछे खड़े बिना मार्किंग वाले बडे-छोटे वृक्ष बेतरतीबी से किए गए इस पहाड कटिंग के कारण आज ऐसी अवस्था में मिट्टी कटाव वाली जगह में अपनी जड़ को पकड़े हुए खडे हैं कि कहीं इस बरसात में पानी के कारण यदि मिट्टी का कटाव लगातार जारी रहा तो कई बडे छोटे वृक्षों के नेशनल हाइवे पर अचानक गिरने आशंका बनी रहेगी। नेशनल हाइवे ४३ में निर्माणाधीन सड़क चौरीकरण में अधिग्रहण के नाम पर पहाड़ों की ये कटिंग जेसीबी मशीनो से की गई। सडक पर गिर सकने वाले कई बड़े छोटे वृक्षों को सुरक्षित व संरक्षित करने के लिए वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग जमद्वारी घाट के पहाड़ और नर्सरी के पहाड़ में की गई साइड कटिंग के लेबल से तत्काल यदि रिटरनिंग वाल रूपी उंची और लंबी दीवार निर्मित करते हुए पीचिंग करवाता है। तभी मिट्टी कटाव वाली जगह पर खड़े बडे छोटे वृक्ष सुरक्षित और संरक्षित हो सकेंगे वरना भविष्य में अचानक कभी भी कोई घटना दुर्घटना अनहोनी की आशंका बनी रहेगी। मध्यप्रदेश सीमा रामनगर से होते हुए छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले से गुजरते हुए नेशनल हाइवे ४३ निर्माणाधीन है। जिसे निर्माता कंपनी एनएसपीआर द्वारा निर्माण कराया जा रहा है। पहाड कटिंग करने से वन एंव जलवायु विभाग का नर्सरी के पहाड़ पर पुराना घेरा हुआ चेनलिंकर एंव एंगलपोल भी क्षतिग्रस्त हुआ है। अधिग्रहण कर मार्किंग किए गए वृक्षों को काटने से लेकर क्षतिग्रस्ती में जो मुआवजा विभाग को मिला होगा। क्या वन एवं जलवायुु परिवर्तन विभाग प्राथमिकता से उसी राशि को खर्च कर इस तरह कभी भी गिर सकने वाली अवस्था में खड़े वृक्षों को सुरक्षित व संरक्षित करने के लिए दोनो जगह कोरिया वनमंडल के अंतर्गत आने वाले जमद्वारी घाट के पहाड़ पर और मनेन्द्रगढ़ वनमंडल के अंतर्गत आने वाले नर्सरी के पहाड़ पर ऊंची लंबी रिटरनिंग वाल निर्मित करवाएगा ? क्या निर्माण के नाम पर बेतरतीबी से पहाड़ कटिंग के कारण इस तरह कभी भी गिर सकने वाली अवस्था में खडे वृक्षों के लिए वन अधिनियम का उल्लंघन हुआ ? या सब दूध भात है। इसमे जमद्वारी घाट के पहाड पर गिर सकने वाले खडे बडे छोटे मिलाकर लगभग ४०० वृक्ष और नर्सरी के पहाड़ पर गिर सकने वाले खड़े बडे छोटे लगभग ३०० वृक्ष खडे हैं। यह कोई गाँव की सड़क नही है बल्कि नेशनल हाइवे है जिसमें लगातार वाहनों का दौड़ना होता रहता है। बेतरतीबी चूक की अनहोनी का खमियाजा कोई न भुगते इसके लिए रिटरनिंग वाल की तत्काल जरूरत नजर आती है। इस जगह पर छत्तीसगढ़ वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के उच्च अधिकारियों को पहली फुरसत में ही निरिक्षण कर इन वृक्षों को संरक्षित व सुरक्षित करने के लिए कदम उठाना चाहिए।
सवाल यह उठता है कि नेशनल हाइवे ४३ निर्माता कंपनी को सडक चौरीकरण सह नाली निर्माण करने का टेंडर मिला होगा। जो प्रगति पर नजर आता है। सडक चौरीकरण निर्माण करने की प्रकिया मे अधिग्रहित वन भूमि में मुआवजा अदा करने के पश्चात बेतरतीबी से हुए पहाड़ कटिंग कार्य के कारण वनोपज डेमेज की स्थिति को सुरक्षित व संरक्षित करने के लिए क्या निर्माता कंपनी रिटरनिंग वाल का निर्माण करेगी ? या वस्तु स्थिति को देखते हुए मुआवजा अदा करने के पश्चात नेशनल हाइव इस डेमेज स्थिति की क्षतिपूर्ति के लिए और राशि वन विभाग को अदा करेगी ?
इस मामले में वस्तु स्थिति की कुछ तस्वीरें प्रधान मुख्य वन संरक्षक रायपुर को भेजकर जानकारी लेने पर उन्होने कहा कि मामले को जांच के लिए अभी भेजते हैं। रिटरनिंग वाल के संबंध में पूछने पर उन्होने कहा कि पीडब्ल्यूडी उस काम को करेगा। रिटरनिंग वाल के लिए हमारे पास बजट नही होता है। वन की भूमि ली गई जानकारी देने पर उन्होने कहा कि वन की भूमि ली गई है लेकिन वह काम पीडब्ल्यूडी को करना चाहिए। जिसने वन भूमि लिया है देखते हैं जांच कराते हैं।