छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
रांची 02 दिसंबर 2023। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में सिलक्यारा सुरंग से बचाए गए झारखंड के 15 मजदूर शुक्रवार रात रांची पहुंचे। यहां पर पारंपरिक ‘ढोल और नगाड़ों’ के साथ उनका भव्य स्वागत किया गया। भाजपा, कांग्रेस, झामुमो, सीपीआई समेत विभिन्न दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं को बिरसा मुंडा हवाईअड्डे पर मौत के मुंह से बाहर आए मजदूरों के साथ उनके परिवार के सदस्यों का स्वागत किया। इन मजदूरों को हवाई मार्ग से दिल्ली से रांची लाया गया। हवाईअड्डे पर मजदूरों का स्वागत करने पहुंचे झारखंड के श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने कहा कि सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों का बचाना बहुत बड़ी सफलता है। सरकार इन मजदूरों की पूरी मदद करेगी। रांची एयरपोर्ट पर स्वागत के बाद मजदूरों को एक विशेष बस से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आवास ले जाया गया, जहां उन्होंने उनसे बातचीत की और उनका हालचाल जाना।
खूंटी जिले के कर्रा के रहने वाले मजदूर विजय होरो ने कहा कि सुरंग हादसे के बाद शुरुआती तीन दिन कष्टदायक थे, लेकिन बाद में अधिकारियों से संपर्क स्थापित करने के बाद उम्मीद जग गई थी। विजय बीए द्वितीय वर्ष के छात्र भी हैं। उन्होंने कहा कि वह अपनी खुशी बयां नहीं कर सकते और यह उनके लिए दोबारा जन्म लेने जैसा है। झारखंड के श्रम सचिव राजेश कुमार शर्मा ने मीडिया को बताया कि उत्तरकाशी में रह रहे सभी 15 श्रमिक, उनके 12 परिवार के सदस्य और राज्य सरकार के अधिकारी बिरसा मुंडा हवाईअड्डे पहुंचे। उन्होंने मुख्यमंत्री से मुलाकात की। मजदूरों और उनके परिवारों के लिए सर्किट हाउस में रात्रि भोज का आयोजन किया गया। वे रात वहीं रुकेंगे। शनिवार को उन्हें उनके संबंधित गांवों में भेजा जाएगा। मजदूरों के स्वास्थ्य जांच पर अधिकारी ने कहा कि एम्स ऋषिकेश ने पहले ही उन्हें 24 घंटे के लिए निगरानी में रखा था।
मजदूरों का स्वागत करने एयरपोर्ट पर मौजूद भाजपा सांसद दीपक प्रकाश ने कहा कि यह बहुत खुशी की बात है कि सभी मजदूर सही-सलामत रांची पहुंच गए हैं। सिलक्यारा सुरंग ऑपरेशन की सफलता का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय एजेंसियों को जाता है। वहीं, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने दुर्गम क्षेत्रों में परियोजनाओं में लगी कंपनियों की कार्यप्रणाली और मजदूरों की सुरक्षा से समझौता पर सवाल उठाए। जेएमएम सांसद महुआ माजी ने कहा, हमें खुशी है कि हमारे श्रमिक सुरक्षित लौट आए। केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि महत्वपूर्ण परियोजनाओं में श्रमिकों के हितों की रक्षा की जाए।