छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 27 अक्टूबर 2024। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की प्रमुख माधवी बुच से जुड़े मामले का हवाला देते हुए शनिवार को आरोप लगाया कि जिन लोगों को आम भारतीय नागरिकों और उनके निवेश की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई है, उन्होंने अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ लिया है और व्यापक भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। उन्होंने कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा के साथ एक वीडियो में बातचीत के दौरान यह दावा भी किया कि भ्रष्टाचारियों को बचाने का काम एक बड़ा सिंडिकेट कर रहा है। उन्होंने अपने ‘यूट्यूब’ चैनल पर यह वीडियो पोस्ट करते हुए टिप्पणी की, ‘‘संस्थागत पतन ने भारत में मित्रवादी पूंजीवाद को बढ़ावा दिया है। हमारी अर्थव्यवस्था अब प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा नहीं देती, बल्कि एकाधिकार को बढ़ावा देती है। छोटे और मध्यम व्यवसाय प्रतिगामी कर प्रणालियों में फंस गए हैं, उद्यमियों को पूंजी तक पहुंच पाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है और खुदरा निवेशक अनिश्चित और असुरक्षित बाजार की ओर देख रहे हैं।” उन्होंने कहा कि यह उस तरह का माहौल नहीं है जो समृद्धि और नवोन्मेष को सक्षम बनाता है।
राहुल गांधी ने दावा किया, ‘‘माधवी बुच से जुड़ा घोटाला इस बात का उदाहरण है कि जब संस्थाएं ध्वस्त हो जाती हैं और मित्रवादी पूंजीवाद हावी हो जाता है तो क्या होता है। जिन लोगों को आम भारतीय नागरिकों और उनके निवेश की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई है, उन्होंने अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ लिया है और व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार और कदाचार में लिप्त हैं।” उन्होंने कहा कि इस घोटाले पर अब तक जो जानकारी सामने आई है वह बस शुरुआत भर है। भ्रष्टाचारियों को बचाने का काम एक बड़ा सिंडिकेट कर रहा है। राहुल गांधी ने कहा, ‘‘कांग्रेस पार्टी लगातार इन मुद्दों को उठा रही है, कई घोटालों की जांच-पड़ताल कर रही है और सच्चाई को उजागर कर रही है।” खेड़ा ने एक बयान जारी कर सवाल किया कि मोदी सरकार सेबी प्रमुख को संसदीय जांच से क्यों बचा रही है? उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने सेबी की स्वतंत्रता को नष्ट कर दिया है।
खेड़ा का कहना है, ‘‘गंभीर आरोपों के मद्देनजर संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) ने बुच समेत सेबी के कई अधिकारियो को तलब किया था। हालांकि, उनकी निर्धारित उपस्थिति से एक घंटे पहले बुच ने एक आपात स्थिति का हवाला देते हुए उपस्थित होने में असमर्थता जताई। इस बीच, भाजपा सांसदों ने इस समन का विरोध किया।” उन्होंने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि यह महज संयोग नहीं है। हमें लगता है कि सरकार बुच की रक्षा कर रही है ताकि इस पूरे गठजोड़ में शामिल बड़े खिलाड़ियों को बचाया जा सके। खेड़ा ने सवाल किया, ‘‘माधवी बुच संसद की पीएसी के समक्ष सवालों का जवाब देने में क्यों अनिच्छुक हैं? उन्हें पीएसी के प्रति जवाबदेह होने से बचाने की योजना के पीछे कौन है? क्या करोड़ों छोटे-मंझोले निवेशकों की मेहनत की कमाई को खतरे में डालकर मोदी जी के प्रिय मित्र अदाणी को फायदा पहुंचाने की कोई सोची-समझी साजिश है?”
अमेरिकी संस्था ‘हिंडनबर्ग रिसर्च’ ने हाल ही में बुच पर अदाणी समूह से जुड़े मामले में हितों के टकराव का आरोप लगाया था। इसके बाद से कांग्रेस उन पर और सरकार पर लगातार हमले कर रही है। माधवी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने अनियमितता बरतने और हितों के टकराव को लेकर कांग्रेस की तरफ से लगाए गए आरोपों से शुक्रवार को इनकार करते हुए कहा था कि ये आरोप ‘गलत, प्रेरित और मानहानिकारक’ हैं।