छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
भुवनेश्वर 09 दिसंबर 2023। ओडिशा और बिहार ट्रेन हादसों के बाद भारत रेलवे हरसंभव सुरक्षा मजबूत करने में लगा हुआ है। इसी क्रम में स्वदेशी रूप से विकसित स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली (एटीपी) ‘कवच’ को अब तक 1465 किलोमीटर लंबे मार्ग और दक्षिण मध्य रेलवे खंडों पर 139 लोकोमोटिव (इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट रेक) पर स्थापित किया गया है। बता दें, लिंगापल्ली-विकाराबाद-वाडी के 265 किलोमीटर और विकाराबाद-बीदर खंड, मनमाड-मुदखेड-धोने-गुंटकल खंड के 959 किलोमीटर और बीदर-परभणी खंड के 241 किलोमीटर लंबे मार्ग पर महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। वहीं, वर्तमान में दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा कॉरिडोर के करीब 3000 किलोमीटर लंबे मार्ग के लिए कवच निविदाएं जारी की गई हैं और इन मार्गों पर कार्य प्रगति पर है।
इन पर भी काम शुरू
इसके अलावा, भारतीय रेलवे ने एक सर्वे, विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) और 6000 किलोमीटर रेल मार्ग पर कवच लगाने के अनुमान सहित कई प्रारंभिक काम भी शुरू किए हैं।
क्या है कवच प्रणाली
‘कवच’ चलती ट्रेनों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए एक स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली है। इसे तीन भारतीय कंपनियों के सहयोग से अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (आरडीएसओ) ने स्वदेशी रूप से तैयार किया है। कवच न सिर्फ ट्रेन के चालक को खतरे में सिग्नल पास करने और तेज गति से गाड़ी चलाने से बचाव में मदद करता है बल्कि इससे खराब मौसम के दौरान ट्रेन चलाने में भी मदद मिलती है। इस तरह ट्रेन परिचालन की सुरक्षा और दक्षता बढ़ती है।
फरवरी 2016 में हुआ था ट्रायल
आपको बता दें कि इस कवच सिस्टम को भारतीय रेलवे ने रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन की मदद से तैयार किया है। रेलवे ने इस कवच सिस्टम पर 2012 में काम शुरू किया था। शुरुआत में इस प्रोजेक्ट का नाम Train Collision Avoidance System था। रेलवे ने इस कवच सिस्टम को ट्रेन के जीरो दुर्घटना लक्ष्य को हासिल करने के लिए तैयार किया गया था। यात्री ट्रेनों पर पहला फील्ड ट्रायल फरवरी 2016 में शुरू किया गया था।